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गुरुकुल शिक्षा प्रणाली संस्कारों की जननी है : स्वामी आर्य वेश

स्वामी सर्वदानंद सरस्वती द्वारा स्थापित गुरुकुल धीरणवास के 50वां वार्षिकोत्सव का समारोह।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 09:04 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 09:04 PM (IST)
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली संस्कारों की जननी है : स्वामी आर्य वेश

फोटो-31

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हिसार (वि) : स्वामी सर्वदानंद सरस्वती द्वारा स्थापित गुरुकुल धीरणवास के 50वां वार्षिकोत्सव शनिवार को यज्ञ के साथ प्रारम्भ हुआ। दो दिवसीय वार्षिकोत्सव में राष्ट्रीय प्रार्थना व जय घोष के साथ गुरुकुल के प्रधान स्वामी आदित्यवेश ने ध्वजारोहण किया। महोत्सव में आयोजित समाज सुधार सम्मेलन की अध्यक्षता नंदराम सांगवान ने की व मुख्य अतिथि राजेन्द्र सिंह गावडिया व विशिष्ठ अतिथि पूर्व मंत्री कंवल सिंह रहे। सम्मेलन के मुख्य वक्ता स्वामी आर्यवेश रहे। समारोह में आर्य समाज में विशेष योगदान के लिए आर्य समाज के वरिष्ठ महानुभावों को आर्य रत्न देकर सम्मानित किया गया। स्वामी आर्यवेश व कार्यकारिणी के सदस्यों ने पूर्व मंत्री चौधरी हरिसिंह सैनी, मुकलान से बदलूराम आर्य, आचार्य रामस्वरूप शास्त्री, बालसमंद से इंद्रजीत आर्य तथा महात्मा शमशेर सिंह को सम्मानित किया। इस अवसर पर 10 वरिष्ठ आर्यजनों को आर्य गौरव सम्मान भी प्रदान किया गया। समारोह में आयोजित शिक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्व उपकुलपति कृष्ण सिंह खोखर ने की। डॉक्टर नेपाल सिंह, नरदेव बेनीवाल, कल्याणी आर्या आदि ने संबोधित किया। व्यायाम सम्मेलन के मुख्य अतिथि वेद प्रकाश सोनी रहे। प्रदर्शन सोनू आर्य व सहसंरपाल आर्य ने करवाया। जुडो कराटे, योगासन, कमांडो, स्तूप निर्माण आदि का कार्यक्रम विशेष रहा। समारोह में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य देव दत रहे। चौधरी हरि सिंह सैनी ने कहा कि स्वामी दयानंद ने सबसे पहले आर्ष शिक्षा की ओर देश का ध्यान खींचा। वो पहले दार्शनिक थे जिसने देश को एक नई दिशा दी। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली प्रधान व गुरुकुल धीरणवास के कुलपति स्वामी आर्यवेश ने कहा की गुरुकुल शिक्षा प्रणाली संस्कारों की जननी है। उन्होंने कहा कि गुरुकुलों में मानव निर्माण के साथ साथ संस्कृति को बचाने व ऋषियों की परंपरा को आगे बढ़ाने के कार्य किये जा रहे हैं। गुरुकुल धीरणवास के अध्यक्ष स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाए। क्योंकि लार्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली से हम अपने नैतिक रूप से सक्षम व्यक्ति तैयार नही कर सकते। राष्ट्रवादी युवाओं के निर्माण व मातृ पितृ सेवाभावी बच्चे गुरुकुलों से ही सम्भव हैं।


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