इस वजह से बदली समाज की सोच, अब वधू बनने से बच रहीं हैं बालिकाएं
बाल विवाह पूरी तरह तो बंद नहीं हो सका मगर इसके होने का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।
आनंद भार्गव, सिरसा : बाल विवाह पूरी तरह तो बंद नहीं हो सका मगर इसके होने का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। आमजन की कानून के प्रति जागरूकता और विभाग की सतर्कता से जिले में बाल विवाह पर रोक लगने में काफी हद तक सफलता मिली है। जिला बाल विवाह निषेध कार्यालय में बाल विवाह संबंधी शिकायत आने पर तुरंत टीम हरकत में आती है और काउंसि¨लग करके शादी रुकवा दी जाती है। कई मामलों में परिजन अगर शादी कर चुके होते हैं तो विभाग उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेता है और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस को लिखता है। सिरसा जिले में बाल विवाह के मामलों में साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। साल दर साल बढ़ रहा है शिकायतों का ग्राफ
वर्ष 2016 में आई 51 शिकायतें, 29 शादियां रुकवाई
वर्ष 2017 में आई 86 शिकायतें, 65 शादियां रुकवाई, 3 में मुकदमे दर्ज करवाए गए और 18 शिकायतें झूठी पाई गई।
2017 में सितम्बर महीने तक आई 51 शिकायतें, 31 शादियां रुकवाई, 9 में मुकदमे दर्ज करवाए गए, 10 शिकायतें झूठी मिली और एक विचाराधीन है। दो साल सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान:
कानून के मुताबिक शादी के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष व लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए। नाबालिग पाए जाने पर दो साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। नाबालिग की शादी करवाए जाने पर परिजनों के खिलाफ कार्रवाई होती है।
यहां दी जा सकती है शिकायत
बाल विवाह के संबंध में चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 और 1091 पर सूचना दी जा सकती है। इसके अलावा बाल विवाह निषेध अधिकारी कार्यालय में भी शिकायत दी जा सकती है। बाल विवाह के ये हैं कारण
बाल विवाह का कारण मुख्य कारण गरीबी है। गरीब लोग अपनी 15-16 साल की बच्चियों की ही शादी कर देते हैं। इसके अलावा बड़ी लड़की के साथ छोटी की शादी कर दी जाती है। बच्चियों की पढ़ाई छुड़वाकर उनकी शादी कर दी जाती है। जिससे वे छोटी उम्र में ही मां बन जाती हैं और उनके शरीर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लोगों में बाल विवाह को लेकर जागरूकता आ रही है। ऐसे मामलों में लोग शिकायत कर देते हैं या फिर लड़की खुद शिकायत कर देती है। जिसके बाद टीम संबंधित थाना की टीम को लेकर परिजनों को समझाती है और शादी रुकवा देती है। अगर परिजन बच्चों की शादी कर चुके होते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को लिखा जाता है।
- तरुण चुघ, सहायक जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी।