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टोहाना गोलीकांड की 30वीं बरसी, आज भी ताजा है जख्म, नरसंहार में 27 लोगों की गई थी जान

5 दिसंबर 1991 को टोहाना में हुए गोलीकांड की यादें आज भी जहन में ताजा है। 30 वर्षों बाद भी टोहाना नरसंहार की याद आते ही आंखें नम हो जाती है। शहर के कुछ लोगों ने उस गोलीकांड को अपनी आंखों से देखा था।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 02:17 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 02:17 PM (IST)
टोहाना में हुए गोलीकांड में 27 लोगों की गई थी जान।

सतभूषण गोयल, टोहाना(फतेहाबाद)। आज से 30 वर्ष पूर्व टोहाना में 5 दिसंबर 1991 को हुए गोलीकांड नरसंहार को टोहानावासी नहीं भूल पाये है। जब आतंकवादियों ने शहर के मुख्य बाजार में धड़ाधड़ गोलियों की बौछारें कर 27 बेकसूर लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। 5 दिसंबर का दिन सुनते ही न केवल मृतकों के स्वजन बल्कि क्षेत्रवासी भी सुनकर सिहर उठते हैं। इस आंतकवादी घटना ने न केवल कई महिलाओं को विधवा बना दिया था, जबकि कई लोग अनाथ तो कई परिवारों के चिराग तक बुझ गए थे। इस जघन्य गोलीकांड के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यदि दुकानदारों एवं सामाजिक संगठनों ने उस समय तत्परता ना दिखाई होती तो इस

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आंतकवादी घटना में मृतकों की संख्या 27 से कहीं और ज्यादा भी हो सकती थी।

उल्लेखनीय है कि इस आंतकवादी घटना के समय शहर की प्रमुख समाजसेवी संस्था मानव सेवा संगम के सदस्य फरिश्ता बनकर घटनास्थल पर पहुंचे। वहीं उन्होंने न केवल घायलों को तुरंत एंबुलेंस व अन्य वाहनों की सहायता से अस्पताल में पहुंचाया, वहीं उन्होंने शहरवासियों के सहयोग से घायलों के लिए रक्त उपलब्ध करवाकर उनकी जान बचाने का काम भी किया। जबकि इस हादसे के बाद उन्होंने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता के रूप में मदद करवाने में भी अपनी अह्म भूमिका अदा की थी। मौजूदा समय में भले ही आज क्षेत्र में शांति का माहौल व्याप्त है लेकिन फिर भी 5 दिसंबर 1991 के दिन हुई यह आंतकवादी घटना क्षेत्रवासियों को भुलाए से भी नहीं भुलती।

पड़ोसी राज्य पंजाब में था उग्रवाद का माहौल

वर्ष 1991 में पड़ोसी राज्य पंजाब में उग्रवाद का माहौल चरम पर था। टोहाना क्षेत्र पंजाब सीमा पर स्थित है। उग्रवादियों ने सीमावृति हरियाणा के टोहाना क्षेत्र में उग्रवाद की जड़े फैलाने के लिए 5 दिसंबर 1991 को शाम के लगभग पौने पांच बजे एक खुली जीप में सवार होकर शहर की सबसे व्यस्त नेहरु मार्केट से लेकर रेलवे स्टेशन तक ऐके-47 से दुकानदारों व राहगिरों पर अंधाधुंध गोलियों की बौछारें की थी। जिसमें 27 लोगों की मौत व अनेक घायल हो गये थे। 

मेलू राम मुक्खी टीका लगवाने गये थे, हो गये उग्रवादी की गोली का शिकार

टोहाना गोलीकांड के मृतक परिवारों में संजय मुक्खी एक ऐसे शख्स है जो 5 दिसंबर का दिन आने पर तीस वर्ष पुराना मंजर उनके जहन में दिखाई देने लगता है। इस गोलीकांड में उसके 61 वर्षीय पिता मेलू राम मुक्खी भी आंतकवादियों की गोली का शिकार हो गये थे, जोकि नेहरु मार्केट में भाटिया क्लीनिक पर टीका लगवाने 

आये थे। संजय मुक्खी ने दुखी हृदय से बताया कि वह फतेहाबाद से टोहाना बस द्वारा आ रहे थे। भगवान वाल्मकि चौक के पास जब सांय 6 बजे वह बस से उतरे तो वहां किसी ने उसे बताया कि उसके पिता को किसी ने नेहरु मार्केट में गोली मार दी है। जब वह सीधे नेहरु मार्केट में जाने लगे तो बाजारों में अफरा-तफरी मची थी और लोग दहशत के चलते अपनी-अपनी दुकानें बंद करके जा रहे थे। जबकि नेहरु मार्केट में चीख-पुकारें मची हुई थी। वहीं उसके पिता मेलू राम मुक्खी एक केले की रेहड़ी के पास मृत पड़े थे। 

आंखें नम हो उठती है

मानव सेवा संगम चेरिटेबल ट्रस्ट टोहाना के प्रधान सतपाल नन्हेडी ने बताया कि 30 वर्ष पहले 5 दिसंबर को हुई इस आंतकवादी घटना का नाम सुनते ही उनकी आंखें नम हो उठती है। क्योंकि उन्होंने इस मंजर को स्वयं अपनी आंखों से देखा था। जब अनेक लोग आंतकवादियों की गोलियों का शिकार होकर जमीन पर कराह रहे थे। ऐसे समय में उनके कार्यकर्ताओं ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए जहां घायलों की जान बचाने में अपनी भूमिका अदा की। वहीं इस दुख की घड़ी में पीडि़त परिवारों का दर्द सांझा किया। इस दुखद घड़ी में हम उन मृतकों को श्रद्धाजंलि देते है। 


दिलों में आज भी उठती है टीस

टोहाना अग्रवाल सभा के प्रधान रमेश गोयल ने बताया कि टोहाना में हुई आंतकवादी घटना को बेशक 30 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज भी उस घटना की टीस टोहाना क्षेत्रवासियों के दिल में समाई हुई है। उन्होंने मृतकों के 

प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लोगों को आपसी भाईचारे की भावना को बनाए रखने का आह्वान किया।

कोई धर्म हमें बेगुनाहों का रक्त बहाने को नहीं कहता

डा. शिव सच टोहाना शहर में 5 दिसंबर 1991 को आंतकवादियों द्वारा बेकसूर लोगों पर गोलियों चलाकर मार देना, अति घोर निंदनीय था। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म या सम्प्रदाय हमें बेगुनाहों का रक्त बहाने की शिक्षा नहीं देता। आज हमें टोहाना गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए यह संकल्प लेना चाहिए कि हम आंतकवाद का डटकर विरोध करते हुए आपसी भाईचारा बनाये रखने में अपनी अह्म भूमिका अदा करें।

सोचने से ही रूह कांप जाती है

टोहाना सिनियर सिटीजन परिषद के अध्यक्ष शशिभूषण गुप्ता ने बताया कि 5 दिसंबर 1991 को हुई आंतकवादी घटना टोहाना क्षेत्र के इतिहास में सबसे काला दिन कहा जा सकता है। इस दिन उग्रवादियों ने 27 बेकसूर लोगों की गोलियों से हत्या कर मौंत की नींद सुला दिया था। इस तरह से आमजन की निर्मम हत्या के विषय में सोचने पर ही रूह कांपने लगती है। हम टोहाना सिनियर सिटीजन परिषद के तमाम सदस्य इस दिन आंतकवादी घटना के मृतकों को शत-शत नमन करते है। 


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