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घोड़ों से मनुष्‍यों में फैलने वाली लाइलाज बीमारी ग्‍लैंडर्स फार्सी का रोहतक में मिला पॉजिटिव केस

सुरक्षा के लिहाज से घोड़े को मार दिया गया है। वहीं अस्तबल संचालक के संपर्क में रहने वाले अन्य घोड़ों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। ग्लैंडर्स फार्सी बीमारी का इलाज नहीं है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 05:34 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 05:34 PM (IST)
घोड़ों से मनुष्‍यों में फैलने वाली लाइलाज बीमारी ग्‍लैंडर्स फार्सी का रोहतक में मिला पॉजिटिव केस
घोड़ों से मनुष्‍यों में फैलने वाली लाइलाज बीमारी ग्‍लैंडर्स फार्सी का रोहतक में मिला पॉजिटिव केस

रोहतक, जेएनएन। रोहतक के अस्तबल के घोड़े में घोड़ों से मनुष्‍यों में फैलने वाली लाइजाल बीमारी ग्लैंडर्स फार्सी बीमारी पाए जाने से पशुपालकों और पशुपालन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। चूंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से घोड़े को मार दिया गया है। वहीं अस्तबल संचालक के संपर्क में रहने वाले अन्य घोड़ों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। वहीं पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने जिले के अन्य अधिकारियों को पत्र जारी करते हुए घोड़ों को एक जिले से दूसरे जिले में ले जाने पर भी रोक लगाई है।

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आजाद नगर मुहल्ला निवासी मोनू का शुगर मिल के पास एक अस्तबल बना हुआ है। पिछले दिनों मोनू एक घोड़ा खरीदकर लाया था। घोड़ा लाने के बाद वह उसे हिसार स्थित अपनी किसी रिश्तेदारी में ले गया था। इसके बाद घोड़े को परेशानी हुई तो वह उसे हिसार में ही लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) में ले गया। घोड़े का सैंपल लेकर जांच कराई गई तो उसमें ग्लैंडर्स फार्सी बीमारी मिली।

इसके बाद घोड़े को सुरक्षा के लिहाज से मारने की रणनीति तैयार की गई और 31 अक्तूबर को घोड़े को मार दिया गया। इसके बाद पशु पालन विभाग के अधिकारियों को पत्र जारी किया गया। अब अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने करीब एक दर्जन घोड़ों समेत अन्य पशुओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। जबकि अन्य पशुपालकों से भी बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अधिकारियों को अवगत कराने के आदेश देते हुए सीएमओ, एनिमल हसबेंडरी के डीजी और एसपी को पत्र लिखते हुए सहयोग की अपील की है।

हवा के माध्यम से जानवरों से इंसानों में पहुंचती है बीमारी

ग्लैंडर्स फार्सी एक जीवाणु जनित बीमारी है। घोड़ों के बाद इंसानों और अन्य पशुओं में यह पहुंचता है। नाक, मुंह और सांस के माध्यम से यह संक्रमण फैलता है। मैलिन नाम के टेस्ट से बीमारी को कन्फर्म किया जाता है। इस बीमारी में घोड़े, खच्चर, गधों के शरीर की गाठों में इंफेक्शन के साथ पस भर जाती है। इस कारण पशु उठ नहीं पाते। शरीर में सूजन होने से अंत में मौत हो जाती है।

ग्लैंडर्स फार्सी का अभी तक इलाज संभव नहीं

ग्लैंडर्स फार्सी बीमारी का फिलहाल देश में कोई इलाज नहीं है। जांच में बीमारी की पुष्टि होने पर घोड़े का अंत दर्द रहित मृत्यु यानी यूथेनेसिया ही है। बीमारी के बारे में पता चलते ही तुरंत घोड़े को दूर कर देना चाहिए। यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाएं तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए।

----जिले में एक घोड़े को ग्लैंडर्स फार्सी बीमारी पाई गई है। हिसार में जांच के बाद इसकी पुष्टि की गई है। कुछ और घोड़ों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। साथ ही एनिमल हसबेंडरी के डीजी, स्वास्थ्य विभाग और एसपी को पत्र लिखा गया है।

डा. सूर्य देव खटकड़, उप निदेशक पशु पालन विभाग, रोहतक।

---- ग्लैंडर्स फार्सी के लिए पशु पालन विभाग के अधिकारियों ने पत्र जारी किया है। उक्त बीमारी हवा औरपशुओं की लार से भी फैल सकती है। सुरक्षा के लिहाज से तैयारियां की जा रहीं हैं।

 डा. विवेक मोर, एपिडोमोलॉजिस्ट स्वास्थ्य विभाग।


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