Move to Jagran APP

एचएयू ने खोच निकाला किसानों की बड़ी समस्‍या हल, अब गेहूं में नहीं लगेगा पीला रतुआ

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं विभाग के वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म डब्ल्यूएच 1184 तैयार की है जो पीला रतुआ बीमारी का प्रतिरोधक है। राज्य सरकार से किस्म की स्वीकृति भी मिल गई

By manoj kumarEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 12:22 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 12:22 PM (IST)
एचएयू ने खोच निकाला किसानों की बड़ी समस्‍या हल, अब गेहूं में नहीं लगेगा पीला रतुआ
एचएयू ने खोच निकाला किसानों की बड़ी समस्‍या हल, अब गेहूं में नहीं लगेगा पीला रतुआ

हिसार [संदीप बिश्नोई] गेहूं में पीला रतुआ रोग से परेशान रहने वाले किसानों के लिए यह राहत देने वाली खबर है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं विभाग के वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म डब्ल्यूएच 1184 तैयार की है जो पीला रतुआ बीमारी का प्रतिरोधक है। राज्य सरकार की तरफ से इस किस्म की स्वीकृति भी मिल गई है मगर अभी राष्ट्रीय स्तर पर इस किस्म का रिलीज होना बाकी है। विश्वविद्यालय के मेला ग्राउंड में आयोजित कृषि मेले में इस किस्म को किसानों को दिखाने के लिए प्रदर्शित किया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार इस किस्म के किसानों तक पहुंचने में एक से डेढ़ साल लगेगा। बता दें कि पीला रतुआ गेहूं की फसल को खराब कर देता है। इससे पैदावार बहुत कम होती है। किसानों की मेहनत पर रतुआ से पानी फिर जाता है।

loksabha election banner

चार जिलों में देखा प्रभाव, 15 फीसद कम हुई फसल

गेहूं वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की नई किस्म प्रयोग की कसौटी पर खरी उतर चुकी है। विश्वविद्यालय ने जीटी रोड बेल्ट के सोनीपत, पानीपत, यमुनानगर और अंबाला जिलों में गेहूं में पीला रतुआ की बीमारी का आंकलन किया था। वैज्ञानिकों के अनुसार इन्हीं क्षेत्रों में पीला रतुआ का प्रकोप अधिक है। यहां पर गेहूं के उत्पादन में 12 से 15 फीसद कमी दर्ज की गई थी। इस क्षेत्र में नई किस्म के बीज के प्रयोग करने वालों किसानों की फसल में यह समस्या नहीं दिखी। वहीं हिसार, भिवानी, रोहतक, महेंद्रगढ़, झज्जर आदि जिलों में पीला रतुआ न के बराबर है। 

70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है अधिकतम उत्पादन

वैज्ञानिकों ने बताया कि डब्ल्यूएच 1184 किस्म का औसत उत्पादन 58 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म से अधिकतम उत्पादन 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर लिया जा सकता है। इसका दाना मोटा और चमकदार है। इसके अलावा इस किस्म के अधिकांश गुण डब्ल्यू एच 1105 किस्म से मिलते-जुलते हैं। यह किस्म पकाई पर उच्च तापमान को सहन कर सकती है।

--हमारे वैज्ञानिक प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हर एंगल पर काम कर रहे हैं। नई किस्म विश्वविद्यालय के फार्म पर बेहद सफल साबित हुई है। अब इसे किसानों के खेतों में प्रयोग के तौर पर लगाया है और अभी तक इसमें पीला रतुआ बीमारी नहीं आई है।

- प्रो. केपी सिंह, कुलपति, एचएयू।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.