सरकार सीबीजी को बनाएगी सीएनजी का विकल्प, कम होगा पर्यावरण प्रदूषण
सीबीजी से मिले सीएनजी जैसी सुविधा ढेसी ने बताया कि इंडियन ऑयल के साथ मिलकर कंपोस्ट बायोगैस उत्पादन सरकार शुरू करने जा रही है। रिनुअल डिपॉर्टमेंट इसको देख रहा है।
जेएनएन, हिसार : हरियाणा के किसानों को लेकर धारणा बनाई जा रही है कि वह पराली जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दो साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इस साल कुल 13 लाख हेक्टेयर धान की खेती की गई है। मात्र एक फीसद पराली ही किसानों ने जलाई है। प्रदेश के हर खेत में पराली जलती है, यह तथ्य विहीन है। हरियाणा के आंकड़े बयां करते हैं कि हरियाणा में जलने वाली पराली से दिल्ली में प्रदूषण नहीं होता है। दिल्ली के नजदीक लगते पांचों जिलों पानीपत, झज्जर, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत में पिछले साल के मुकाबले पराली 60 फीसद से कम जली है।
यह बात लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के भूमि पूजन के बाद पत्रकारों से रूबरू होते हुए चीफ सेक्रेटरी हरियाणा सरकार डीएस ढेसी ने कहीं। ढेसी ने कहा कि एनसीआर में प्रदेश के 13 जिले आते हैं। वायु प्रदूषण के कई कारण हैं। कुछ वर्षों से पराली जलाना मुख्य कारण बन गया है। मौजूदा समय में भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, जिसमें हरियाणा की अलग ही तस्वीर पर्यावरण प्रदूषण को लेकर प्रस्तुत की जा रही है। कहा जा रहा है कि हरियाणा के हर खेत में किसान पराली जला रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश के 100 किसानों में से दो किसान ही पराली जला रहे हैं। 98 फीसद किसान पराली प्रदूषण को लेकर गंभीर हैं।
उन्होंने कहा कि मैं किसानों का आभार प्रकट करता हूं कि सरकार के आह्वान और निवेदन पर किसानों ने गंभीरता दिखाई। सरकार की उम्मीद से भी कम पराली जलाई। ढेसी ने कहा कि भारत सरकार ने 857 कस्टमर हिय¨रग सेंटर स्थापित किए हैं। सरकार 80 फीसद सब्सिडी कृषि यंत्रों पर दे रही है। वहीं अपने स्तर पराली संबंधी कृषि यंत्र खरीदने पर 50 फीसद सब्सिडी भी दी जा रही है। तीन हजार 800 किसान इसका लाभ उठा चुके हैं।
सरकार शुरू करेगी कंपोस्ट बायोगैस उत्पादन
सीबीजी से मिले सीएनजी जैसी सुविधा ढेसी ने बताया कि इंडियन ऑयल के साथ मिलकर कंपोस्ट बायोगैस उत्पादन सरकार शुरू करने जा रही है। रिनुअल डिपॉर्टमेंट इसको देख रहा है। कुरुक्षेत्र, जींद और कैथल में प्लांट लगाए जाएंगे। बायो एनर्जी के पांच - पांच मेगावाट के प्लांट लगाए जाएंगे। मार्च से इनका काम शुरू हो गया है। 18 महीनों के अंदर के वक्त में काम पूरा हो जाएगा।
इंडियन ऑयल की ओर से प्रदेश में सीबीजी की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। यह सीएनजी का विकल्प है और पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। उन्होंने कहा कि पराली का प्रयोग बिल्डिंग मैटीरियल को लेकर किया जाएगा। हरिद्वार में एक इंडस्ट्री है जो यह काम कर रही है। कुरुक्षेत्र के किसान इंडस्ट्री से जुड़ कर यह प्रोडक्ट बना रही है। जिससे भूकंप और तूफान आदि में होने वाले नुकसान को बहुत कम किया जा सके।