शादी से लौट रहे पति- पत्नी की मौत, चार बेटियां हो गई अनाथ
जितेंद्र (40) व बबली (38) शादी में शामिल होने के पश्चात मोटरसाइकिल से अपने गांव घंघाला आ रहे थे। रास्ते में सहरयारपुर के नजदीक एक पिकअप चालक ने उन्हें टक्कर मार दी।
बहल, जेएनएन। साले की लड़की की शादी से लौट रहे दंपती की दर्दनाक मौत हो गई। जितेंद्र (40) व बबली (38) शादी में शामिल होने के पश्चात मोटरसाइकिल से अपने गांव घंघाला आ रहे थे। रास्ते में सहरयारपुर के नजदीक एक पिकअप चालक ने उन्हें टक्कर मार दी। इससे दोनों की मौत हो गई। मृतक जितेंद्र के भतीजे अजय के बयान पर पुलिस ने अज्ञात पिकअप चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और चालक की तलाश शुरू कर दी है।
मामले के जांच पुलिस अधिकारी एएसआई राजेंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि जितेंद्र व उसकी पत्नी बबली गांव कादमा में अपने साले की लड़की की शादी में शामिल होकर अपने गांव घंघाला मोटरसाइकिल से लौट रहे थे। जब दंपती सहरयारपुर के नजदीक पहुंचे तो तेज रफ्तार पिकअप चालक ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इससे दोनों सड़क पर गिर गए व पिकअप मोटरसाइकिल को घसीटते हुए दूर तक ले गई। इसके चलते दोनों की मौत हो गई।
पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम लोहारू अस्पताल में करवाकर स्वजनों को सौंप दिए हैं और पिकअप चालक अज्ञात चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। जांच अधिकारी के अनुसार गाड़ी के पंजीकरण के आधार पर जल्द ही चालक को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
हादसे ने चार बेटियों को बना दिया अनाथ
बहल: घंघाला के जितेंद्र व बबली की दुर्घटना में सहरयारपुर के पास दर्दनाक मौत ने घर के चिराग सहित चार बेटियों को अनाथ बना दिया। पोस्टमार्टम के बाद जब दंपती के शव गांव पहुंचे तो हर आंख में पानी था। जितेंद्र भी अपने मां-बाप की इकलौती संतान था। बेटियों को अपने माता-पिता की मौत पर सब्र नहीं आ रहा था। बेटियां चीखकर कह रही थीं कि पापा अब कौन बनाएगा काबिल और कौन कराएगा पढ़ाई।
जितेंद्र दंपती की असमय मौत ने मानो पांचों संतानों के जीवन को सदा सदा के लिए लॉकडाउन कर दिया। अपने साले की लड़की की शादी में शरीक होकर कादमा से मोटरसाइकिल पर लौट रहे जितेंद्र-बबली की जान एक तेज रफ्तार पिकअप गाड़ी चालक ने ले ली। जितेंद्र अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाकर काबिल बनाने की चाहत रखता था। उनकी परवरिश में कोई कसर नहीं रखी।
दंपती की बड़ी बेटी बारहवीं कक्षा पढ़ती है। बेटा सबसे छोटा है और दूसरी कक्षा में पढ़ता है। घर में सभी के दिन खुशी व मस्ती में गुजरते थे। अब जब जितेंद्र-बबली की मौत के बाद घर में मातम है। मिलनसार स्वाभाव के जितेंद्र की मौत की सूचना के बाद से पूरे गांव में शोक है।
बचपन में ही जितेन्द्र के सिर से भी उठ गया था पिता का साया
जितेंद्र भी अपने मां-बाप की इकलौती संतान था और बचपन में ही पिता का साया उनके सिर से उठ गया था। मां ने उनका पालन पोषण किया था। शादी के बाद उनके घर चार लड़कियों ने जन्म लिया। इससे जितेंद्र के परिवार में खुशियां थीं। पांचवीं संतान के रूप में बेटा पैदा हुआ तो गांव व रिश्तेदारियों में खुशियां बंटीं।