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तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन में सक्रिय रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ का निधन

किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) की मांग को लेकर यहां के सेक्टर नौ मोड़ पर आंदोलन चला रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ की मौत हो गई। पेट में इंफेक्शन और आंतों में ब्लाक की वजह से उन्हें पीजीआइ रोहतक में भर्ती कराया गया था

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 08:28 AM (IST)
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन में सक्रिय रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ का निधन
अखिल भारतीय न्यूनतम समर्थन मूल्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष थे प्रदीप धनखड़, पेट में तकलीफ से हुआ निधन

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ टीकरी बार्डर पर चले आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) की मांग को लेकर यहां के सेक्टर नौ मोड़ पर आंदोलन चला रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ की मौत हो गई। पेट में इंफेक्शन और आंतों में ब्लाक की वजह से सोमवार को उन्हें पीजीआइ रोहतक में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हुई है। इससे पहले उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां गंभीर हालत के चलते उन्हें पीजीआइ रेफर कर दिया गया था।

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करीब 60 वर्षीय प्रदीप धनखड़ अखिल भारतीय न्यूनतम समर्थन मूल्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष थे। एमएसपी व किसानों की अन्य मांगों को लेकर वे कई बार धरना व भूख हड़ताल कर चुके थे। शहर के नजफगढ़ रोड स्थित बैंक कालोनी के रहने वाले प्रदीप धनखड़ की मौत से क्षेत्र के किसान नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। सेक्टर नौ मोड़ पर एमएसपी की मांग को लेकर धरना अब भी जारी है।

उनकी अनुपस्थिति में पंजाब के पटियाला निवासी सरदार सतनाम सिंह व बहादुरगढ़ के गांव कानौंदा निवासी सुमित छिकारा के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलन चला हुआ है। प्रदीप धनखड़ की किसान आंदोलन में सक्रियता को देखते हुए उन्हें टीकरी बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय कमेटी का सदस्य भी बनाया गया था लेकिन मोर्चा की कमेटी से विचार मेल न खाने की वजह से उन्होंने मोर्चा पर ही कई तरह के संगीन आरोप लगाए थे। इस पर उन्हें मोर्चा से निष्कासित कर दिया था।

किसान आंदोलन खत्म होने के बाद उन्होंने सेक्टर नौ मोड़ से अपना तंबू नहीं उखाड़ा था। वे यहीं पर एमएसपी की मांग को लेकर खुद को जंजीरों में जकड़कर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। करीब 10 दिन तक भूख हड़ताल पर रहने के बाद साथी किसान नेताओं के आग्रह पर उन्होंने भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी और उसे सत्याग्रह आंदोलन में तब्दील कर लिया था। प्रदीप धनखड़ के शव को बहादुरगढ़ लाया जा रहा है। उसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

धनखड़ ने दिया बलिदान, सरकार जब तक नहीं मानेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा :सतनाम

सेक्टर नौ मोड़ पर प्रदीप धनखड़ की अनुपस्थिति में आंदोलन की अगुवाई कर रहे पंजाब के पटियाला निवासी सरदार सतनाम सिंह ने बताया कि प्रदीप धनखड़ ने एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर अपना बलिदान दिया है। उनका बलिदान बेकार नहीं जाएगा। हम तब तक आंदोलन करेंगे जब तक सरकार एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बना देगी। हमने जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया था, मगर सरकार उनकी मांग नहीं सुन रही है।


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