सर्वे खामियों की वजह से करोड़ों के टैक्स बिलों का मामला सुलझने की जगी आस, 3 सदस्यीय कमेटी ने शुरु की जांच
हिसार गृहकर शाखा पर भ्रष्टाचार के आरोप की जांच करने की डेडल
जागरण संवाददाता, हिसार :
गृहकर शाखा पर भ्रष्टाचार के आरोप की जांच करने की डेडलाइन पूरा होने में 17 दिन का समय शेष रह गया है। कमिश्नर ने 7 मार्च को हुई बजट की विशेष बैठक में तीन माह यानि 7 जून 2019 तक गृहकर में चल रही घालमेल की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का वादा किया था। उसी कड़ी में अब नगर निगम ने तीन सदस्यीय टीम बनाई है। जो डीएमसी प्रदीप हुड्डा के नेतृत्व में गृहकर शाखा में जांच कर रही है। टीम में डीएमसी प्रदीप हुड्डा, ईओ हरदीप सिंह और एसओ विक्रम को शामिल किया गया। निगम में जारी है जी-8 पोस्टिग
नगर निगम के ईओ हरदीप सिंह अपनी देखरेख में जी-8 पोस्टिग करवा रहे है ताकि पूर्व में हुई गड़बड़ियों का पता लगा सके। अब तक 500 से अधिक जी-8 पोस्टिग हो चुकी है। स्टाफ की पोस्टिग औसतन करीब 60 जी-8 की है। निगम में करीब 5 हजार जी-8 है। उधर शहर में कुल 136077 प्रोपर्टी है। इन प्वाइंटों पर निगम अफसरों ने शुरु की जांच
साल 2010 से अब तक कितनी बार प्रोपर्टी का सर्वे हुआ। या गृहकर शाखा से संबंधित कोई भी टेंडर दिया गया। उस टेंडर की नियम व शर्ते क्या थी। कंपनी को गृहकर शाखा से संबंधित क्या क्या कार्य करने थे और उसने कौन कौन से कार्य किए। पहले चरण में जांच कमेटी इन बिदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए जांच शुरु की है। जांच के ये है मुख्य बिदु, जिनके जवाब से मिले तो कई बड़े खुलासे होंगे
. साल 2014-15 और 2015-16 में डिमांड को 31 मार्च 2016 तक की 5 हजार बैलेंस सीट को शून्य किया गया। जिसमें तत्कालीन डीसी का हवाला देते हुए निजी कंपनी ने जो बैलेंस सीट शून्य की उनमें अधिकांश कमर्शियल थी। यानि करोड़ों का घालमेल हुआ।
. साल 2010-11 से साल 2019 तक की टैक्स शाखा में जो जी-8 प्रयोग हुई। उसमें कई की पोस्टिग पूर्व में नहीं हुई थी। ऐसे में पूर्व में टैक्स रिकॉर्ड को दुरुस्त करने व तैयार करने के लिए हायर की गई निजी कंपनियों ने क्या किया, यह जनता और जनप्रतिनिधियों की समझ से परे रहा है।
. पार्षदों के अनुसार साल 2011-12 व 2012-13 में प्रॉपर्टी सर्वे एक निजी कंपनी से सर्वे करवाया। उसके एवज में उसे करीब 1 करोड़ का भुगतान किया। साल 2014-15 व 2015-16 के लिए एक दूसरी कंपनी को करीब 50 लाख का टेंडर दिया। पर कंपनी ने जो रिकॉर्ड प्रस्तुत किया मेयर व पार्षदों की आपत्ति उठाई उनका तर्क था की डेढ़ करोड़ खर्च के बावजूद रिकार्ड दुरुस्त नहीं तो कंपनियों को पेमेंट कैसे व क्यों हुई। गृहकर शाखा में जांच शुरु की हुई है। तीन सदस्य कमेटी इस मामले में जांच कर रही है। जांच में सर्वे से जुड़े तथ्यों को देखा जा रह है। साथ ही यह भी देखेंगे कि कंपनी को क्या क्या जिम्मेदारी थी और उसने कौन कौन से कार्य किए।
प्रदीप हुड्डा, डीएमसी, नगर निगम हिसार।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप