Haryana Weather News: हरियाणा में 11 सितंबर तक मानसून सक्रिय, जानें कैसा बना रहेगा मौसम का मिजाज
एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तर पाश्चिमी राजस्थान व इस के साथ लगते पंजाब के पास बने होने से राज्य में मानसून 11 सितम्बर तक सक्रिय बने रहने की संभावना है। 11 सितम्बर तक ज्यादातर क्षेत्रों में आमतौर पर परिवर्तनशील बीच- बीच में बादलवाई तथा कहीं कहीं बारिश होने की संभावना है।
जागरण संवाददाता, हिसार। हरियाणा में मौसम परिवर्तनशील बना हुआ है। कभी धूप होती है तो कभी बादल छा जाते हैं। कहीं कहीं हल्की बारिश भी हो रही है। वहीं अनुमान है कि दक्षिण पश्चिम मानसून अब 11 दिन बाद वापस हो जाएगा। 20 सितंबर को मानसून के वापस होने का मौसम विज्ञानी अनुमान लगा रहे हैं। लोगों को आगामी दिनों में भी मानसून की बारिश से राहत मिल सकती है। पिछले कुछ समय से बारिश से प्रदेश में वायु की गुणवत्ता अच्छी बनी हुई है।
हरियाणा से छह से सात शहरों में प्रदूषण काफी निचले स्तर पर है। मौसम विज्ञानियों ने इन दिनों में बारिश के आसार भी जताए हैं और पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश हो भी रही है मगर फिर भी पांच जिले बारिश से अछूते रहे हैं। कहीं पर बारिश ज्यादा हुई है, इससे फसल खराब होने के भी आसार बने हुए हैं। यहां लोग नहीं चाहते की अब और बारिश हो। झज्जर बहादुरगढ़ और हिसार के साथ लगते कुछ जिलों में पानी ज्यादा गिरा है।
एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तर पाश्चिमी राजस्थान व इस के साथ लगते पंजाब के पास बने होने से राज्य में मानसून 11 सितम्बर तक सक्रिय बने रहने की संभावना को देखते हुए मौसम 11 सितम्बर तक ज्यादातर क्षेत्रों में आमतौर पर परिवर्तनशील रहने, बीच- बीच में बादलवाई तथा कहीं कहीं बारिश होने की संभावना है। जिससे दिन व रात्रि के तापमान में हल्की गिरावट व हवा में नमी की अधिकता बने रहने की संभावना है। प्रदेश के पांच जिले ऐसे हैं जहां बारिश अभी भी सामान्य से काफी कम है। इसमें अंबाला, भिवानी, पंचकूला, रोहतक व यमुनानगर शामिल हैं।
बारिश का फसलों पर प्रभाव
बारिश का फायदा फसलों को भी हो रहा है। धान के लिए यह बारिश काफी अच्छी है। इसके साथ ही फसलों को जलने से भी बारिश बचाने का काम करेगी। क्योंकि पिछले कई दिनों से तापमान लगातार बढ़ रहा था। मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को फसलों व सब्जियों की सिंचाई व रसायन का छिड़काव रोकने की सलाह दी गई है। हालांकि ग्वार की फसर में यह बारिश नमी लाने का काम करेगी जिससे फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है। क्योंकि ग्वार में पहले से ही कई रोग लगे हुए हैं।