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देश के खाद्यान्न में प्रमुख योगदान दे रही एचएयू, अब स्टार्ट अप के लिए खोज रही युवा

विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। इनमें से देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा मिली प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार व हाल ही में विश्वविद्यालय को मिली प्रथम अटल रैंकिंग शामिल हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 01:28 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 01:28 PM (IST)
अब तक एचएयू में 250 उन्नत व रोग प्रतिरोधी किस्म की फसलें विकसित की गई हैं।

 हिसार, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का हरियाणा ही नहीं बल्कि देश में प्रमुख योगदान है। विश्वविद्यालय अपनी स्थापना से लेकर अब तक विभिन्न फसलों की 250 नई व उन्नत किस्में विकसित कर चुका है, जो रोग प्रतिरोधी व अधिक पैदावार देने वाली हैं। यह किस्में हरियाणा ही नहीं बल्कि देश के दूसरे राज्यों में भी किसानों की पसंद बनी हुई हैं। खास बात यह है कि अब कृषि क्षेत्र में स्टार्ट अप के लिए एचएयू ने इन्वेस्टर समिट आयोजित की है। जिसके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। जिसमें नाबार्ड के अधिकारियों ने भी शिरकत की है।

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कृषि विकास के लिए अब तक 533 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमओयू साइन हो चुके हैं। खास बात यह है कि अभी तक विश्वविद्यालय को 17 पेटेंट, 5 कॉपीराइट और 2 डिजाइनों को स्वीकृति मिल चुकी है। इसके अलावा 49 पेटेंट, 1 कॉपीराइट व 2 डिजाइन विश्वविद्यालय की ओर से स्वीकृति के लिए अप्लाई किए गए हैं। विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। इनमें से देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा मिली प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार व हाल ही में विश्वविद्यालय को मिली प्रथम अटल रैंकिंग शामिल हैं।

महिलाओं, युवाओं व किसानों के उत्थान के लिए प्रयासरत

विश्वविद्यालय ग्रामीण व शहरी महिलाओं, युवाओं व प्रदेश के किसानों को स्वावलम्बी, समृद्ध और आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की दिशा में प्रयासरत है। इसमें महिलाओं के लिए गृह विज्ञान महाविद्यालय द्वारा विभिन्न प्रकार के कोर्स व सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान द्वारा कराए जाने वाले कोर्स व प्रशिक्षण शामिल हैं। इसी प्रकार विश्वविद्यालय में कृषि अवशेष प्रबंधन हेतु नवाचार केंद्र स्थापित किया गया है, जिसके शुरू होने के बाद बायोगैस व सीएनजी गैस के साथ-साथ कृषि अवशेषों से खाद व बिजली उत्पादन भी शुरू हो जाएगा।

दीन दयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र

यह जैविक खेती की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है। इस केंद्र के माध्यम से ऐसी फसलों व फलों को उपजाया जा रहा है जो अकसर हरियाणा के मौसम और परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हैं। केले के बाज जिसमें खास हैं। प्रत्येक वर्ष यह अच्छा मुनाफा भी दे रहे हैं। इसके साथ ही उत्तर भारत के एकमात्र व देश के दूसरे एग्री बिजनेस सेंटर की शुरूआत की है, जिसमें कोई भी किसान, युवा, गृहिणी, विद्यार्थी इत्यादि कृषि व कृषि से संबंधित इनोवेटिव आइडिया को लेकर इस केंद्र के माध्यम से अपना व्यवसाय स्थापित कर सकता है।


ये तरीके अपना किसान बढ़ा सकते हैं आमदन

फसल विविधिकरण, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह व बेहतर तकनीकों को अपनाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। बागवानी, कृषि वानिकी, मधुमक्खी पालन, पुष्प उत्पादन, पशुपालन, मुर्गीपालन, खुम्ब उत्पादन, मत्स्य पालन, केंचुआ खाद उत्पादन इत्यादि व्यवसाय अपनाकर किसान छोटी जोत होते हुए भी अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। उन्नत किस्मों के बीजों के प्रयोग, बीज उपचार, जैविक खाद, समन्वित कीट प्रबंधन, समन्वित खाद प्रबंधन, जैविक खेती एवं रासायनिक उर्वरकों के कम इस्तेमाल से किसान खेती में होने वाले खर्चें को कम करके आर्थिक रूप से ज्यादा समृद्ध हो सकते हैं।


महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर

इसी प्रकार महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय के प्रत्येक जिले में स्थापित कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से सिलाई-कढ़ार्ई, डेयरी फार्मिगं, फल व सब्जी इत्यादि को लेकर दिए जाने वाले प्रशिक्षण के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार स्थापित कर अपनी आजीविका चला सकती हैं। खेती से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए विश्वविद्यालय की निश्शुल्क दूरभाष सेवा व मौसम से संबंधित जानकारी के लिए ई-मौसम के माध्यम से देश व प्रदेश के लाखों किसान लाभ उठा रहें हैं।


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