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फसलों की गिरदावरी राजस्व विभाग के लिए बनी गले की फांस

सुभाष पंवार सिवानी मंडी राजस्व विभाग के लिए किसानों की फसल गिरदावरी लगातार गले की फांस

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 08:53 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 08:53 AM (IST)
फसलों की गिरदावरी राजस्व विभाग के लिए बनी गले की फांस

सुभाष पंवार, सिवानी मंडी : राजस्व विभाग के लिए किसानों की फसल गिरदावरी लगातार गले की फांस बनती जा रही है। अलग-अलग तीन महकमों द्वारा की गई गिरदावरी में डाटा मिस मैच होता नजर आ रहा है। इसी कारण राजस्व विभाग के अधिकारी, पटवारी और प्रशासन के अधिकारी भी असमंजस में है कि आखिर इस गिरदावरी को किस ढंग से किया जाए। इसके चलते राजस्व विभाग के कर्मचारी व नायब तहसीलदार अवकाश के दिन भी खेतों में व कार्यालयों में काम पर लगे दिखाई देते हैं।

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बता दें कि सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से राजस्व विभाग से गिरदावरी की रिपोर्ट मांगी है ताकि किसानों की वास्तविक फसलों को खरीदा जा सके, क्योंकि कृषि विधेयक को लेकर पहले ही किसान सड़कों पर उतर चुके हैं। ऐसे में सरकार ऐसा कोई कदम नहकं उठाना चाहती, जिससे किसान नाराज हों और किसानों को कोई मामूली सा भी नुकसान हो। इस वास्तविक जिम्मेदारी खासतौर पर तहसीलदार और नायब तहसीलदार के अलावा उपमंडल स्तर पर एसडीएम की होती है। लेकिन गिरदावरी का डाटा लगातार मिस मैच हो रहा है। हालांकि पिछले दिनों गांव में जाकर के पटवारियों ने मौके पर जाकर किसानों की फसलों की गिरदावरी की थी, लेकिन इसके बावजूद सेटेलाइट से की गई गिरदावरी और किसानों द्वारा ऑनलाइन करवाई गई फसल तीनों में काफी फर्क आ रहा है । हरसैक द्वारा सेटेलाइट से करवाई गई फसलों की गिरदावरी और राजस्व विभाग के पटवारियों द्वारा की गई गिरदावरी भी आपस में मेल नहीं खा रही है। वहीं किसानों के लिए समस्या यह है कि किसानों ने भी जो अपनी फसलें ऑनलाइन करवाई हैं, उसमें भी काफी बदलाव किया हुआ है। इसके चलते हरसैक के लिए राजस्व विभाग के लिए और किसानों के लिए फसल गिरदावरी लगातार सिरदर्द बनती जा रही है।

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हरसैक ने दिखाई गन्ने तक की फसल

हरसैक द्वारा सेटेलाइट से की गई फसलों की गिरदावरी किसानों की फसलों से कहीं भी मैच नहीं खा रही है। क्योंकि हरसैक ने कई खेतों में गन्ने तक की फसल दर्शा दी है। कहीं घास खड़ा है तो उसे भी धान बताया जा रहा है। ऐसे में राजस्व विभाग के पटवारी व अधिकारी हरसैक की गिरदावरी रिपोर्ट से काफी परेशान और असमंजस में हैं।

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ऑनलाइन व वास्तविक फसलों में भी गड़बड़ी

राजस्व विभाग के अधिकारियों की मानें तो काफी किसानों द्वारा ऑनलाइन दर्ज करवाई गई फसलों में भी काफी गड़बड़ी है। कहीं नरमा व कपास की बिजाई है तो ऑनलाइन में बाजरा दर्शाया गया है। कहीं ग्वार है तो वहां पर भी ऑनलाइन में बाजरा दर्शाया गया है। ऐसे में काफी गड़बड़ी है जिसके चलते किसानों को अपना बाजरा बेचने में परेशानी हो सकती है क्योंकि सरकार उसी खेत की फसल को खरीद करेगी जो किसान ने वास्तव में बुआई की है। ऐसे में उन लोगों को परेशानी हो सकती है जिन्होंने दूसरे राज्यों से बाजरा मंगवाया हुआ है।

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राजस्व विभाग के पटवारी कर चुके गिरदावरी

पिछले दिनों एक महीनों से खेतों में लगे हुए राजस्व विभाग के पटवारी वास्तविक फसलों की गिरदावरी कर चुके हैं और सरकार को इन्हीं पटवारियों की गिरदावरी पर भरोसा करते हुए फसलों की खरीद करनी चाहिए क्योंकि सरकार ने इस बार फसलों की गिरदावरी में पटवारियों के साथ-साथ नंबरदारों की जिम्मेदारी निर्धारित की है। ऐसे में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो दोनों के खिलाफ कार्रवाई होना स्वाभाविक है।

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तहसील के गांवों की जिम्मेदारी अलग-अलग अधिकारियों को

तहसील के दो गांव डीसी भिवानी, दो गांव एडीसी भिवानी, दो गांव सीटीएम भिवानी, दो गांव सीईओ जिला परिषद, दो गांव डीआरओ भिवानी, तीन गांव एसडीएम सिवानी व बीस गांव नायब तहसीलदार सिवानी को गिरदावरी रिपोर्ट करनी है। ऐसे में सरकार किसानों की गिरदावरी रिपोर्ट को बड़े ही संजीदगी से ले रही है ताकि किसानों को किसी प्रकार का नुकसान ना हो। उन्होंने जितना बाजरा बोया है उतना वो बेच सकें। ऐसे में उन लोगों को परेशानी होगी, जिन्होंने बाजरे का स्टॉक किया हुआ है।

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तीन एजेंसी गिरदावरी रिपोर्ट तैयार चुकी हैं, जिसमें हरसैक की रिपोर्ट गलत है क्योंकि सेटेलाइट से की गई गिरदावरी में सब कुछ गलत है। घास तक को धान दिखाया गया है तो कहीं गन्ने की फसल दिखा दी है। वहीं किसानों द्वारा ऑनलाइन करवाई गई फसलों में भी काफी शंका है। ऐसे में भरोसा गांवों के पटवारियों द्वारा मौके पर की गई गिरदावरी पर ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पटवारियों ने टैब के माध्यम से गिरदावरी तैयार की है। जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी सरकार द्वारा लगाई गई है वो खुद गांवों व खेतों का दौरा कर चुके हैं।

-कृष्ण कुमार, नायब तहसीलदार।


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