लॉकडाउन में दो जून की रोटी को मोहताज हुए बेघर व परदेसी मजदूर
संवाद सहयोगी हांसी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से हजारों लोगों के जीवन पर र
संवाद सहयोगी, हांसी: कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से हजारों लोगों के जीवन पर रोजी-रोटी का संकट छा गया। सड़कों पर झोपड़ी बनाकर रहने वाले बेघरों और यूपी-बिहार से आए मजदूर तबके के लोगों दो जून को रोटी को मोहताज हो गए हैं। परदेसी मजदूरों के पास ना ही तो घर वापिस जाने का रास्ता और ना ही यहां रहने के लिए पैसे। क्योंकि इनकी आजीविका हर रोज मिलने वाली दिहाड़ी पर निर्भर थी।
लॉकडाउन ने समाज के निचले तबके के जीवन को हिला कर रख दिया है। प्रदेशभर में लाखों बेघरों जो मजदूरी करके अपना पेट पालते थे उनके पास आय का कोई जरिया नहीं बचा है। वहीं, मजदूरी करने यूपी-बिहार से लाखों लोग प्रदेश में रहते हैं। सरकार के पास इन्हें वापिस भेजने या यहीं आर्थिक सहायता देने जैसा कोई विकल्प नहीं है। दूरसंचार दफ्तार के सामने झुग्गियों में रहने वाले हरिओम, अजय व सुरेश कुमार यूपी से हांसी में आए थे। वह हर रोज मजदूरी करते या घरों से कबाड़ एकत्रित करके 200- 300 रुपये कमाते थे। उन्होंने कहा कि 200-300 रुपये में वह अपने बच्चों का पेट पालते थे व किसी प्रकार की बजत भी उनके पास नहीं है। हालांकि स्थानिय प्रशासन जरुरतमंदों को खाना व रहने के लिए आसरा देने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है। लेकिन ये स्पष्ट है कि इन बेघर व मजदूरों की जिदगी को कोरोना ने संकट में डाल दिया है।