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चौधरी देवीलाल जयंती पर फतेहाबाद में 18 साल बाद हुई इनेलो की रैली, इस दौर में जेल काटी, परिवार टूटा, ताकत भी घटी

फतेहाबाद में देवीलाल जयंती पर की गई ये इनेलो की दूसरी रैली थी। इससे पहले 18 साल पहले साल 2004 में इनेलो ने फतेहाबाद में देवीलाल जयंती पर एक विशाल रैली आयोजित की थी। उस रैली के दौरान प्रदेश में इनेलो की सरकार थी और खुद ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे।

By JagranEdited By: Manoj KumarPublished: Sun, 25 Sep 2022 10:44 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 10:44 PM (IST)
चौधरी देवीलाल जयंती पर फतेहाबाद में 18 साल बाद हुई इनेलो की रैली, इस दौर में जेल काटी, परिवार टूटा, ताकत भी घटी
2004 में फतेहाबाद में हुई रैली के दौरान ओमप्रकाश चौटाला और चंद्रबाबू नायडू । फ़ाइल फ़ोटो

अमित रूखाया, फतेहाबाद : पिछले 20 साल से अधिक समय से इनेलो 25 सितंबर की रैलियां आयोजित करती आ रही है। फतेहाबाद में देवीलाल जयंती पर की गई ये इनेलो की दूसरी रैली थी। इससे पहले 18 साल पहले साल 2004 में इनेलो ने फतेहाबाद में देवीलाल जयंती पर एक विशाल रैली आयोजित की थी। उस रैली के दौरान प्रदेश में इनेलो की सरकार थी और खुद ओमप्रकाश चौटाला ही प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

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उस दौरान रैली के मुख्यातिथि के तौर पर आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू फतेहाबाद आए थे। इसी दिन फतेहाबाद की देवीलाल मार्केट में उन्होंने चंद्रबाबू नायडू के साथ देवीलाल प्रतिमा का अनावरण किया था। इसके बाद लगभग 19 सालों के बाद इनेलो ने फतेहाबाद में देवीलाल जयंती रैली आयोजित की थी। 

दस साल की जेल काटी, परिवार भी टूटा, राजनीतिक ताकत भी हुई आधी

साल 2004 में में रैली करने के बाद इनेलो ने राजनीति में कई उतारचढ़ाव देखे। सबसे पहले साल 2004 के बाद प्रदेश में इनेलो ने सत्ता गंवाई तो आजतक सत्ता में वापिसी नहीं हो सकी। इतना ही नहीं इन 18 सालों के दौरान ओमप्रकाश चौटाला को जेबीटी अध्यापक घोटाले में दस साल की सजा काटनी पड़ी। वहीं वापिसी के बाद उन्हें अपने परिवार और पार्टी में ही टूट का भी सामना करना पड़ा जब उनके बेटे अजय चौटाला व पोतों दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला ने अपनी अलग पार्टी खड़ा कर दी।

इतना ही नहीं, एक समय प्रदेश में अपने दम पर सरकार चलाने वाली इनेलो के पास अब प्रदेश में महज एक ही विधायक है। ऐसे में उनकी राजनीतिक ताक त भी काफी कम हो गई है। ऐसे में देखना दिलचस्प रहेगा कि आखिर तीसरे मोर्चे की कवायद के जरिये क्या इनेलो अपने पुराने दौर को दोहरा पाएगी।

इनेलो को भी संजीवनी की उम्मीद, कभी तीनों सीटें थी कब्जे में, अब एक पर भी नहीं बची जमानत

राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे मोर्चे के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले ओमप्रकाश चौटाला को इसके जरिये प्रदेश में इनेलो को भी संजीवनी मिलने की उम्मीद है। अकेले फतेहाबाद जिले की ही बात की जाए तो कभी इनेलो का गढ़ रहा फतेहाबाद जिला अब पूरी तरह से इनेलो से दूर हो चुका है। 2004 में इनेलो की फतेहाबाद जिले में तीनों सीटें थी। लेकिन अब हालात ये हैं कि जिले की तीनों सीटों से इनेलो को जमानत तक नहीं बच सकी थी। टोहाना में इनेलो के विधायक के तौर पर निशान सिंह थे।

इसके बाद इनेलो ने टोहाना में कभी जीत हासिल नहीं की। रतिया में ज्ञानचंद ओड के निधन के बाद हुए उपचुनाव में इनेलो को मुंह की खानी पड़ी। इसके बाद इनेलो को रतिया में कामयाबी नहीं मिली। फतेहाबाद में आखिरी  बार बलवान सिंह दौलतपुरिया फतेहाबाद से इनेलो विधायक बने थे। वो बीजेपी में शामिल होकर अब कांग्रेस में पहुंच गए। पिछली बार सुमनलता सिवाच को टिकट दी गई, लेकिन वो जमानत भी नहीं बचा सकी।


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