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कचरे और पराली से बिजली बनाएगा एचएयू, बन रहा देश का पहला मेकेनाइज्ड बॉयो वेस्ट प्लांट

विश्वविद्यालय और हिसार शहर का कचरा लेकर कैंपस में बिजली तैयार होगी। खाद और बॉयो गैस भी बनेगी। हरियाणा में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली का भी हो सकेगा प्रबंधन।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 04:45 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 04:45 PM (IST)
कचरे और पराली से बिजली बनाएगा एचएयू, बन रहा देश का पहला मेकेनाइज्ड बॉयो वेस्ट प्लांट
कचरे और पराली से बिजली बनाएगा एचएयू, बन रहा देश का पहला मेकेनाइज्ड बॉयो वेस्ट प्लांट

हिसार [वैभव शर्मा] चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) कचरे से ऊर्जा स्वावलंबन की ओर आगे बढ़ रहा है। एचएयू अपने कैंपस का ही नहीं, शहर के अन्य हिस्सों से भी निकले कचरे से खुद ही बिजली और सीएनजी गैस बनाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय में करीब 6 करोड़ की राशि से आस्ट्रिया की कंपनी की मदद से सीएनजी बायोगैस प्लांट का निर्माण शुरू हो चुका है। इस प्लांट में पराली, वेस्ट फूड और गोबर एवं घरेलू कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। कचरे की पूॢत होती रहे इसके लिए शहरवासी भी प्लांट में कचरा बेचकर आय कर सकेंगे। प्लांट पर अभी तक 90 फीसद काम पूरा भी हो चुका है।

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खास बात यह है कि इस प्लांट की मदद से एचएयू का पूरा कैंपस अपनी खुद की बनाई बिजली से रोशन होगा और सीएनजी गैस से कैंपस की गाडिय़ां सरपट दौड़ेंगी। हाल ही में यहां कचरा से बायो गैस भी बनाई गई, जिसे सिलेंडर में स्टोर किया गया। आस्ट्रिया की कंपनी के कर्मचारियों की देखरेख में इसका निर्माण फेज वाइज किया जा रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले दो महीने में ये प्लांट अपना काम भी शुरू कर देगा।

कचरा निस्तारण की समस्या होगी हल
एचएयू के इस कदम से कैंपस में रोजाना जनरेट होने वाले कचरे के निस्तारण में मदद मिलेगी। इसके अलावा कृषि अवशेषों का इसमें प्रयोग किए जाने से लोग फसल अवशेष जलाने से भी परहेज करेंगे। भविष्य में एचएयू शहर का कचरा और किसानों की पराली भी लेगा। इसके साथ ही यहां खाद और बॉयो गैस भी तैयार की जा सकेगी। यही नहीं आगे चलकर शहरवासियों को भी एचएयू फीलिंग स्टेशन के माध्यम से सीएनजी मुहैया करवाया जाएगा।

----विश्वविद्यालय को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में एग्री वेस्ट बॉयो गैस प्लांट बहुत मदद करने वाला है। इस के जरिये हम बिजली, बॉयो गैस और सीएनजी गैस बनाने जा रहे हैं।

---प्रो.समर सिंह, कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार

यह होगी प्लांट की विशेषताएं
- प्लांट क्षमता- 100 किलोवाट
- फीड इनपुट - 10 टन प्रतिदिन
- सब्स्ट्रेस - गोबर, फूड वेस्ट, फसल अवशेष (पराली), रसोई का कचरा
- बायोगैस उत्पादन- 2 लाख घन मीटर
- कुल ऊर्जा उत्पादन - 2.236 मेगा वाट आवर प्रति वर्ष
- कुल विद्युत उत्पादन- 800 मेगावाट आवर प्रति वर्ष
- थर्मल क्षमता- 128 किलोवाट
- कुल ताप उत्पादन- 992 मेगा वाट आवर प्रति वर्ष
- अनुकूलित जैविक खाद- 5 टन प्रतिदिन


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