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12 साल में 3500 बच्चों की अंधेरी जिंदगी में रोहतक दपंती ने घोला शिक्षा का उजियारा

निर्धन बच्चों के जीवन में अंधियारे को दूर करने का बीड़ा रोहतक के दंपती ने उठाया है। खुद पढ़ाई करते हुए उन्होंने देखा कि बहुत बच्‍चे पढ़ाई नहीं कर पाते इसलिए पढ़ाने की शुरुआत की।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 02:25 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 02:25 PM (IST)
12 साल में 3500 बच्चों की अंधेरी जिंदगी में रोहतक दपंती ने घोला शिक्षा का उजियारा
12 साल में 3500 बच्चों की अंधेरी जिंदगी में रोहतक दपंती ने घोला शिक्षा का उजियारा

रोहतक [रतन चंदेल] तंगहाली के चलते निर्धन बच्चों के जीवन में अंधियारे को दूर करने का बीड़ा रोहतक के दंपती ने उठाया है। खुद पढ़ाई करते हुए उन्होंने देखा कि कितने बच्चे गरीबी के चलते पढ़ाई नहीं कर पाते है। तंगहाली की मार झेल रहे ऐसे ही हजारों बच्चों के जीवन को वे शिक्षा से रोशन कर चुके हैं। शिवाजी कालोनी निवासी नरेश ढल एवं उनकी धर्मपत्नी मिनाक्षी ढल गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए पिछले 12 सालों से प्रयासरत हैं। नरेश ढल सेवा के साथ-साथ अपना प्रिटिंग का व्यवसाय एवं धर्मपत्नी मिनाक्षी राजकीय विद्यालय में अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका हैं।

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दंपती का मानना है कि ख्वाहिशें जिंदगी के आयामों को प्राप्त करने का आधार हैं। बिना ख्वाहिशों के जिंदगी नीरस और उत्साहहीन हैं। गरीब बच्चों को शिक्षित बनाना उनकी ख्वाहिश हैं। उनके जीवन को शिक्षा से संवार कर वे इसे पूरा कर रहे हैं। वे जिन बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं उनमें बस्तियों में रहने वाले, कूड़ा-कर्कट उठाने वाले एवं भीख मांगने वाले भी होते हैं। दोनों अब तक लगभग 3500 बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर चुके हैं। पहले उन्होंने कुछ बच्चों को ही निशुल्क पढ़ाना शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे उनसे अनेक बच्चे जुड़ गए।

संस्था बनाकर शुरू किया पढ़ाना

उसके बाद उन्होंने मेक द फ्यूचर ऑफ कंट्री (एमटीएफसी) नाम से एजुकेशनल सोसायटी बनाई। जिसमें ऐसे बच्चे भी जुड़ गए जो दसवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ाई करते थे और यहीं पर छोटी कक्षाओं वाले बच्चों को पढ़ाने का कार्य करने लगे। जिससे दंपति को स्वयंसेवी मिलने लगे। ऐसे में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बच्चों को पढ़ाया भी। समाजसेवियों व दानियों के सहयोग से संस्था ने अपनी जमीन खरीद ली और बच्चों को शिक्षित करने का एक निश्चित स्थान उपलब्ध हाे गया। संस्था के कार्याें को देखते हुए उनको अनेक बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

अनपढ़ता हटाने का चलाया अभियान

संस्था की ओर से अनपढ़ता हटाओ-शिक्षा बढ़ाओ एवं सीखो और सिखाओ नाम से अभियान भी चलाए जा रहे हैं। बच्चों के पढ़ने के लिए नई बिल्डिंग का निर्माण भी किया गया है। सुबह के समय इस बिल्डिंग में बस्तियों के बच्चे स्कूली पढ़ाई करते हैं। तकनीकी शिक्षा पर भी संस्था जोर दे रही है ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों को तकनीकी रूप से भी पारंगत बनाया जा सके। इसी के चलते शाम के समय बड़े बच्चे कंप्युटर भी सीखने आते हैं। इसके अलावा सांस्कृतिक गतिविधियों पर फोकस रहता है।

शिक्षण सामग्री करा रहे उपलब्ध

दंपति का दावा है कि पढ़ाने के साथ-साथ सभी प्रकार की शिक्षण-सामग्री बच्चों को उपलब्ध करवाई जाती हैं जिसका सारा खर्च संस्था व सहयोगकर्ता वहन करते हैं। लगभग 100 स्वयंसेवी इस संस्था से तैयार हुए हैं जो पहले यहीं से पढ़ाई कर चुके हैं। इनमें अधिकतर लड़कियां हैं जो दिन-रात मेहनत करके स्वयं के साथ-साथ अपने से छोटे बच्चों को शिक्षित करने में सहयोग कर रहे हैं।


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