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मेयर टिकट मिली तो मंदिर पहुंचे गौतम, नहीं मिलने पर निराश हनुमान शादी छोड़ पत्नी संग घर लौटे

भाजपा की ओर से मेयर की टिकट मिलने की सूचना मिलने पर गौतम सरदाना खांसी की दवा लाना ही भूल गए और सीधे मंदिर पहुंच गए। वहीं दूसरे दावेदार हनुमान ऐरन शादी के बीच में ही सीधे घर लौट गए

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 12:28 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 12:28 PM (IST)
मेयर टिकट मिली तो मंदिर पहुंचे गौतम, नहीं मिलने पर निराश हनुमान शादी छोड़ पत्नी संग घर लौटे

हिसार, जेएनएन  शनिवार रात 9 बजकर 15 मिनट। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मेयर पद की टिकट के दावेदार रेखा ऐरन अपने पति हनुमान ऐरन और बच्चों के साथ गोदारा परिवार के शादी समारोह में मौजूद थीं। दूसरे दावेदार गौतम सरदाना खांसी की दवा लेने के लिए गाड़ी से निकले थे। एक से दो मिनट के अंतराल में गौतम और हनुमान के मोबाइल फोन की घंटी बजी। गौतम को भाजपा की टिकट मिलने की सूचना मिली तो हनुमान को रेखा को टिकट कटने की। दोनों को सूचना देने वाले पार्टी के विधायक डा. कमल गुप्ता और जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पूनिया थे।

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34 दिन पहले भाजपा में शामिल हुए गौतम उत्साहित होकर दवा लेने की बजाय सीधे कार्यालय पहुंच गए। फिर पत्नी संग मंदिर जाकर मत्था टेका और वापस कार्यालय लौट आए। तब तक समर्थकों का हुजूम उमड़ चुका था, ढोल बज रहे थे। समर्थक एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा करा रहे थे। दूसरी तरफ टिकट कटने से हताश हनुमान और रेखा समारोह को बीच में छोड़कर घर के लिए निकल लिए। हालांकि उनके बच्चे समारोह में मौजूद रहे। हनुमान से जब दैनिक जागरण संवाददाता ने प्रतिक्रिया मांगी तो दो टूक कहा-आज नहीं, कल बात करेंगे। अभी मूड ठीक नहीं है। सूत्रों के अनुसार हताश हनुमान को हौसला देने के लिए विधायक डा. गुप्ता समेत वरिष्ठ नेताओं ने रात को ही मिलने की बात की, मगर उन्होंने सुबह मिलने की बात कह रात के लिए इन्कार कर दिया।

गौतम को इसलिए मिला टिकट

- गौतम पंजाबी समाज संबंध रखते है। नगर निगम चुनाव में जातीय समीकरण काफी अहम साबित हुए। उसी को देखते हुए पार्टी ने गौतम को आगे रखा।

- विधायक डा. कमल गुप्ता और राज्यसभा सदस्य डा. सुभाष चंद्रा वैश्य समाज से आते है। इसलिए अगर मेयर उम्मीदवार भी इसी समाज से होता तो भाजपा पर एक ही समाज को आगे को बढ़ाने के आरोपों का सामना करना पड़ता।

- गौतम का छात्र राजनीति से लेकर अब तक के राजनीति सफर को देखते हुए इनकी हनुमान से दावेदारी ज्यादा मजबूत थी। वह दो बार विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं और पार्षद भी रह चुके हैं।

हनुमान का इसलिए कटा टिकट

- टिकट नहीं मिलने का एक बड़ा कारण जातीय समीकरण रहा।

- खुद न चुनाव लड़कर अपनी पत्नी को आगे रखा। पत्नी को राजनीति का लंबा अनुभव नहीं था जबकि हनुमान खुद राजनीति में लंबे समय से है।

- पार्टी की तरफ से करवाए गए अंदरूनी सर्वे में गौतम हनुमान से आगे निकल गए थे।

गौतम के घर पर जश्न

भाजपा के मेयर उम्मीदवार की घोषणा के बाद गौतम सरदाना सीधे घर के लिए रवाना हो गए। वह पहले कार्यालय पहुंचे। उनके पहुंचने से पहले ही कार्यकर्ता ढोल के साथ मौजूद थे। जोश के साथ गौतम का स्वागत किया और मिठाई खिलाई। बाद में परिवार के साथ गौतम घर के पास मौजूद मंदिर में गए और पूजा की।

शहर का विकास होगी प्राथमिकता : गौतम

भाजपा से मेयर पद के प्रत्याशी गौतम सरदाना ने कहा कि हनुमान उनके भाई हैं। वह साथ पढ़े हुए हैं। उनका व पार्टी का चुनाव में साथ होगा। जो पार्टी ने उन पर विश्वास जताया है वह उसको पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाला ने पद पर रहते हुए शहर का विकास नहीं करवाया। जो उनको टिकट मिली है वह हिसार की जनता का प्यार है। जनता के प्यार के कारण ही उनको टिकट मिली है। उन्होंने कहा कि भाजपा शहर का विकास करवा रही है। निगम में भाजपा की सरकार आने के साथ ही ओर तेजी से विकास करवाया जाएगा। शहर में बेसहारा पशुओं, गड्ढों की समस्याओं को दूर करना उनका प्राथमिकता रहेगी।

छात्र राजनीति से की थी शुरुआत

हिसार जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष गौतम सरदाना ने 1994-95 में छात्र संघ चुनाव से शुरुआत की थी। वह उस समय महासचिव बने थे। उसके बाद 2005 में नगर परिषद के समय पर वह पार्षद रहे। 2009 में उन्होंने सावित्री जिंदल के खिलाफ विधायक का चुनाव लड़ा। चुनाव में वह 18 हजार से ज्यादा वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भी वह 28 हजार से ज्यादा वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे।

28 अक्टूबर की थी पार्टी ज्वाइन

हिसार जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष रहे गौतम सरदाना ने 28 अक्टूबर को भाजपा ज्वाइन की थी। ज्वाइन करने से दो दिन पहले उन्होंने भिवानी में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। पार्टी ज्वाइन करने के बाद वह काफी एक्टिव रहे। चुनाव की लिस्ट में उनका कुछ समय पहले ही ज्वाइङ्क्षनग होने के कारण अटकलें बढ़ गई थीं, लेकिन अब उस पर विराम लग गया।

कांग्रेस-इनेलो के चेहरे का इंतजार

कांग्रेस और इनेलो की तरफ से अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है। बेशक कांग्रेस ने सिंबल पर चुनाव नहीं लडऩे की बात कही है, लेकिन अभी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से इस पर सर्वे भी करवाया जा रहा है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पांच दिसंबर तक सभी के नाम की घोषणा करने की बात कह चुके हैं। वहीं जिंदल हाउस से सीधे तौर पर जुड़ी पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाला चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी हैं। इधर, दुष्यंत चौटाला की तरफ से युवा उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी है। इसमें तरुण जैन का नाम शिखर पर चल रहा है।


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