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अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित छह देशों के साथ काम करेगी एचएयू, 4.62 करोड़ की छह परियोजनाएं मिलीं

एचएयू को यूएसए कनाडा कोलंबिया न्यूजीलैंड स्विट्जरलैंड और सिडनी के साथ काम करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने दी 4.62 करोड़ रुपये की छह अनुसंधान परियोजनाएं।

By manoj kumarEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 04:23 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 04:23 PM (IST)
अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित छह देशों के साथ काम करेगी एचएयू, 4.62 करोड़ की छह परियोजनाएं मिलीं
अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित छह देशों के साथ काम करेगी एचएयू, 4.62 करोड़ की छह परियोजनाएं मिलीं

जेएनएन, हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्‍वविद्यालय को साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक राशि की छह अनुसंधान परियोजनाएं मिलीं हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा मिली इन परियोजनओं के तहत विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिक अन्य देशों के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर अनुसंधान करेंगे। कुलपति प्रो. केपी सिंह ने बताया कि मंत्रालय की शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना स्कीम फॅार प्रमोशन ऑफ एकेडमिक व रिसर्च कोलाब्रेशन 'स्पार्क के तहत हरियाणा कृषि विश्‍वविद्यालय की छह अनुसंधान परियोजनाएं स्वीकार किया है। इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 4.62 करोड़ की रुपये की राशि मंत्रालय की तरफ से प्रदान की गई है। कुलपति ने बताया कि सभी छह परियोजनाएं दो वर्ष अवधि की हैं। इन परियोजनाओं के तहत विश्‍वविद्यालय में पीएचडी कर रहे 12 विद्यार्थियों को विदेशी सहयोगी विश्‍वविद्यालयों में शोध करने का अवसर मिलेगा। इसके अतिरिक्‍त इन सहयोगी विश्‍वविद्यालयों के वैज्ञानिक यहां आएंगे और यहां की फैकल्टी और विद्यार्थियों का व्याख्यानों व प्रशिक्षणों द्वारा नवीन तकनीकों के बारे मार्गदर्शन करेंगे।

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स्पार्क योजना के तहत भारतीय और विदेशी संस्थान मिलकर करते हैं अनुसंधान 

कुलपति प्रो. केपी सिंह ने बताया कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के उद्देश्य से गत वर्ष अक्तूबर माह में स्पार्क योजना शुरू की थी। इसके तहत शीर्ष स्थान पर बने हुए भारतीय संस्थान और विदेशी संस्थान आपस में मिलकर संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य करेंगे। इस योजना के तहत पूरे देश से उन शोधकर्ताओं जिनका विश्‍व प्रसिद्ध विदेशी विश्‍ववविद्यालयों के साथ सहयोग है, से अनुसंधान परियोजनाओं को आमंत्रित किया गया था।

जानिए कितने रुपये की, कौन सी परियोजना के तहत किस देश के साथ होगा शोध

1.  यूएसए के साथ कम सिलिकॉन वाले चावल के विकास पर शोध 

धान की पराली प्रबंधन के लिए कम सिलिकॉन युक्‍त चावल का विकास परियोजना पर अमेरिका के साथ मिलकर काम किया जाएगा। 96.55 लाख रुपये की इस परियोजना में एचएयू से प्रो. पुष्पा खरब व डा. उपेंद्र कुमार यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स से डा. ओमप्रकाश धनखड़ व वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के डा. कुलविंदर सिंह गिल के साथ मिलकर शोध कार्य करेंगे।

2.  सोयाबीन में स्ट्रेस-टॉलरेंस के लिए कनाडा के साथ मिलकर करेंगे शोध 

सोयाबीन में स्ट्रेस-टॉलरेंस एवं उत्पादन परियोजना के तहत 78.32 लाख रुपये खर्च होंगे। इस परियोजना पर एचएयू के डा. विनोद गोयल व राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान मोहाली की डा. हमिरा सोनाथ कनाडा की लावल यूनिवर्सिटी के प्रो. फ्रेंकोइस बेलजिले व प्रो. रिचर्ड बेलांगर मिलकर कार्य करेंगे।

3.  फसल अवशेष प्रबंधन में कोलंबिया के साथ 

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य तकनीकी परियोजना पर 74.73 लाख रुपये खर्च होंगे। एचएयू के डा. योगेन्द्र कुमार यादव व डा. यादविका यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के डा. एंथनी लाउ व डा. शहाब सोखनगंज के साथ मिलकर अनुसंधान करेंगे।

4. औषधीय पौधों के लिए न्यूजीलैंड के साथ

औषधीय पौधों (मोरिंगा और गोखरू) के लिए बीज परीक्षण प्रक्रियाओं व भंडारण क्षमता का मानकीकरण परियोजना पर 62.88 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके तहत एचएयू के डा. अक्षय कुमार भुकर व डा. विरेंद्र सिंह मोर न्यूजीलैंड की मैसी यूनिवर्सिटी के क्रेग राबर्ट व सोफकोवा के साथ मिलकर शोध करेंगे।

5.  कृषि मौसम संबंधी तकनीकों में स्विट्जरलैंड के साथ 

कृषि मौसम संबंधी तकनीकों के माध्यम से जलवायु स्मार्ट खेती को बढ़ावा देने के लिए 75 लाख रुपये की परियोजना मिली है। इसके तहत एचएयू के डा. सुरेन्द्र सिंह धनखड़ व डा. राज सिंह, स्विट्जरलैंड के इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस के डा. युगैस्टर वर्नर व डा. माना घारूण के साथ मिलकर शोध करेंगे।

6.  खाद्य सुरक्षा में सिडनी के साथ 

खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए गेहूं पर अनुसंधान के लिए 75 लाख रुपये की परियोजना एचएयू को मिली है। इस परियोजना के तहत एचएयू की डा. रेणू मुंजाल व डा. विनोद गोयल के अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की डा. उर्मिल बंसल व डा. हरबंस बरीयाना शामिल हैं, जो गेहूं अनुसंधान पर काम करेंगे।


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