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बंद हुआ किसान माल, खालसा एड ने समेटा सामान, शैल्टर होम की भी होगी पैकिंग

खालसा एड संगठन की ओर से किसान आंदोलन की शुरुआत में ही यहां पर किसान माल खोला था। इससे पहले मसाज मशीन वाशिंग मशीन समेत कई तरह सुविधाएं किसानों को खालसा एड संगठन की ओर से देनी शुरू की थी।

By Naveen DalalEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 06:02 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 06:02 PM (IST)
बंद हुआ किसान माल, खालसा एड ने समेटा सामान, शैल्टर होम की भी होगी पैकिंग
ठंड बढ़ने पर शुरू किया था शैल्टर होम, 500 किसानों के ठहरने का था प्रबंध

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता।तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के खत्म होने की घोषणा के साथ ही किसानों के लिए मुफ्त में जरूरतमंद सामान मुहैया करा रहे खालसा एड संगठन ने भी अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। ट्रकों में सामान लादकर संगठन की ओर से पटियाला स्थित अपने मुख्यालय ले जाया जा रहा है। किसान माल बंद कर दिया है और माल के लिए गोदाम में रखे गए माल की पैकिंग करके वापस ले जाया जा रहा है। शैल्टर होम की भी पैकिंग शुक्रवार को कर दी जाएगी। खालसा एड संगठन के पदाधिकारियों ने आंदोलन खत्म होने खुशी जताई है।

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खालसा एड संगठन की ओर से आंदोलन में किसान माल खोलकर दिया जा रहा था मुफ्त में सामान

खालसा एड संगठन की ओर से किसान आंदोलन की शुरुआत में ही यहां पर किसान माल खोला था। इससे पहले मसाज मशीन, वाशिंग मशीन समेत कई तरह सुविधाएं किसानों को खालसा एड संगठन की ओर से देनी शुरू की थी। बाद में किसान माल खोलकर हर तरह के जरूरत के सामान को आधार कार्ड के आधार पर किसानों को देना शुरू किया था। घरेलू जरूरतों का सभी सामान यहां से किसान मुफ्त में ले जाते थे। पानी की सुविधा के साथ शौचालयों की सुविधा भी संगठन ने शुरू की थी। आंदोलन के दौरान जब पिछले साल ज्यादा ठंड बढ़ी तो संगठन ने 500 किसानों के ठहरने के लिए एक शैल्टर होम भी बनाया था। इस शैल्टर होम की पैकिंग भी शुक्रवार को की जाएगी। इसे पटियाला में ले जाया जाएगा।

किसानों में खुशी की लहर

तीनों कृषि कानूनों के केंद्र सरकार ने ले लिये और किसानों की सभी मांगों पर सहमति बनने के बाद किसानों में खुशी की लहर है। फिलहाल किसानों ने घर वापसी का निर्णय लिया है जिसके लिए किसानों अपने सामान को समेटना शुरू कर दिया है। जिसके बाद टिकरी बार्डर के आसपास के लोगों में खुशी है वहीं कारोबारियों के लिए व्यापार की उम्मीद जगी है।


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