बिलखते हुए शहीद संदीप की पत्नी बोली - ऐसा पति हर जन्म में मिले
बुधवार की रात पुलवामा में तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार कर वह शहीद हो गया था। गांव बहलबा निवासी 27 वर्षीय संदीप पुत्र सतबीर वर्ष 2012 में सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था
महम (रोहतक) जेएनएन। जम्मू कश्मीर में श्रीनगर (पुलवामा) में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए रोहतक जिले के गांव बहलबा के जवान संदीप का पार्थिव शरीर शुक्रवार को उनके गांव पहुंचा। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। रोहतक से शहीद का पार्थिव शरीर मदीना होते हुए पैतृक गांव तक पहुंचा, ऐसे में सड़कों पर स्कूली छात्राएं व महिलाएं हाथों में फूल लेकर खड़ी हो गई। जहां से भी शहीद का पार्थिव शरीर गुजरा वहां पर भारत माता के नारे गूंजे। हर किसी ने शहीद अमर रहे के नारे लगाए।
वहीं जब शहीद का शव घर पहुंचा तो पत्नी नीरू बिलख पडी। रोते हुए नीरू ने कहा मुझे पति की शहादत पर गर्व है। मैं घर में सबसे छोटी थी पर वो मुझे सबसे ऊंची कर गए। नीरू ने कहा ऐसा पति सातों जन्म में मिले। वहीं शहीद संदीप की मां ने कहा मेरा बेटा अमर हो गया है। मैंने इसी दिन के लिए बेटा को जन्मा था। मेरे दो और बेटे हैं चाहे उनको भी सेना में ले जाओ। 2002 में संदीप के ताऊ भी शहीद के हो गए थे, अब संदीप ने देश का नाम रोशन कर दिया। शहीद संदीप का शव जब घर पहुंचा तो सब शोक की लहर में डूब गए। मां बाप और पत्नी के अलावा हर कोई विलाप कर रहा था। इसके बाद नम आंखों से पूरे गांव ने शहीद संदीप को आखिरी विदाई दी। शहीद की चिता पर पुष्प च्रक रखकर श्रद्धांजलि दी गई। वहीं सेना के जवानों ने शहीद संदीप को सलामी भी दी। गांव के अलावा आसपास के गांवों के लोग भी वहां पहुंचे।
बता दें कि बुधवार की रात पुलवामा में तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार कर शहीद हो गया था। गांव बहलबा निवासी 27 वर्षीय संदीप पुत्र सतबीर वर्ष 2012 में सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। बताया जा रहा है कि तीन वर्ष पूर्व संदीप की तैनाती श्रीनगर में हुई थी। अगले माह संदीप की नए स्थान पर तैनाती होनी थी। इसके लिए सेना के अधिकारियों ने संदीप को अग्रिम आदेश दे दिए थे। इसके चलते करीब एक सप्ताह बाद संदीप को छुट्टी लेकर घर आना था और फिर नए स्थान पर ज्वानिंग करनी थी।
शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए खड़ी स्कूली छात्राएं और महिलाएं
इसी बीच बुधवार रात श्रीनगर में आतंकियों के सक्रिय होने की सूचना पर सेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान आतंकियों की गोलीबारी में संदीप शहीद हो गए। बृहस्पतिवार सुबह सेना के अधिकारी का संदीप के ताऊ के पास फोन आया। उन्होंने संदीप के शहीद होने की सूचना दी। संदीप के शहीद होने की सूचना पर परिजनों समेत पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। घर में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। संदीप के पिता सतबीर ने दावा किया है कि गोलीबारी में संदीप ने भी दो आतंकियों को ढेर कर दिया।
हाथों में तिरंगा लेकर शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए खड़ी स्कूली छात्राएं
संदीप की बुधवार रात आखिरी बार हुई थी पिता से बात, कहा था आपकी उम्र हो गई, अब काम छोड़ दाे
श्रीनगर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए गांव बहलबा निवासी संदीप ने बुधवार रात करीब आठ बजे आखिरी बार पिता से बात की थी। उन्होंने परिवार का हालचाल पूछने के बाद पिता सतबीर से कहा था कि आपकी उम्र हो गई है। अब काम करने की जरूरत नहीं है। 27 वर्षीय संदीप वर्ष 2012 में सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। तीन वर्ष से उनकी तैनाती श्रीनगर में थी।
दो साल पहले हुई थी शादी
वर्ष 2017 में संदीप की शादी भिवानी के गांव कोट उमरावत निवासी नीरू से हुई थी। हालांकि संदीप के अभी कोई संतान नहीं हैं। संदीप के शहीद होने की खबर सुनकर मां बाला और पत्नी नीरू रो-रोकर बार-बार बेसुध हो रही हैं। संदीप का बड़ा भाई नवीन और छोटा भाई राजू रोहतक और महम में मोटर गैराज चलाते हैं। वहीं चचेरे भाई और ताऊ भी भारतीय सेना में हैं।
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