यूं ही नहीं मिली आजादी... कई-कई दिन राशन नहीं मिलता था, घास उबाल कर खाते थे आजादी के परवाने
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर रहे स्वतंत्रता सेनानी भले राम का दो वर्ष पूर्व हुआ था निधन। आजादी की लड़ाई के दौरान जब भलेराम 7- 8 साल तक घर नहीं आए थे तो घर वालों ने तो उन्हें मृत भी मान लिया था।
हिसार [राजेश चुघ]। हिसार के बरवाला के गांव हसनगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी भले राम ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर के रूप में आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था। वे कई माह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के काफी निकट रहे थे। उनका दो वर्ष पूर्व 9 जनवरी को 99 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। उन्हें 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली आमंत्रित कर एक समारोह में सम्मानित किया था।
7-8 साल नहीं लौटे तो परिवार ने मान लिया था मृत
स्व. भले राम के भतीजे कुलदीप कोहाड़ व परिवार के सदस्यों के अनुसार आजादी की लड़ाई के दौरान जब भलेराम 7- 8 साल तक घर नहीं आए थे तो घर वालों ने तो उन्हें मृत भी मान लिया था। स्वतंत्रता सेनानी भलेराम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर के रुप में भी काम कर चुके थे। वे कई माह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के काफी निकट रहे थे। वे अपने संघर्ष के किस्से खूब जोश से सुनाते थे। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई देशों में आजादी की लड़ाई में भागीदारी की थी। लड़ाई के दौरान बारिश के दिनों में उनके पास कई-कई दिनों तक राशन नहीं पहुंचता था। एक बार तो उन्होंने लगातार एक सप्ताह तक घास उबाल कर खाया।
पहने-पहने ही सूख जाते थे कपड़े
लड़ाई लड़ते हुए वे श्याम मंगोई, बमर, थाईलैंड, रंगून, बैंकांक और इंफाल होते हुए असम की पहाडिय़ों के रास्ते मांडले आए। मांडले में नेताजी का बंगला था, यहां उन्होंने तीन महीने ड्यूटी दी थी। लड़ाई के दौरान नदियों व नहरों से गुजरते हुए गीले हुए कपड़े पहने-पहने ही सूख जाते थे, क्योंकि पहनने के लिए दूसरे कपड़े नहीं होते थे।
1945 में हुई थी नेताजी से अंतिम मुलाकात
1945 में पेगू में लड़ाई के दौरान नेताजी से उनकी अंतिम मुलाकात हुई थी। उस समय नेताजी ने कहा था कि अंग्रेज सेना में शामिल भारतीय सिपाहियों से लड़ाई करते हुए दोनों ओर से भारत का ही नुकसान हो रहा है। तब नेताजी ने बताया था कि अब अंग्रेजों ने भारत से अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है और वे धीरे-धीरे हमारा देश छोड़कर जाने लगे हैं। अब जल्द ही देश को आजादी मिलने वाली है। नेताजी के कहने पर लड़ाई बंद कर दी गई थी।
रंगून की जेल भेज दिए गए थे भले राम
16 जून 1945 को भले राम को पेगू में गिरफ्तार करके रंगून की जेल में भेज दिया। वहां जेल में हर तरफ कीचड़ था और खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी। उस जेल में भले राम सवा साल रहे थे और देश को आजादी मिलने के बाद उन्हें वापस भारत भेजा गया।