निगम में जनप्रतिनिधि का अपमान, गृहकर शाखा से पार्षद जुनेजा को भेजा वापस
जागरण संवाददाता हिसार जनता और अफसरों के बीच की कड़ी जनप्रतिनिधियों की निगम की शनिवार
जागरण संवाददाता हिसार : जनता और अफसरों के बीच की कड़ी जनप्रतिनिधियों की निगम की शनिवार को एंट्री बैन मामले ने तूल पकड़ लिया है। नगर निगम पहुंचे सत्तापक्ष के पार्षद महेंद्र सिंह जुनेजा को गृहकर शाखा में शनिवार को एंट्री नहीं दी गई। उनका सार्वजनिक स्थान पर अपमान किया गया जबकि वह निगम का ही हिस्सा है। निगम में कर्मचारियों ने एकतरफा पावर दिखा दी है, वहीं अधिकारी भी कर्मचारियों के पक्ष में आ गए हैं। ऐसे में अब जनता की आवाज उठाने वाले पार्षद भी बेबस हो गए हैं। उधर शुक्रवार को जनता की फाइलों पर स्टेट्स रिपोर्ट मांगने वाली (विभिन्न टैक्स, निगम फीस और तहबाजारी वार्ड-1 से वार्ड-10) की सब कमेटी सदस्य एवं कविता केडिया और उसके पति प्रवीन केडिया पर निगम कर्मचारियों ने जान से मारने की धमकी देने, दस्तावेज छेड़ने, राजनैतिक धौंस दिखाने का आरोप लगाते हुए कमिश्नर के नाम पत्र लिखा है।
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ये है मामला
18 सितंबर 2020 को पार्षद कविता केडिया ने जब गृहकर शाखा में जनता की फाइलों हुई कार्रवाई के बारे में जानने के लिए कर्मचारी से फाइल मांगी तो कर्मचारियों ने उन्हें फाइल नहीं दी। इस पर जनता के काम के लिए पार्षद व कर्मचारियों में बहस हो गई। वहां मौजूद जनता पार्षद के समर्थन में आ गई। तब ज्वाइंट कमिश्नर, उप निगम आयुक्त व कार्यकारी अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ।
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जनता और पार्षदों की एंट्री बैन के पीछे का खेल
पार्षद कविता केडिया बोलीं कि मैंने तो जनता के काम की फाइल मांगी है जिन पर ये कई दिनों से काम ही नहीं करके दे रहे। इस पर ही कर्मचारियों ने अपने पद व पावर का दुरुपयोग करते हुए हमारी एंट्री बैन कर दी है। इनकी जांच होनी चाहिए।
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भ्रष्टाचार के इन मामलों से जाने अफसरों व कर्मचारियों क्यों बढ़ रहा हौसला
- मेयर के पिता को नकदी रसीदें सौंपी, दोषी आज भी पकड़ से दूर।
- गृहकर की 5 हजार बैलेंस सिटी शून्य, दोषी अफसर व कर्मचारी के ठाठ।
- भ्रष्टाचार में चार्जशीट अफसरों को दी पदोन्नति। कुछ दिन बाहर हिसार ही ट्रांसफर। मुख्यालय में भी बेहतरीन सेटिग।
- बेजुबान के लिए दान दिए पैसे का भी कर लिया गबन।
- ई-रिक्शा खरीद में घपला, जिम्मेदार मौन।
- डीएमसी से कुछ दिन पहले ही जो बिल्डिगें चिह्नित की गई, उनमें कई बनकर तैयार।
- मरे हुए के नाम पर नक्शे पास हुए। विभिन्न ब्रांचों से जनता की फाइलें गायब।
- ठेकेदार को लाखों का लाभ पहुंचाने को वारंटी की सड़कों को दोबारा बना डाला। जांच तक नहीं।
- शहर में लगवाए अवैध टावर और बनवाई बेसमेंट, जांच तक नहीं हुई।
- टेंडर भ्रष्टाचार में जिस अधिकारी का नाम आया, उसे ही बाद में नौकरी देकर सौंपे महत्वपूर्ण दस्तावेज।
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ये भी जानें :
- पूर्व डिप्टी मेयर भीम महाजन के हाथ से एक कर्मचारी ने हाजिरी रजिस्टर छीनकर फर्जी हाजिरी भरी और वहां से धौंस दिखाते हुए चला गया। डिप्टी मेयर की शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं।
- मेयर शकुंतला राजलीवाला ने हाउस में कहा- मैंने निगम कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के सुबूत सौंपे थे कि निगम कर्मी कैसे स्ट्रीट वेंडर्स से वसूली करते हैं, लेकिन जांच तक नहीं हुई।
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ये कर सकती हैं चेयरमैन
एडवोकेट रमेश यादव ने बताया कि हरियाणा नगर निगम एक्ट 1994 की धारा 70 (1) के तहत यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपने कार्यों में लापरवाही करता है या दोषी पाया जाता है तो उसे कारण बताओ नोटिस, पद से हटाया जा सकता है। उससे जबरन सेवानिवृत भी किया जा सकता है। उसकी इंक्रीमेंट रोकी जा सकती है।
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पार्षद का अपमान करना गलत है। इस बारे में कर्मचारी से जवाब लेंगे। दोनों पक्षों से बातचीत की जाएगी। उसके बाद इस बारे में बताया जाएगा।
- गौतम सरदाना, मेयर, हिसार।