Indian army की और बढ़ेगी ताकत, हथियार होंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस
नीति आयोग रिचर्स इंस्टीट्यूट और प्राइवेट कंपनियां सिविल के साथ डिफेंस में भी तैयार करेंगी एआइ मॉडल के हथियार। हिसार आर्मी कैंट में आइई एक्सपर्ट और डिफेंस एक्सपर्ट ने की कार्यशाला
हिसार, जेएनएन। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कार्यों को आसान बनाने का काम कई कंपनियां कर रही हैं। गूगल मैप हो या एलेक्सा वॉयस, इन सभी में इस तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो लोगों के एक कमांड देने पर रास्ते से लेकर टीवी तक को आसान बनाती हैं। मगर अब डिफेंस सेक्टर में भी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का प्रयोग करने जा रही है। अगले दो वर्षों में सैनिकों के पास ऐसे हथियार मिलेंगे जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस होंगे।
इसके लिए सेना, नीति आयोग और देश के कई बड़े तकनीकी शिक्षण संस्थानों से एक्सपर्ट रोडमैप तैयार कर रहे हैं। अपने इसी विजन को बताने के लिए बुधवार को हिसार के आर्मी कैंट में सप्त शक्ति द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। इसमें सेना की साउथ वेस्टर्न कमांड से आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह क्लेर उपस्थित रहे। इसके साथ ही जीओसी सप्त शक्ति कमांड ले. जन आलोक सिंह, जीओसी ले. जन. अमरदीप सिंह भिंडर व जीओसी 33 आम्र्ड डिविजन मेजर जनरल अनील राज सिंह भी मौजूद रहे। कार्यशाला के बाद कई प्रकार के एआइ तकनीक पर आधारित हथियारों व उपकरणों की प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की गई।
सेना मैकेनाइज्ड वार के लिए खुद को कर रही तैयार
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से अक्सर सीमा पर तनाव की स्थिति बनी रहती है। चीन तो लगातार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भारत के लिए यह फैसला एक चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए सेना नीति आयोग, रिचर्स इंस्टीट्यूट और प्राइवेट सेक्टर के साथ काम करेगी। इसमें नीति आयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए रास्ता तैयार करने में जुट गया है, तो रिसर्च इंस्टिट्यूट और इंडस्ट्री तकनीक पर काम करेंगी और इस सब काम में सेना अपनी जरूरतों को एक्सपर्ट के साथ साझा करेगी। इन सभी के गठजोड़ से दो से तीन वर्ष में ऐसे हथियार तैयार होंगे जिनसे सटीक निशाना लगाना, दुश्मन और मित्र की पहचान, सर्विलांस क्षमता जैसे कई छोटे बड़े कार्य हो सकें। जिन कार्यों के लिए सेना को दुश्मन के इलाके में दाखिल होने जैसे जोखिम उठाना पड़ता है, वह भी कम किया जा सके। इसके साथ ही युद्ध जैसे हालातों में कैजुअलटी को कम किया जा सके। दरअसल सेना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से खुद को मैकेनाइज्ड वार के लिए तैयार कर रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है
इस तकनीक से तात्पर्य है कि ऐसे कंप्यूटर कंट्रोल्ड रोबोट या सॉफ्टवेयर बनाना जो इंसानों की तरह सोच कर किसी समस्या का हल निकाल सकें। यह तकनीक कई कार्यों में मौजूदा समय में इंसान के कार्यों को आसान भी बना रही है। अब सेना के कार्यों में इसका प्रयोग किया जाना है। इसमें डिफेंस की मदद करने वाले ऐसे कई स्टार्टअप को केन्द्र सरकार बढ़ावा दे रही है।
देश की तरफ दुश्मन का ड्रोन आता दिखा भी तो मार गिराया जाएगा
दरअसल पिछले दिनों पंजाब में पाकिस्तान के कुछ लोग पकड़े गए, इनसे पंजाब पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने जब पूछताछ की तो खुलासा हुआ कि पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन के माध्यम से बम गिराने की प्लानिंग चल रही है। खालिस्तानी समर्थकों और संगठनों के साथ यह पंजाब व दूसरे राज्यों में बड़े धमाकों की योजना तैयार कर रहे थे। इस पर आर्मी कमांडर ने कहा कि देश की सीमाओं पर हमारी वायु सेना और सेना के जवान सक्षम हैं कि वह ऐसे दुश्मन की तरफ से आने वाले ड्रोन या दूसरी डिवाइस की पहचान सकें और उन्हें वहीं मार गिराया जाए। पिछले दिनों हमने ऐसे ड्रोन मार भी गिराए थे।