हाथ नहीं होने की नहीं खलेगी कमी, जीजेयू के शोधार्थी तैयार करेंगे रोबोटिक हैंड Hisar news
गुजवि के मैकेनिकल इंजीनियर विभाग का शोद्यार्थी बनाएगा एडवांस रोबोटिक हैंड। गुजवि के शोधार्थी व टीम को रोबोटिक हैंड बनाने के लिए दीन दयाल उपाध्याय सेंटर से मिलेगा 20 लाख का फंड
हिसार [सुभाष चंद्र] भारत के उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बंधी है, जो कोहनी से नीचे हाथ दुर्घटना में कट जाने से या बचपन से ही हाथ न होने के कारण रोजमर्रा के काम नहीं कर पाते। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय (गुजवि) हिसार के मैकेनिकल इंजीनियर विभाग के शोद्यार्थी रोबोटिक हैंड बनाएंगे। विश्वविद्यालय में दीन दयाल उपाध्याय इनोवेशन एंड इनक्यूबेसन सेंटर की ओर से रोबोटिक हैंड (प्रोस्थैटिक हैंड) प्रोजेक्ट के लिए उन्हें 20 लाख रुपये की सहायता राशि भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
पं. दीन दयाल उपाध्याय सेंटर स्थापित किए जाने पर विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों व बाहरी लोगों से अपने इनोवेटिव आइडिया को प्रोडक्ट का रूप देने के लिए आवेदन मांगे थे, जिसमें पहले फेज के तहत मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग में पीएचडी शोद्यार्थी मुनीश के रोबोटिक हैंड के प्रोजेक्ट को चुना गया था। इस प्रोडक्ट को बनाने के लिए दीन दयाल उपाध्याय सेंटर की ओर से सहायता राशि सेंशन की गई है। प्रोडक्ट बनाने में विभाग के अध्यक्ष प्रो. पंकज खटक व डा. सुमित मुनीश के मेंटर रहेंगे, साथ ही विभाग के कुछ अन्य स्टूडेंट्स भी उनकी टीम में शामिल है।
एक लाख तक होगी रोबोटिक हैंड की कीमत
मुनीश ने बताया कि रोबोटिक हैंड की पहले फेज की कीमत एक लाख रुपये तक होगी। दूसरे फेज में इसकी कीमत को कम करने का प्रयास किया जाएगा। यह एडवांस रोबोटिक हैंड मसल्स को सेंसर से जोड़ कर बनाया जाएगा, जिसके लिए मसल्स सेंसर का इस्तेमाल होगा। यह रोबोटिक हैंड सामान्यत: मार्केट में मिलने वाले रोबोटिक हैंड से काफी एडवांस होगा, जिसमें उंगलियों की मूवमेंट पर अधिक काम किया जाएगा। मार्केट में मौजूदा समय में मिलने वाले अधिकतर रोबोटिक हैंड सिर्फ एक या दो मूवमेंट में ही काम करते है, जिससे रोजमर्रा के काम करने में काफी मुश्किल आती है, लेकिन यह रोबोटिक हैंड इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे प्राकृतिक हाथ की तरह से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
विदेशों में मिलने वाला सामान यहीं होगा तैयार
एडवांस रोबोटिक हैंड को बनाने में इस्तेमाल होने वाला अधिकतर सामान जो विदेशों में मिलता है। उस सामान को विवि में ही तैयार किया जाएगा। इसमें राबोटिक हैंड के इंटरनल पार्ट समेत बाहरी आवरण को विश्वविद्यालय में ही तैयार किया जाएगा।
यहां से मिला आइडिया
मुनीश ने बताया कि उनके गांव में उनके एक जानकार का दुर्घटना में हाथ कट गया था, जिसके चलते वह लाचार हो गए। वहां से आइडिया मिला कि अगर कोई रोबोटिक हैंड होता तो उनके काम आ सकता था। इस आइडिया को लेकर रिसर्च की और मार्केट में मिल रहे सामान्य रोबोटिक हैंड का भी अध्ययन किया। इसके बाद रोबोटिक हैंड के आइडिया पर इसे प्रोडक्ट का रूप देने के लिए आवेदन किया।
--विद्यार्थियों व अन्य लोगों को उनके इनोवेटिव आइडिया पर प्रोडक्ट बनाने के लिए दीन दयाल उपाध्याय सेंटर की ओर से फंड उपलब्ध करवाया जा रहा है। पहले फेज के अनुसार चुने गए आवेदनकर्ताओं को उनके आइडिया के हिसाब से फंड सेंक्शन किया है। उन्हें प्रोडक्ट बनाकर दीन दयाल उपाध्याय सेंटर को सबमिट करना होगा।
- प्रो. टंकेश्वर कुमार, वीसी, गुजवि।