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अब चूहों से होगा ब्रेन इंजरी का इलाज

सिर में चोट से शरीर के अन्य अंग प्रभावित न हों, ऐसी दवाई को चूहों पर टेस्ट कर रही जीजेयू की शोधार्थी

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 12:56 PM (IST)
अब चूहों से होगा ब्रेन इंजरी का इलाज
अब चूहों से होगा ब्रेन इंजरी का इलाज

जेएनएन, हिसार : हादसे के दौरान सिर में चोट लगने के कारण व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होना, लकवा, लिखने-बोलने की क्षमता खोने जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। जिसके कारण इंसान की जान तक भी चली जाती है। सिर में चोट के असर से उपरोक्त तरह की बीमारियां न हों और इंसान को बचाया जा सके, इसके लिए अभी तक कोई प्रभावशाली दवा नहीं बनी है। गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग में इस तरह की प्रभावशाली दवा पर फार्मास्युटिकल विभाग की शोधार्थी निधि रिसर्च कर रही है। दवाई को टेस्ट करने के लिए विश्वविद्यालय के एनीमल हाउस में चूहों को ब्रेन इंजरी की गई है, ताकि उनमें याद्दाश्त कमजोर होने सहित दिमाग से होने वाली अन्य बीमारियां पैदा हों। इसके तहत चूहों के सिर में निर्धारित स्टेंडर्ड और तकनीक के अनुसार सिर में चोट मारी जाती है, ताकि उसका असर उसके पूरे सिर व दिमाग में हो। इसके बाद उनके शरीर की कार्यशैली में हुए बदलाव के अनुसार उन पर दवाई टेस्ट की जा रही है। यानी अगर चूहे ठीक हुए तो यह शोध इंसानों के लिए वरदान साबित होगा।

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दिमाग की चोट से अन्य अंगों की कार्यशैली में हो जाता है बदलाव

निधि ने बताया कि दिमाग में विभिन्न अलग-अलग जगहों पर चोट लगने से शरीर के अलग-अलग हिस्सों की कार्यशैली में बदलाव हो जाता है। मसलन याद्दाश्त कमजोर हो जाना, लिखने-बोलने या सुनने की समस्या, चलने में दिक्कत, लकवा, हार्ट, पेट में गैस, किडनी और लीवर आदि से जुड़ी समस्या हो जाती है। जिसके कारण देश में बहुत अधिक मौतें होती हैं। इसलिए जीजेयू की शोधार्थी निधि ने इवेल्यूशन ऑफ सम ¨सथेटिक डेरिवेटिव इन ब्रेन ट्रामा इन लैबोरेट्री एनीमल्स नामक प्रोजेक्ट शुरू किया है। निधि ने बताया कि एक ड्रग्स की पहचान कर उसे चूहों पर जांचा जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी ऑर्गेनाइजेशन आइबीआरओ में प्रेजेंटेशन दे चुकीं निधि -

जीजेयू से पीएचडी कर रही शोधार्थी निधि एमडीयू में एमफार्मा की गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। वह दो बार आइबीआरओ यानि इंटरनेशनल ब्रेन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में (शिलांग और सितंबर 2017 में इरान के कैरेमन में) प्रेजेंटेशन दे चुकी हैं। दुनिया की ब्रेन की इस मुख्य ऑर्गेनाइजेशन में प्रेजेंटेशन के लिए तब देशभर से केवल दो ही शोधार्थियों का चयन हुआ था। निधि फिलहाल डीएसटी यानि डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से इंस्पायर (एसआरएफ) फैलोशिप के तहत अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।

विश्वभर में दिमाग में चोट के कारण शरीर के अन्य अंगों के काम नहीं करने के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए यह बड़ा विषय है। अभी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

- प्रो. सुनील कुमार, प्रोफेसर, फार्मास्युटिकल विभाग, जीजेयू हिसार।


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