घर के कर्मियों को दी छुट्टी, पत्नी के साथ बनाते हैं खाना, सायं को खेलते हैं बैडमिटन
जागरण संवाददाता हिसार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिह
जागरण संवाददाता, हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह लॉकडाउन को एक अलग ही तरह से गुजार रहे हैं। वह बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद ही उन्होंने अपने घर पर लगे कर्मियों को छुट्टी दे दी। निश्चय किया था कि पति पत्नी दोनों मिलकर खाना बनाने से लेकर घर के दूसरे कामों में एक-दूसरे की मदद करेंगे। अक्सर विश्वविद्यालय के काम से अधिकांश समय घर से बाहर ही गुजरता था, भोजन भी बाहर का ही रहता। प्रो. सिंह बताते हैं कि सुबह 6 बजे से दिनचर्या शुरू होती है। कुछ देर टहलने के साथ योग से खुद को ऊर्जा के बेहतर संचार के लिए तैयार करते हैं। इसके बाद समाचार पत्र के जरिये देश दुनिया व स्थानीय स्थितियों पर नजर दौड़ाते हैं। घर के कर्मियों को छुट्टी दी है तो घर पर नाश्ते से लेकर भोजन पकाने की प्रक्रिया सुबह से शुरू होती है। पत्नी की जितनी मदद हो, वे हर काम में करते हैं। इसके बाद सायं को अपने छोटे बेटे प्रियांक के साथ बैडमिटन खेल के समय व्यतीत कर रहे हैं।
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ऑनलाइन व्यवस्थाएं सुचारू कराना सबसे जरूरी काम
कुलपति प्रो. सिंह बताते हैं कि घर के काम के साथ ही दिन का सबसे जरूरी काम होता है कि विश्वविद्यालय से जुड़े छात्रों को अपने शिक्षण कार्य में किसी भी प्रकार की तकलीफ न हो। इसके लिए ऑनलाइन तकनीक का प्रयोग कर पढ़ाई का स्टेटस जानना दैनिक क्रियाओं में शामिल है। किस प्रकार से छात्रों के लिए पढ़ाई ऑनलाइन विधि से सरल बना सकते हैं, इसके लिए भी सिस्टम तैयार किया है। अधिकांश विद्यार्थियों को जो नोट्स पहुंचाए जा रह हैं उन्हें ऐसा बनाया जा रहा है ताकि पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन की तरह ही वह बिदुबार तैयारी कर सकें। इसके साथ ही एचएयू में नई फसलों, रिसर्च के फील्ड के कार्यों पर भी ध्यान देना जरूरी है, इस पर भी निगरानी रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने एबिक सेंटर के माध्यम से बेविनार आयोजित कराया। अब तकनीकि विश्वविद्यालय की पढ़ाई का अहम हिस्सा बन गई है।
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किसानों के लिए जरूरी एडवाइजरी जारी की
रबी की फसल कटने का समय आ गया था। ऐसे में किसानों को चिता थी कि कोरोना से बचाव के साथ-साथ कैसे कृषि कार्यों को करें, इसके लिए एचएयू के विशेषज्ञों के माध्यम से हमने किसानों के लिए खेतों में काम करने से लेकर मंडी तक लाने तक के लिए सुझाव जारी किए, जिसे फील्ड पर किसान अपना भी रहे हैं।