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अब इंजीनियर सॉफ्टवेयर और सीएस कंपनी का लेखा-जोखा नहीं बल्कि डंडा ले थामेंगे सुरक्षा की कमान

नए कांस्टेबल में ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और बीटेक भी शामिल हैं। नए कांस्टेबलों की शिक्षा पर नजर डालने से बेरोजगारी का साइड-इफेक्ट और सरकारी नौकरी की चाह साफ दिखाई देती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 11:35 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 11:55 AM (IST)
अब इंजीनियर सॉफ्टवेयर और सीएस कंपनी का लेखा-जोखा नहीं बल्कि डंडा ले थामेंगे सुरक्षा की कमान
अब इंजीनियर सॉफ्टवेयर और सीएस कंपनी का लेखा-जोखा नहीं बल्कि डंडा ले थामेंगे सुरक्षा की कमान

राजेश स्वामी, हिसार : पुलिस का नाम सुनते ही आंखों के सामने हाथ में डंडा लिए खड़े लंबी मूंछों और तोंद वाले कड़क शख्स की तस्वीर जहन में उभर आती है। लेकिन जिले को मिले नए 130 में से 122 कांस्टेबल की शिक्षा का आकलन किया जाए तो ऐसा लगता है कि पुलिस की पुरानी छवि का मिथक तोड़ने में उनकी शिक्षा सकारात्मक काम करेगी। नए कांस्टेबल में ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और बीटेक भी शामिल हैं। नए कांस्टेबलों की शिक्षा पर नजर डालने से बेरोजगारी का साइड-इफेक्ट और सरकारी नौकरी की चाह साफ दिखाई देती है।

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पिछले दिनों हुई भर्ती में से जिला पुलिस को 130 कांस्टेबल मिले हैं। इनमें से 122 ने जिला मुख्यालय में रिपोर्ट कर दी है और पुलिस प्रबंधन ने उनको अलग-अलग जगह पर ड्यूटी सौंप दी है। नए कांस्टेबल की शैक्षणिक योग्यता पर नजर डालें तो सूची देखकर हैरानी होती है। इस भर्ती में एमएससी, बीएससी, बीएससी-सीएस, बीटेक, एमए, बीकॉम और जेबीटी पास जवान शामिल हैं। पुलिस की इस नई पौध से अक्खड़पन वाली भाषा छोड़ सौम्य व्यवहार की उम्मीद की जा सकती है। पुलिस अधीक्षक स्वयं क्राइम मी¨टग में डीएसपी और इंस्पेक्टरों के सामने दोहराती रहती हैं कि थानों में आने वाले फरियादियों से मधुर व्यवहार किया जाए व जनता से मधुर संबंध बनाए जाएं। नए कांस्टेबल की सौम्य भाषा शैली से पुलिस के आम जनता से मधुर संबंध बनाने के अभियान को सफलता मिलने की प्रबल संभावना है। नए कांस्टेबल की अच्छी शिक्षा के चलते पुलिस की छवि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पुलिस प्रबंधन ने नए जवानों को उनके स्टेशन अलॉट कर दिए हैं। विभाग ने जरूरत के हिसाब से उनको अलग-अलग जगह लगाया है। उन्होंने ड्यूटी संभाल ली है।

बेरोजगारी का साइड-इफेक्ट और सरकारी नौकरी की चाह बड़ी वजह

कांस्टेबल भर्ती में उच्च शिक्षा प्राप्त युवक नियुक्त होने से विभाग की कार्यकुशलता को बल मिलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं। उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के कांस्टेबल बनने से बेरोजगारी की एक भयावह तस्वीर तो सामने आती ही है, साथ ही युवाओं में सरकारी नौकरी की चाह भी साफ झलकती है। बेरोजगारी का आलम देखिये कि कलम पकड़ने की चाह रखने वाले काफी युवक भी पुलिस की 24 घंटे की नौकरी करने पर रजामंद हो गए और उन्होंने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली।

ये है 122 जवानों की शैक्षणिक योग्यता - बारहवीं 48

- जेबीटी 04

- बीकॉम 10

- बीएससी 11

- बीएससी-बीएड 02

- बीटेक 09

- बीए 27

- बीबीए 01

- बीसीए 04

- बीएससी-सीएस 01

- एमए 03

- एमएसी 02

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कुल 122


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