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संयोग कहें या भगवान की लीला, दो साल पहले बेटी को हादसे में खोया, उसके बर्थ-डे पर जन्मी बेटी

करीब दो साल पहले उत्तर प्रदेश में हुए सड़क हादसे में पांच वर्षीय बेटी पहल उर्फ मिट्ठी को खोने वाले डबवाली के आदर्श नगर निवासी प्रॉपर्टी डीलर हरीश मेहता उर्फ हैप्पी बाबा के घर पुन बेटी ने जन्म लिया है

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 09:17 AM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 09:17 AM (IST)
संयोग कहें या भगवान की लीला, दो साल पहले बेटी को हादसे में खोया, उसके बर्थ-डे पर जन्मी बेटी
डबवाली की पांच वर्षीय बेटी की मौत हुई पर दो साल बाद उसके जन्‍मदिन पर बहन पैदा हुई है

सिरसा/डबवाली [डीडी गोयल]। संयोग कहें या भगवान की लीला। करीब दो साल पहले उत्तर प्रदेश में हुए सड़क हादसे में पांच वर्षीय बेटी पहल उर्फ मिट्ठी को खोने वाले डबवाली के आदर्श नगर निवासी प्रॉपर्टी डीलर हरीश मेहता उर्फ हैप्पी बाबा के घर पुन: बेटी ने जन्म लिया है। इत्फाक देखिए, बुधवार को ही हादसे में मरने वाली बेटी का जन्म दिन था। हैप्पी बाबा ने नवजन्मी बेटी का नाम भी पहल उर्फ मिट्ठी रखा है। इतना ही नहीं खुशी के मारे गली में बर्फी बांटी।

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यह था हादसा

13 जून 2019 की रात को उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत के कस्बा पूरनपुर के नजदीक हुए सड़क हादसे में डबवाली की हुडा कॉलोनी निवासी हरीश मेहता उर्फ हैप्पी बाबा की बेटी पहल (पांच) की मौत हो गई थी। हादसे में हैप्पी तथा उसकी पत्नी सपना के चोट आई थी। जबकि उसका बेटा जय तथा साला प्रिंस निवासी गांव ढुढियांवाली (सिरसा) बाल-बाल बच गए थे। पांचों इनोवा में सवार होकर जिला लखीमपुरखीरी के तहत आने वाले शहर पलियाकलां में आयोजित होने वाली सत्संग में भाग लेने जा रहे थे।

सत्संग का आयोजन गांव गोरीवाला (सिरसा) स्थित डेरा खुशपुर धाम की ओर से किया गया था। इनोवा को हैप्पी चला रहा था। सत्संग स्थल की ओर जाते समय पूरनपुर-खुटार हाईवे पर मोहनपुर चौराहा के पास टूरिस्ट बस ने इनोवा में टक्कर मार दी थी। लखनऊ से वापिस लौट रहे उस समय के पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने घायल हैप्पी बाबा को अपनी गाड़ी में पूरनपूरा सीएचसी में पहुंचाया था। जबकि कुछ लोग पहल तथा सपना को प्राथमिक उपचार के लिए सीएचसी ले आए थे। यहां से बिना उपचार किए ही उन्हें पीलीभीत रेफर कर दिया गया था। पीलीभीत में बेटी ने दम तोड़ दिया।

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पिता हैप्‍पी बाबा ने कहा कि जब हादसा हुआ तो मेरी बेटी 5 वर्ष की थी। वह पहली कक्षा में पढ़ती थी। पिछले दो वर्षों में ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब मैंने उसे याद न किया हो। मैंने भगवान से हर पल उसे वापिस मांगा। भगवान ने मेरी सुनी, पहल के जन्म दिन 14 अप्रैल को ही मुझे बेटी दी। मुझे लगता है कि मेरी खोई बेटी वापस मिल गई है।


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