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बेजान दीवारों में रंग भर सामाजिक संदेश उकेरने में जुटे हरिचंद्र, रंगों का खर्च नहीं दे पाया प्रशासन

उपायुक्त से लेकर निगम आयुक्त तक से लगा चुके गुहार, किसी ने नहीं सुनी बात, दीवारों पर जीवंत संदेश दे बदले रहे शहर की सूरत, रंगों का खर्च तक देने में प्रशासन को गुरेज

By manoj kumarEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 02:34 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 04:08 PM (IST)
बेजान दीवारों में रंग भर सामाजिक संदेश उकेरने में जुटे हरिचंद्र, रंगों का खर्च नहीं दे पाया प्रशासन
बेजान दीवारों में रंग भर सामाजिक संदेश उकेरने में जुटे हरिचंद्र, रंगों का खर्च नहीं दे पाया प्रशासन

हिसार [सुनील बैनीवाल] डाबड़ा पुल पर बेहद सुंदर जीवंत सामाजिक संदेश देती चित्रकारी आपको कई दिनों से देखने को मिल रही है। मगर आप ये सोच रहे हैं कि इन सुंदर चित्रों को बनवाने का प्रशासन कर रहा है तो ऐसा नहीं है। बल्कि ये काम एक चित्रकार के अथक प्रयास से संभव हुआ जो उम्र के पड़ाव को पीछे छोड़ युवाओं से ज्यादा जोश से काम करते हैं। 52 वर्षीय चित्रकार हरिचंद्र अपने साथियों के साथ मिलकर शहर की दीवारों पर सामाजिक संदेश देते चित्र बनाते हैं। हरिचंद्र अपने चित्रों से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नारी सशक्तिकरण, खुले में शौच मुक्त और स्वच्छता के संदेश देते हैं। हरिचंद्र पूरे शहर में ऐसे चित्र बनाना चाहते हैं, मगर आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के कारण वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। मगर विडंबना ये है कि उनके द्वारा निशुल्‍क किए जाने वाले इस काम में प्रशासन साथ नहीं दे रहा है। इसके लिए वे उपायुक्त अशोक कुमार मीणा से लेकर निगम आयुक्त अशोक बंसल तक से मदद की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन परिणाम शून्य रहा।

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ऐसा तब है जब एडीसी कार्यालय और नगर निगम को सरकार स्वच्छता अभियान के विज्ञापन के लिए लाखों रुपये देती है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 और 2019 में तीन करोड़ रुपये से ज्यादा मिले हैं। हैरानी की बात यह है कि निगम ने इस पैसे में से आज तक एक रुपये भी वॉल पेंटिंग पर खर्च नहीं किया है। निगम की सफाई शाखा को शहर के मुख्य एंट्री प्वाइंट से लेकर अन्य प्वाइंटों पर वॉल पेंटिंग करानी थी। ऐसा तब है जब शहर का एक चित्रकार स्वयं आगे आकर पेंटिंग बनाने की मांग कर रहा है।

तीन साल से शहर में बनाए कई बेहतरीन चित्र

चित्रकार हरिचंद्र ने बताया कि वह मात्र पांचवीं कक्षा तक पढ़े हैं। दिल्ली के मिश्रा आट्र्स में पेंटिंग बनाना और जहांगीर पुरी में संगीत की शिक्षा ली। अब वे जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में दोनों की शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले शहर के लिए कुछ करने की ठानी और पेंटिंग ब्रुश से शहर की बदसूरत दीवारों को सुंदर बनाना शुरू कर दिया। स्वच्छता संदेश, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे स्लोगन शहर की दीवारों पर लिखे। लोगों ने काम को बहुत सराहा। जेब खर्च और साथियों की मदद से जोश बढ़ा और चित्रकारी को आगे बढ़ाया।

दीवारों पर नहीं लगें पोस्टर, बैनर, खूबसूरत बन रहा शहर

सिरसा रोड से लेकर दिल्ली रोड, राजगढ़ रोड पर दीवारों पर सामाजिक संदेश नजर आते हैं। खूबसूरत दीवारें अपनी ओर ध्यान आकर्षित करती हैं। शहर के युवा से लेकर बुजुर्ग इन संदेशों को पढ़ते हैं और बनाने वाली की तारीफ करते हैं। दीवारों पर पोस्टर व पंफलेट चिपकाने वाले भी इन संदेशों पर कुछ चिपकाने से बचते हैं।

निगम को आगे बढ़कर आना होगा

शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में बेहतर रैंकिंग दिलाने के लिए पीपी मोड पर निगम बैनर पोस्टर लगाकर शहर की सुंदरता बर्बाद कर रहा है। वह चाहे अग्रसेन चौक हो या तलाकी गेट पर लाखों की लागत से बना पुल हो। व्यापारियों के पैसे से शहर में होर्डिंग को निगम बढ़ावा दे रहा है। जबकि व्यापारियों का यह पैसा वाल पेंटिंग में लगाया जाए तो शहर में सामाजिक संदेश भी लंबे समय तक दिए जा सकेंगे। सरकार से मिलने वाले पैसे का भी निगम वॉल पेंटिंग पर खर्च कर सकता है।

डीसी से लेकर नगम आयुक्त को लिख चुका हूं पत्र

चित्रकार हरिचंद्र ने कहा कि मैंने उपायुक्त से लेकर निगम आयुक्त तक को पत्र लिखकर आर्थिक सहायता की मांग की है, ताकि शहर को सुंदर बनाऊं और सामाजिक संदेश दे सकूं। मुझे पैसा नहीं चाहिए, प्रशासन रंग आदि के लिए मदद कर दे। यदि कोई लोन देता है तो मैं लोन लेने के भी तैयार हूं, ताकि शहर की जनता को सामाजिक संदेश दे सकूं।


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