निर्भया केस में अधिनियम संशोधन के बाद नाबालिग दोषी को दुष्कर्म और हत्या में सुनाई पहली बड़ी सजा
दिल्ली के निर्भया दुष्कर्म और हत्या प्रकरण के बाद जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन होने पर एडीजे डीआर चालिया की अदालत ने ब'ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में यह पहला बड़ा फैसला सुनाया है।
राजेश स्वामी, हिसार :
दिल्ली के निर्भया दुष्कर्म और हत्या प्रकरण के बाद जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन होने पर एडीजे डीआर चालिया की अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में यह पहला बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने नाबालिग रहे दोषी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
जानकारी के अनुसार निर्भया कांड के एक नाबालिग दोषी को अदालत ने 3 साल की सजा सुनाई थी। सन 2012 में हुए कांड के बाद देश में जन आक्रोश फैल गया था। देश के हर कोने से जेजे एक्ट में संशोधन की मांग उठी थी। केंद्र सरकार को सन 2016 में जेजे एक्ट में संशोधन करना पड़ा था। संशोधन किया गया था कि कोर्ट यह देखेगी कि 16-18 साल का आरोपित जघन्य अपराध करता है और यदि उसने अपराध अनजाने में नहीं किया है तो उसके खिलाफ बालिग आरोपित की तरह ट्रायल चलेगा। उकलाना के आरोपित की उम्र गिरफ्तारी के समय 18 साल से कम थी। कोर्ट ने उस पर बालिग आरोपित की तरह ट्रायल चलाया। कोर्ट ने परिस्थितिजन्य सुबूतों को माना आधार
उप जिला न्यायवादी राजीव सरदाना और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता बीएस बौंदिया ने बताया कि पुलिस ने आरोपित के बयान बाल संरक्षण अधिकारी के सामने कराए थे। उसने वहां अपराध स्वीकार किया था। पुलिस ने गुजरात के गांधीनगर की लैब में आरोपित का नार्को, पोलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मै¨पग टेस्ट कराया था। पुलिस ने वहां जांच करने वाली वैज्ञानिक शाह हिमांगी, बाल संरक्षण अधिकारी और आरोपित के साथ स्मैक पीने वाले युवक की गवाही कराई थी। पुलिस की तफ्तीश में कड़ी से कड़ी जुड़ती गई, जो सजा का आधार बनी। कोर्ट ने हमारे साथ न्याय किया, प्रशासन से मिली नाउम्मीदी : बच्ची का पिता
मृतक बच्ची के पिता ने दैनिक जागरण को बताया कि कोर्ट ने हमारे साथ न्याय किया है। कोर्ट ने दोषी को 20 साल की सही सजा सुनाई है। उन्होंने कहा कि वारदात के बाद प्रशासन ने मुझे और मेरी पत्नी को उकलाना में अनुबंध आधार पर नौकरी पर लगवाया था और हमारे पुनर्वास का आश्वासन दिया था। लेकिन तीन महीने से हमें वेतन नहीं मिला है। प्रशासन ने हमारा पुनर्वास नहीं कराया। 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया था। लेकिन केवल 4.12 लाख रुपये ही मिले। मेरे बेटे को पुलिस ने फंसाया: दोषी की मां
दोषी की मां ने बताया कि पुलिस ने उसके बेटे को केस में झूठा फंसाया गया था। उसकी बाईं टांग वारदात से एक महीने पहले सड़क हादसे में तीन जगह से टूट गई थी। वह चलने-फिरने में असमर्थ था। पुलिस का यह कहना झूठा है कि मेरे बेटे ने छत से मोबाइल में ऊंची आवाज में गाना बजाया था। जिसे सुनकर बच्ची बाहर आई और मेरे बेटे ने उसे ले जाकर द¨रदगी के बाद मार डाला। महिला ने रोते हुए बताया कि मेरा बेटा छत पर चढ ही नहीं सकता था। वारदात वाली रात वह घर में था। वह 10 बजे सोया था। मैं रात डेढ़ बजे ब्यांत आई गाय को संभालने उठी तो वह साथ वाली चारपाई पर सो रहा था। मैं तड़के 5 बजे जागी तो भी वह सो रहा था। पुलिस ने बनाए थे 43 गवाह
उकलाना थाना पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की तफ्तीश कर 43 गवाह बनाए थे। 43 गवाहों में से 7 गवाह प्राइवेट थे। 2 प्राइवेट गवाह अदालत में मुकर गए थे और 41 सरकारी व प्राइवेट गवाहों ने अदालत में अपनी गवाही दर्ज कराई थी। अदालत ने सरकारी और प्राइवेट गवाहों की गवाही तथा पुलिस के साक्ष्यों को देखते हुए आरोपित को दोषी मानकर सजा सुनाई है। राजनैतिक और सामाजिक संगठनों ने दिया था धरना
परिजनों ने मामले में किसी को नामजद नहीं किया था। इस कांड के बाद उकलाना कस्बे में भारी रोष था और पुलिस के लिए मुजरिम गिरफ्तार करना किसी चुनौती से कम नहीं था। राजनैतिक और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुजरिम गिरफ्तार करने की मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया था। यही नहीं उन्होंने वारदात के विरोध में उकलाना बंद करने की चेतावनी दे दी थी। तत्कालीन एसपी मनीषा चौधरी ने मोहलत मांगकर धरनारत लोगों को शांत किया था।
एसआइटी ने गिरफ्तार किया था पड़ोसी को
पुलिस ने लोगों के रोष को देखते हुए डीएसपी जयपाल ¨सह के नेतृत्व में एसआइटी गठित की थी। एसआइटी की टीम ने गहन जांच कर पड़ोस के पौने अठारह साल के एक लड़के को गिरफ्तार किया था। उसने पूछताछ में बताया था कि मैंने रात को बच्ची को उठाया था और टेलिफोन एक्सचेंज के पास ले जाकर द¨रदगी की थी। बच्ची पीड़ा सहन नहीं कर पाई थी और उसकी मौत हो गई थी।