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फसलों के अवशेष जलाने की बजाय उनसे करें खुंब उत्पादन

उन्होंने कहा कि किसान फसलों के अवशेष जलाने की बजाय विज्ञानिक तरीके से उनसे खुंब का उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। किसान इन अवशेषों को जलाने की बजाए विभिन्न खुंबों जैसे ढीगरी खुंब दुधिया खुंब व धान के पुवाल की खुंब का उत्पादन करके लाभ कमा सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 08:39 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 08:39 AM (IST)
फसलों के अवशेष जलाने की बजाय उनसे करें खुंब उत्पादन
फसलों के अवशेष जलाने की बजाय उनसे करें खुंब उत्पादन

जागरण संवाददाता, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पौध रोग विभाग द्वारा खुंब उत्पादन तकनीक विषय पर तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ। इसमें महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के कुल सचिव डा. अजय सिंह याद ने प्रतिभाग किया।

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उन्होंने कहा कि किसान फसलों के अवशेष जलाने की बजाय विज्ञानिक तरीके से उनसे खुंब का उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। किसान इन अवशेषों को जलाने की बजाए विभिन्न खुंबों जैसे ढीगरी खुंब, दुधिया खुंब व धान के पुवाल की खुंब का उत्पादन करके लाभ कमा सकते हैं।

प्रोटीन का भरपूर स्त्रोत है खुंब

खुंब एक संतुलित आहार है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 30-40 प्रतिशत तक पाई जाती है, इसलिए शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है। इसके इलावा इसमें आवश्यक अमीनो एसिड, खनिज, विटामिन इत्यादि प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। सब्जियों में विटामिन-डी खुंब में पाया जाता है। पौध रोग विभाग के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष डा. अजीत सिंह राठी ने खुंब उत्पादन करने के लाभ व बेरोजगार युवकों व युवतियों के लिए रोजगार का एक अच्छा स्त्रोत बताया।

यह प्रशिक्षण विभाग के वैज्ञानिकों डा. सतीश कुमार मेहता व डा. राकेश कुमार चुघ की देखरेख में आयोजित किया गया। इसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों से 43 प्रतिभागी शामिल हुए।

स्वरोजगार के रूप में अपनाएं युवा : बाजवा

इस प्रशिक्षण में अग्रणी खुंब/स्पान उत्पादक सरदार हरपाल सिंह बाजवा ने बताया कि प्रदेश के युवक व युवतियां सरकारी नौकरी के लिए इधर-उधर भटकने की बजाय खुंब उत्पादन, प्रसंस्करण को एक स्वरोजगार की तरह अपनाएं व आत्मनिर्भर बनें। विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डा. आरएस टाया ने खुंब में होने वाले रोगों व उनके प्रबंधन विषय पर विस्तार से बताया।


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