Ganesh Chaturthi 2021: राधा अष्टमी, मंगलवार और त्योहार का आज बन रहा है त्रिवेणी संयोग, इस तरह करें आरती
आज की शाम गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। यह महत्व इसलिए भी है कि क्योंकि आज त्रिवेणी संयोग बन रहा है। आज राधा अष्टमी मंगलवार और गणेश चतुर्थी तीनों ही हैं। ऐसे संयोग बहुत कम बनते हैं कि तीन त्योहार एक ही दिन हों।
जागरण संवाददाता, हिसार। गणेश चतुर्थी उत्सव का आज 5वां दिन है और आज की शाम गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। यह महत्व इसलिए भी है कि क्योंकि आज त्रिवेणी संयोग बन रहा है। आज राधा अष्टमी, मंगलवार और गणेश चतुर्थी तीनों ही हैं। ऐसे संयोग बहुत कम बनते हैं कि तीन त्योहार एक ही दिन हों।
रोहतक की डीएलएफ कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित श्यामलाल शास्त्री बताते हैं कि आज सुबह और शाम दोनों ही समय गणेश पूजा का विशेष महत्व है। शाम की पूजा का अत्यधिक पुण्य मिलेगा। जीवन में मंगल प्राप्ति के लिए बुदि्ध, विवेक और विनय की प्राप्ति के लिए गणेश जी की पूजा, आरती, वंदना की जाती है।
इस तरह करें पूजा अर्चना
स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और गणेश जी की मूर्ति के समक्ष बैठकर पूजा शुरू करें। भगवान गणेश का गंगाजल से अभिषेक करें। उन्हें अक्षत, फूल, दूर्वा चढ़ाएं। उन्हें उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती जलाकर गणेश जी की अराधना करें। अंत में आरती गणेश जी के मंत्रों को जाप करना चाहिए। इस तरह सुबह और शाम दोनों ही समय पूजा करनी चाहिए। गणेश चालीसा का पाठ करें।
गणेश जी की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें
-ओम गं गणपतये नमः
-ओम एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
-गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
-ओम श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
-ओम वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
-ओम हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
गणेश जी के जन्म से जुड़ी कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार पार्वती माता स्नान करने के लिए जा रही थीं। उन्होंने अपने शरीर की मैल से एक पुतले का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए। माता पार्वती ने गृहरक्षा के लिए उसे द्वार पाल के रूप में नियुक्त किया। क्योंकि गणेश जी इस समय तक कुछ नहीं जानते थे, उन्होंने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को भी घर में आने से रोक दिया। शंकरजी ने क्रोध में आकर उनका मस्तक काट दिया। माता पार्वती ने जब अपने पुत्र की ये दशा देखी तो वे बहुत दुखी हो गईं और क्रोध में आ गईं। शिवजी ने उपाय के लिए गणेश जी के धड़ पर हाथी यानी गज का सिर जोड़ दिया, जिससे उनका एक नाम गजानन पड़ा।