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Fertilizer crisis: अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी हुई महंगी, तो बढ़ गई परेशानी, किसानों को काटने पड़ रहे चक्‍कर

किसान सरसों व सब्जियों की बिजाई के लिए खाद के लिए भटक रहे है। लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रही। वहीं कृषि अधिकारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का भाव बढ़ गया। इसका असर मार्केट पर पड़ा है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 05:30 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 05:30 PM (IST)
Fertilizer crisis: अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी हुई महंगी, तो बढ़ गई परेशानी, किसानों को काटने पड़ रहे चक्‍कर
हरियाणा के कई जिलों में डीएपी खाद की भारी कमी देखने को मिल रही है

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जिले में डीएपी का संकट है। किसान सरसों व सब्जियों की बिजाई के लिए खाद के लिए भटक रहे है। लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रही। वहीं कृषि अधिकारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का भाव बढ़ गया। इसका असर मार्केट पर पड़ा है। इसकी वजह है कि एक बैग जो किसान को महज 1200 रुपये में मिलता है। उसकी वास्तविक कीमत 2400 रुपये है। अब यह 2600 रुपये तक पहुंच गया। सरकार इस पर 1200 रुपये अनुदान देती है। जब इसका भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2400 रुपये था, तब किसानों को 1200 रुपये में मिल रहा था।

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अब विदेशों में इसका प्रति बैग रेट बढ़ा। तो सरकारी एजेंसियां को मुश्किल बढ़ गई। ऐसे में परेशानी आ रही है। जब तक इस परेशानी का समाधान होना मुश्किल है। वेैसे फतेहाबाद में डीसी व डीडीए ने दावा किया कि फतेहाबाद में 25 अक्टूबर के बाद डीएपी खाद की किल्लत नहीं रहेगी। किसानों को गेहूं की बिजाई के दौरान हर हाल में डीएपी खाद मिलेगी। हालांकि जिले में अब महज 19 हजार डीएपी के बैग है। जबकि रबी सीजन के लिए 5 लाख बैग की जरूरत है।

वहीं अब किसान सरसों की बिजाई के दौरान एसएसपी यानी सिंगल सुपर फास्फेट की बिजाई करें। कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि तिलहनी फसलों में सिंगल सुपर फास्फेट की ही बिजाई करें। इससे फसल का उत्पादन अधिक होगा। यह डीएपी से सस्ती भी पड़ती है।

कृषि उपनिदेशक डा. राजेश कुमार ने बताया कि सिंगल सुपर फास्फेट एक फास्फोरस उर्वरक है। जिसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरक की अपेक्षा अधिक लाभदायक है। डीएपी की अपेक्षा सिंगल सुपर फास्फेट सस्ता एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है। डीएपी के एक बैग की कीमत 1200 रुपये हैं, जबकि उसमें 23 किलोग्राम फास्फोरस व 9 किलोग्राम नाइट्रोजन पाई जाती है।

डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट के 3 बैग 900 रुपए एवं यूरिया का एक बैग 266 रुपए में लेते है, तो 1166 रुपए खर्च होंगे। इन रुपयों में फास्फोरस 24 किलोग्राम, नाइट्रोजन 20 किलोग्राम एवं सल्फर 16 किलोग्राम प्राप्त होता है। एक डीएपी खाद के कट्टे में 23 किलो फास्फोरस एवं 9 किलोग्राम नाइट्रोजन ही मिलेगी। इसमें सल्फर नहीं मिलेगी। जो दलहनी फसलों में प्रोटीन बढ़ाती है। वहीं जो किसान आलू व अन्य सब्जियों की खेती करना चाहते है वे किसान एनपीके का छिड़काव करें। इससे सब्जी उत्पादन अधिक होगा।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़े भाव से बनी परेशानी : डीडीए

डीएपी का अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ गया। पहले भी सरकार प्रति बैग पर 1200 रुपये अनुदान किसान को दे रही है। भाव बढ़ने के बाद प्रति बैग रेट बढ़ गया। जो परेशानी बन रहा है। वैसे मेरी हमारी विभाग के डीजी डा. हरदीप सिंह से बात हो गई। उनका कहना है कि 25 अक्टूबर के बाद प्रदेश में डीएपी की कमी नहीं आने दी जाएगी। रबी सीजन में किसानों को जरूरत के अनुसार डीएपी मिलेगी।

- डा. राजेश सिहाग, उपनिदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।


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