तीन जगह था परिवार, लॉकडाउन ने 7 साल बाद मिलवाया, अब घर में गूंज रहे ठहाके
बेटों ने बताया कि 77 वर्षीय माताजी के चेहरे पर भी मुस्कान है जहां पहले वे दिन में घर में अकेली रहती थी अब अपने पोतों के साथ पेंटिंग सीख रही है। ऐसे ही एक परिवार की कहानी और है।
सिरसा [आनंद भार्गव] भागती दौड़ती जिंदगी में किसी के पास समय नहीं था, मगर लॉकडाउन ने सबको करीब ला दिया। सिरसा की कोर्ट कॉलोनी में रहने वाले डा. सुभाष गर्ग के परिवार को लॉकडाउन खूब रास आया। तीन जगह रहने वाला परिवार अब एक साथ रह रहा है। सात साल बाद कोरोना से बचने के लिए पूरा परिवार घर में ही रहने लगा। 77 वर्षीय कलावती देवी की बूढ़ी आंखों में फिर से चमक दिखाई देने लगी है। लॉकडाउन के चलते वे पूजा पाठ के लिए मंदिर तो नहीं जा सकती, सुबह घर में ही भागवत भजन के बाद परिवार सहित बैठ जाती है। परिवार एक साथ बैठता है तो बीते वक्त की यादें ताजा हो जाती है।
डा. सुभाष गर्ग कहते है कि सात साल बाद उनका पूरा परिवार एक साथ बैठा है। उनका बड़ा बेटा आयुष गर्ग एमबीबीएस कर चुका है और एमडी की तैयारी कर रहा है। करीब साढ़े सात सालों से घर से दूर ही रह रहा है। लॉकडाउन से पहले दिल्ली में तैयारी कर रहा था। छोटा बेटा नमीश गर्ग जेइ मेन्स की तैयारी कर रहा है और दो सालों से चंडीगढ़ में तैयारियों में जुटा है। डा. सुभाष गर्ग की रेलवे के अस्पताल में चीफ फार्मासिस्ट के रूप में डयूटी है। उनकी पत्नी स्वाति गर्ग शिक्षिका है और वे गांव बप्पां के मिडल स्कूल में पढ़ाती है। पहले नौकरी के चक्कर में सारा दिन भागदौड़ लगी रहती थी परंतु अब परिवार साथ रहता है। कभी आपस में शतरंज और लूडो खेला जाता है तो कभी स्वाति गर्ग पूरे परिवार के लिए लजीज पकवान बनाकर लाती है। ऐसे हंसी खुशी भरे माहौल में समय गुजर रहा है।
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डा. सुभाष गर्ग ने बताया कि वर्षों बाद पूरा परिवार एक साथ समय बीता रहा है। माताजी के चेहरे पर भी मुस्कान है, जहां पहले वे दिन में घर में अकेली रहती थी अब अपने पोतों के साथ पेंटिंग सीख रही है। वहीं उनके बेटों को भी दादी से जीवन के अनुभव को जान रहे हैं। लॉकडाउन उनके लिए दोहरी खुशियां लेकर आया है, एक तो पूरा परिवार एक साथ बैठा है और दूसरा वे कोरोना से भी जंग लड़ रहे हैं।
85 वर्ष का अनुभव और चार वर्ष का बचपना दिखता एक साथ
अमनदीप कंबोज, सिरसा : हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहने वाले गुप्ता परिवार की चार पीढिय़ां एक साथ रह रही है। परिवार में 85 वर्ष का अनुभवी और चार वर्ष का बचपन भी शामिल हैं। पौते के साथ परदादा खेल कर अपना बचपना भी बच्चे में देखता है। 85 वर्षीय रविदयाल गुप्ता सेल टैक्स विभाग से एसओ की पोस्ट से सेवानिवृत्त है और परिवार में सबसे बुजुर्ग है। जबकि इनका बेटा अजय गुप्ता भी 60 वर्षीय है और माकर्टिंग बोर्ड से एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त है और इनका बेटा भानु गुप्ता इंजीनियर है और इनकी पत्नी आकांक्षा निजी स्कूल में अध्यापक है। परिवार में सबसे छोटा सदस्य भविष्य गुप्ता अभी चार वर्ष का है जोकि दिनभर परिवार के सभी सदस्यों के साथ खेलते है। लॉकडाउन के कारण परिवार एक साथ होने के कारण अब परिवार के सदस्य एक दूसरे की बाते सुनते है और अपने अनुभवों को सांझा करते है।
जीवन से जुड़े किस्से अब हो रहे है सांझे
वहीं भानु गुप्ता बताते है कि उनके दादा 85 वर्ष के है। आज भी वह अपने जीवन से जुड़े कई पलों को याद रखे हुए है। बचपन में झेली परेशानियों और मेहनत के पल भी वह परिवार के सदस्यों के साथ सांझे करते है। अगर परिवार का सदस्य कोई भी नए कार्य करता है तो दादा के साथ बातचीत करने के बाद ही कार्य किया जाता है। दादा सही व गलत संबंधित जानकारी रखते है।