दो माह से चार साल के बेटे को छोड़कर कोरोना आइसोलेट मरीजों इलाज कर रहीं डाक्टर तनुजा
सुनील मान नारनौंद मां की ममता के आगे कोई भी चीज बड़ी नहीं है। लेकिन कोरोना की लड़ा
सुनील मान, नारनौंद : मां की ममता के आगे कोई भी चीज बड़ी नहीं है। लेकिन कोरोना की लड़ाई में उसको हराने के लिए पिछले दो महीनों से डॉक्टर तनुजा अपने चार साल के नन्हे बेटे प्रणव को अपनी सास के भरोसे छोड़कर सुबह सात बजे ही फील्ड में निकल पड़ती है और सारा दिन कोरोना के आइसोलेट मरीजों की देखभाल व उनका हौसला बढ़ाने में लगी रहती है। एक महिला होकर भी वह कोरोना कि इस लड़ाई में एक योद्धा के रूप में काम कर रही हैं। सलाम है ऐसी नारी शक्ति को।
डॉक्टर तनुजा अप्रैल 2020 में कोरोना काल के दौरान ही आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी के रूप में खरक पुनिया में तैनात हुई थी कुछ समय बाद ही आयुष विभाग ने सभी आयुर्वेदिक डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग में भेज दिया और डॉक्टर तनुजा इन दिनों नारनौंद के चार गांव भैनी अमीरपुर, राजथल, बुढ़ाना और मोठ में कोरोना के होम आइसोलेट मरीजों की देखभाल करने में जुटी हुई है। डॉक्टर तनुजा का 4 साल का एक बेटा भी है जो कि हर समय अपनी मां को याद करता रहता है लेकिन ड्यूटी के फर्ज के आगे डॉक्टर तनुजा उसको अपनी सास के पास छोड़ कर अपना काम पूरी मेहनत व लगन के साथ करके कोरोना को हराने में जुटी हुई है। सारा दिन काम करने के बाद रात को घर में स्नान करके खाना खाकर अलग कमरे में ही सो जाती है और मोबाइल फोन पर ही वीडियो कॉलिग करके अपने बेटे को देखती है। बॉक्स
डॉक्टर तनुजा का काम करने का कुछ अलग ही तरीका है। वह मरीज के पास जाकर इम्यूनिटी बढ़ाने के टिप्स देती है और साथ ही मानसिक तनाव से भी निकालने में उनकी सहायता करती है। अंग्रेजी दवाइयों के साथ साथ आयुर्वेदिक दवाइयों से उनका इलाज कर रही है।
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डाक्टर तनुजा ने बताया कि काम करते समय बेटे की याद जरूर आती है। लेकिन कोरोना को हराने के लिए जो लड़ाई लड़ी जा रही है उसमें हम पीछे नहीं हटेंगे। वही इस दौरान सास के हाथों का बना हुआ खाना भी नसीब हो रहा है। क्योंकि मैं काम खत्म करके देर शाम ही घर पहुंचती हूं और घर पर स्नान करने के बाद अलग कमरे में आइसोलेट हो जाती हूं। लोगों से भी अपील है कि वह मास्क व उचित दूरी का प्रयोग अवश्य करें।