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पिता कुश्ती में ओलंपिक नहीं जीत सके तो बेटों को मैदान में उतारा, कमा रहे नाम

हिसार में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लेने पहुंचे कई राज्यों के खिलाड़ी। खिलाडिय़ों ने साझा की कुश्ती में आने की दास्तां सुविधाएं न मिलने का भी किया जिक्र

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 02:31 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 02:31 PM (IST)
पिता कुश्ती में ओलंपिक नहीं जीत सके तो बेटों को मैदान में उतारा, कमा रहे नाम
पिता कुश्ती में ओलंपिक नहीं जीत सके तो बेटों को मैदान में उतारा, कमा रहे नाम

हिसार [सुभाष चंद्र] पिता को परिवार का स्पोट नहीं मिला था, जिसके कारण वह कुश्ती में ओलंपिक मेडल जीतने का सपना पूरा नहीं कर पाए थे। इसलिए मैं और मेरा भाई दोनों पिता के सपने को पूरा करना चाहते हैं। यह कहना है जीजेयू में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में भाग ले रहे राजस्थान यूनिवर्सिटी के सचिन गुर्जर का। वह 87 किलोग्राम भारवर्ग में ग्रीको रोमन में हिस्सा ले रहे हैं।

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सचिन ने बताया कि वह बीए सेकेंड ईयर में है। स्कूल नेशनल गेम में मेडल भी जीत चुके हैं। इसके साथ-साथ कैडिट नेशनल व जूनियर नेशनल में भाग ले चुके हैं। इनके अलावा पूणे, जम्मू, कोल्हापुर में नेशनल प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है। सचिन ने बताया कि उसका छोटा भी ग्रीको में खेलता है। पिता रामकुमार गुर्जर स्कूल में एक निजी कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। उन्हें घरवालों का स्पोट नहीं मिल पाया था, जिसके कारण वो स्टेट लेवल से आगे नहीं बढ़ पाए थे।

रेसलिंग की प्रैक्टिस नहीं होती, चैंपियनशिप से पहले लगा सिर्फ 10 दिन का कैंप

ग्वालियर के एलएनआइपीई लक्ष्मीबाई इंस्टीटयूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन से जीजेयू ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग ले रहे करण यादव ने बताया कि उसके पिता रेसलिंग कोच हैं और मुगलसराय में इंडियन रेलवे में सीनियर क्लर्क हैं। पिता सीनियर नेशनल कैंप में ट्रेङ्क्षनग भी देते हैं। पिता से इंस्पायर होकर ही कुश्ती में आए। करण ने बताया कि ग्वालियर में उनकी यूनिवर्सिटी में सभी खेलों की मैच प्रेक्टिस नहीं होती। वहां ना तो रेसलिंग है और ना ही खो-खो। इस कारण रेसङ्क्षलग में हम प्रैक्टिस नहीं कर पाए हैं।

इस प्रतियोगिता से पहले सिर्फ 10 दिन का कैंप लगा था, जिसके बाद हम यहां ऑल इंडिया प्रतियोगिता में शामिल होने आ गए। हालांकि मेडल जीतने का पूरा प्रयास करेंगे। लेकिन हमारे खेल में कहीं ना कहीं ट्रेङ्क्षनग की कमी जरूर है। अलग-अलग जिलों में जा नहीं पाते, इसलिए मन मान कर किसी ना किसी गेम में अभ्यास करना पड़ता है। वहीं आंध्रप्रदेश के खिलाडिय़ों ने भी रेसलिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर न होने, कोच पूरे न होने के साथ ही रेसङ्क्षलग एकेडमी ना होने की बात उठाई, जिसके कारण ट्रेनिंग नहीं कर पाते। ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी से पहले कंपीटिशन में सुबह दो घंटे व रात में दो घंटे प्रैक्टिस कर पाए।

भाई से प्रेरित होकर कुश्ती में उतरे, जूनियर वर्ल्‍ड कप में लिया भाग

रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी की टीम के खिलाड़ी व सिसाय-कालीरावण निवासी विशाल जीजेयू में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में भाग ले रहे हैं। विशाल जूनियर एशियन चैंपियनशिप 2018 में भाग ले चुके हैं। वहीं 2017 में सब जूनियर में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं। इसके अलावा जूनियर वर्ल्‍ड कप में 2018-19 में भाग खेल चुके हैं। 20 साल के विशाल बीए फाइनल ईयर में है। विशाल ने बताया कि उनके बड़े भाई विश्वास कुश्ती करते थे। उन्हें देखकर ही वह कुश्ती में आने के लिए प्रेरित हुए। उनका सपना ओलंपिक में मेडल जीतने का है।


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