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हिसार में विधायक से हाथापाई, मुख्यमंत्री ने फोन कर जाना हालचाल, विधायक बोले-किसानों के भेष में घुसे थे असमाजिक तत्व

हिसार विधायक से किसानों ने हाथापाई की और उनके कपड़े भी फाड़े। ऐलानाबाद उपचुनाव को लेकर बैठक करने के लिए विधायक जैसे ही रेस्ट हाउस में पहुंचे। तो किसानों ने रेस्ट हाउस बंद कर विधायक कमल गुप्ता के साथ हाथापाई की।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 09:07 PM (IST)
हिसार में विधायक से हाथापाई, मुख्यमंत्री ने फोन कर जाना हालचाल, विधायक बोले-किसानों के भेष में घुसे थे असमाजिक तत्व
हिसार में किसानों से हुई धक्का-मुक्की के बाद विधायक डा कमल गुप्ता अपने आवास पर घटना कि जानकारी देते हुए।

जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार से बीजेपी विधायक डा. कमल गुप्ता के साथ किसानों ने हाथापाई की।  बीजेपी विधायक ऐलानाबद उपचुनाव को लेकर रेस्ट हाउस बैठक लेने पहुंचे थे। लेकिन किसान संगठन वहां पहले से ही बैठक कर रहे थे। विधायक को रेस्टहाउस में देख किसान आपा खो बैठे और उन्होंने रेस्ट हाउस बंद कर विधायक कमल गुप्ता के साथ हाथापाई की और उनके कपड़े भी फाड़े। सुरक्षाकर्मियों ने बीच-बचाव किया, इधर घटना की सूचना जैसे ही पुलिस को मिली। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर विधायक को सुरक्षित बाहर निकाला। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जैसे ही घटना की जानकारी मिली उन्होंने भी विधायक को फोन कर उनका हालचाल जाना।

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मुख्यमंत्री ने फोन कर जाना हालचाल

मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जैसे ही डा. कमल गुप्ता के बारे में पता लगा, उन्होंने फोन कर उनका हालचाल जाना। विधायक ने मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक है उनको कोई चोट नहीं आई है। मुख्यमंत्री के फोन के बाद पुलिस ने विधायक की सुरक्षा और बढ़ा दी।

हिसार विधायक डा. कमल गुप्ता।

कमल गुप्ता बोले- किसानों के भेष में है असमाजिक तत्व

घटना के बाद से डा. कमल गुप्ता सहमे हुए हैं। विधायक ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि किसान ऐसा कर सकते हैं। विधायक ने कहा कि किसानों ने भेष में अराजक लोग आंदोलन में घुस गए हैं जो प्रदेश का माहौल खराब करना चाहते हैं। किसान पीडब्लूडी रेस्ट हाउस में पहले से मीटिंग कर रहे थे। उनको इसकी जानकारी नहीं थी। जब मैं वहां आ गया तो किसानों ने मुझे गैलरी में ही रोक लिया ना बाहर जाने दिया और ना अंदर आने दिया। इस दौरान पीछे से किसी ने मेरे कपड़े खींचने शुरू कर दिए, जिससे कुर्ता फट गया। मेरे सुरक्षाकर्मियों ने मुझे बचाया। इतने में वहां पुलिस पहुंच गई और मुझे वहां से निकाला। मैं अपनी तरफ से कोई शिकायत नहीं करूंगा। पुलिस को जो कार्रवाई करनी है वह करे।

रेस्ट हाउस में बिना मंजूरी बैठक कर रहे थे किसान संगठन

वहीं सरकारी रेस्ट हाउस में किसान संगठन बिना अनुमति के बैठक कर रहे थे। सवाल यह उठता है कि किसान संगठनों को बैठक की इजाजत किसने दी। प्रशासन अब इस बात से पल्ला झाड़ रहा है। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन रजनीश कुमार का कहना है कि किसान संगठनों ने उनसे कोई मंजूरी नहीं ली। उनको इस बात की भी जानकारी नहीं है कि किसान संगठन वहां बैठक कर रहे थे। नियमानुसार रेस्ट हाउस में बैठक करने से पहले प्रशासन की अनुमति अनिवार्य होती है।


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