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भावुकता बन गई जुनून, 35 साल में हांसी के ओमकुमार गर्ग कर चुके हैं 90 बार रक्तदान

खून की कमी के कारण किसी मरीज की दर्दनाक मौत को अपनी आंखों के सामने देखकर भावुकता इस कदर पैदा हो गई कि खून की कमी के कारण कोई घायल अकाल मौत का शिकार न हो सके इसके लिए रक्‍तदान का संकल्‍प बना लिया।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 11:31 AM (IST)
भावुकता बन गई जुनून, 35 साल में हांसी के ओमकुमार गर्ग कर चुके हैं 90 बार रक्तदान
ओमकुमार रक्तदान श्रृंखला की पहल में पत्नी, बेटा-बेटी व पुत्रवधू भी जुड़ गए

हांसी, जेएनएन। 35 साल पहले खून की कमी के कारण किसी मरीज की दर्दनाक मौत को अपनी आंखों के सामने देखकर भावुकता इस कदर पैदा हो गई कि खून की कमी के कारण कोई घायल अकाल मौत का शिकार न हो सके, इसके लिए हर संभव मदद करेंगे। यही भावुकता धीरे-धीरे जुनून बनती गई और एक के बाद एक 90 बार रक्तदान करके हांसी के प्रसिद्ध समाजसेवी ओमकुमार गर्ग ने एक मिसाल कायम कर दी।

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इतना ही नहीं, रक्तदान के इस कारवां में उनकी पत्नी, बेटा, बेटी व पुत्रवधू भी जुड़ गए और आधुनिकता के मायाजाल में फंसने की बजाए अनेकों बार रक्तदान करके इस परिवार ने लोगों को जीवनदान देने का संकल्प उठाकर रक्तदान को ही सबसे बड़ा दान मान लिया है और अपने जीवन को परमार्थ से चरितार्थ करने में लग गए हैं।

स्थानीय अग्रसैन कालोनी निवासी ओम कुमार गर्ग मूल रूप से गांव अलखपुरा के रहने वाले हैं और पेशे से अनाज मंडी में आढ़ती हैं। 4 मार्च 1961 को बिशल लाल गर्ग व दुर्गा देवी के घर जन्में ओमकुमार को अपने जीवनकाल के 21 साल पूरे होते ही रक्तदान महादान का ऐसा जुनून सवार हुआ कि खून की कमी से घायल लोगों के जीवन की रक्षा करने का प्रण लेते हुए उन्होंने 35 साल में 90 बार रक्तदान कर रिकार्ड कायम कर लिया। गर्ग इस पुनीत कृत्य के लिए ओमकुमार दो बार राज्यपाल द्वारा व दो बार रेड एंड व्हाइट बहादुरी अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं।

त्रिवेणी कला संगम संस्था से जुड़े गर्ग ने स्वयं रक्तदान करने के अलावा अनेकों बार संस्था के तत्वाधान में रक्तदान शिविर भी लगाए हैं और युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करते हुए हजारों यूनिट रक्त एकत्रित कर ब्लड बैंक में भिजवा चुके हैं। ओमकुमार गर्ग के संकल्प से प्रेरित होकर इनकी पत्नी बिमला देवी ने 8 बार, पुत्र नमित गर्ग ने 29 बार, बेटी दीपिका गर्ग ने 4 बार, पुत्रवधू मीनू गर्ग ने 19 बार रक्तदान कर परिवार के रक्तदानियों की श्रृंखला बना दी। ओमकुमार गर्ग शहर की अनेक सामाजिक, धार्मिक व शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर कई प्रकार के शिविर व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाकर समाजसेवा में अपनी अहम भागीदारी सुनिश्चित कर लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।


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