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ग्राउंड रिपोर्ट: 100 से 150 किसान जाते थे आंदोलन में, अब महज 10 से 15 किसान जा रहे टीकरी बॉर्डर

संवाद सहयोगी हांसी प्रदेश का सबसे बड़ा गांव सिसाय। कहने को तो यह बड़ा गांव है मगर कोर

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 11:45 PM (IST)
ग्राउंड रिपोर्ट:  100 से 150 किसान जाते थे आंदोलन में, अब महज 10 से 15 किसान जा रहे टीकरी बॉर्डर
ग्राउंड रिपोर्ट: 100 से 150 किसान जाते थे आंदोलन में, अब महज 10 से 15 किसान जा रहे टीकरी बॉर्डर

संवाद सहयोगी, हांसी: प्रदेश का सबसे बड़ा गांव सिसाय। कहने को तो यह बड़ा गांव है मगर कोरोना का खौफ इस कद्र हावी है कि गांव में इक्का-दुक्का लोग ही घर से बाहर दिखाई देते हैं। अगर दिखते भी हैं तो बीमार को अस्पताल ले जाते हुए या कोई जरूरी काम से जाते हुए। गांव में एंट्री करते ही खौफ की तस्वीर साफ दिख जाती है। मुख्य सड़क पर एक दो ग्रामीण जाते दिखे उनसे पूछा गांव में सन्नाटा क्यूं है तो उन्होंने बताया कि कोरोना है भाई। ऐसा घर नहीं जहां कोरोना नहीं है। गांव में घर-घर में कोई न कोई बीमार है इसलिए कोई बाहर नहीं निकलता। ग्रामीणों ने बताया कि क्या बताएं भाई गांव के छौरे दिल्ली जाया करते। बुढ़े भी नहीं मानते थे। अब जब से कोरोना फैला है सब शांत बैठे हैं। बता दें कि

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किसान आंदोलन में पूरी तरह सक्रिय रहे सिसाय नगर पालिका के लोग गांव में फैलते जा रहे कोरोना वायरस से खौफ में हैं। ग्रामीणों ने टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में हिस्सेदारी बेहद कम कर दी। ग्रामीणों को डर सता रहा है कि दिल्ली जाने से कोरोना की चपेट में आ जाएंगे। कुछ ग्रामीणों का तो मानना है कि दिल्ली से कोरोना गांव में घुसा है, लेकिन कुछ ग्रामीण इस बात से इंकार करते हुए कहते हैं कि अन्य गांवों में भी कोरोना फैल रहा है जहां से किसान आंदोलन में नहीं जाते थे। आंदोलन की जगह कोरोना की चर्चा

गांव का आलम इन दिनों बदला-बदला है। कुछ दिन पहले जहां गांव में किसान आंदोलन की चर्चाएं आम थी, वहीं अब केवल कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों के बीच चर्चाएं हैं। गांव में एक महीने के अंदर हुई 50 से अधिक मौतों से लोग सहमे हुए हैं। दिल्ली टिकरी बॉर्डर पर एक महीने पूर्व हर समय गांव के 100 से 150 किसान मौजूद रहते थे, लेकिन संक्रमण के भय के चलते बीते 20 दिनों से ज्यादातर किसान वापिस लौट आए हैं। वर्तमान में सिसाय के करीब 10-15 किसान ही बॉर्डर पर आन्दोलन के समर्थन में मौजूद हैं। कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने के बाद से ग्रामीणों ने आन्दोलन से मुंह फेर लिया है और गांव में संक्रमण रोकने पर पूरा फोकस है। बॉक्स: प्रशासन की कच्छुआ चाल, नहीं खुला आइसोलेशन सेंटर सिसाय में स्थिति का जायजा लेने के लिए एसडीएम व एसपी ने दौरा किया था और आइसोलेशन वार्ड खोलने सहित कई कदम उठाने का आश्वासन दिया था। गांव में डोर टू डोर स्क्रीनिग भी होनी थी जिससे बीमार लोगों की पहचान की जा सके। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में डोर टू डोर स्क्रीनिग शुरु नहीं हुई है। इसके अलावा अभी तक आइसोलेशन सेंटर भी गांव में स्थापित नहीं किया गया है। प्रशासन की तैयारी धीमी गति से चल रही है और गांव में संक्रमण बढ़ रहा है। हालांकि गांव में सैनिटाइजेशन का कार्य चल रहा है। बॉक्स: सिसाय में मिले दो दिन में 103 केस

सिसाय नगर पालिका में स्थित सीएचसी में सैंपलिग का कार्य हर रोज हो रहा है। सिसाय में शुक्रवार को कोरोना के 53 नए केस मिले हैं। गुरुवार को भी सिसाय में 50 से अधिक केस मिले थे। ग्रामीण क्षेत्र बढ़ते केसों को लेकर ग्रामीण बेहद चितित हैं और प्रशासन से बड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं जिससे लोगों की जान समय रहते उपचार देकर बचाई जा सके।

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आंदोलन में कम जा रहे हैं किसान

जब से गांव में कोरोना संक्रमण बढ़ा है तो किसान आन्दोलन में शामिल होने कम लोग जा रहे हैं। पहले सिसाय से करीब 100 लोग हर वक्त बॉर्डर पर मौजूद रहते थे वर्तमान में 10 से 15 ग्रामीण ही आन्दोलन में हिस्सा ले रहे हैं। दिल्ली से वापस लौटे किसी किसान की कोरोना जैसे लक्षणों से मौत सिसाय में नहीं हुई है।

- अजीत, पूर्व सरपंच, सिसाय


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