अब प्लेन क्रैश होने पर पायलट को बचा सकेगा ड्रोन तो पिस्टल चोरी होने पर नहीं खुलेगा लॉक
भारतीय सेना द्वारा सीमाओं की निगरानी के लिए रोबोट प्रयोग में लाने पर किया जा रहा काम। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस पर सेना का पहला सेमिनार हिसार कैंप में शुरू
हिसार, जेएनएन। हर साल देश में फाइटर प्लेन की टेस्टिंग या अन्य उड़ानों में क्रैश के हालातों में एयरफोर्स के पायलटों को बचाना एक बड़ी चुनौती बन जाता है। विंग कमांडर अभिनंदन के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ, वह क्रैश की वजह से पाक सीमा में जा गिरे। इन्हीं घटनाओं से सबक लेकर अब सेना अपडेट हो रही है। जल्द ही सेना को ऐसे ड्रोन मिल सकेंगे जो प्लेन क्रैश होने के बाद पायलट के इंजेक्ट होने पर उसे बचाकर सुरक्षित ला सकें।
इसके साथ ही जब पड़ोसी चीन और पाकिस्तान जैसे हों तो किसी भी समय बड़े हमलों के होने की हरदम संभावना बनी रहती है, इससे बचाने के लिए भी ड्रोन मदद कर सकता है। सिर्फ यह नहीं बल्कि कई बार आपके घर से हथियार चोरी हो जाते हैं और कोई गलत प्रयोग कर सकता है तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस काम में भी मदद कर रही है। ऐसे कोई एक काम नहीं बल्कि डिफेंस के क्षेत्र में कई आयाम हैं, जो अभी सेना द्वारा प्रयोग किए जाने बाकी हैं। इस काम को देशभर के रोबोटिक साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े एक्सपर्टों ने सेना की मदद से करना भी शुरू कर दिया है।
सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की महत्ता के तीन उदाहरण
1- पिस्टल में फिंगर प्रिंट लॉक, जीपीएस ट्रेकर
आज के समय में हथियार की सुरक्षा करना एक बड़ा काम है, कई बार चोरी भी हो जाती है। इसको रोकने के लिए अब एक कंपनी ने वेपन सेफ्टी सिस्टम तैयार किया है, जिसमें पिस्टल, रिवॉल्वर व अन्य हथियारों पर कवर प्लास्टिक का होती है। इस पर एक फिंगर प्रिंट सेंसर लगा होता है जब तक हथियार के मालिक की उंगली स्कैनर पर नहीं लगेगी, तब तक हथियार का लॉक खुलेगा ही नहीं। कवर से खुलने में मात्र कुछ सेकेंड का समय लगता है। इसमें एक चिप भी लगाई है जो यह बताती है कि आपने कितनी गोलियां चलाईं, कहां चलाईं। यह रिकार्ड चिप रखने का काम करती है। यह एआइ तकनीक का ही एक काम है।
2- एक साथ कई ड्रोन उड़ाना और एक डिवाइस से कंट्रोल करना
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सबसे बड़ा प्रयोग ड्रोन में किया जा रहा है। अभी तक एक ड्रोन एक डिवाइस में उड़ाया जाता था, मगर अब सेना के हिसाब से तैयार हो रहे ड्रोनों को ऐसा तैयार किया जाएगा कि एक साथ 8 से 10 ड्रोनों को एक ही डिवाइस से उड़ाया जाए और सभी ड्रोन अलग-अलग काम करें। यह ड्रोन बड़े बमों को गिरने से पहले रोक सकते हैं। इन्हें सर्च एवं रेस्क्यू ऑपरेशन, सिक्योरिटी एवं सर्विलांस, स्टिल्ड ऑपरेशन, आइएसआर ऑपरेशन, दिन और रात की विजिलेंस, क्रॉउड एवं ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे काम लिए जा सकते हैं।
3- टैंक और हथियारों को सेंसर, रडारयुक्त बनाना
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिए टैंक और बड़े हथियारों में सेसर लगाने पर जोर दिया जा रहा है। आर्मी कैंट में भीष्म टैंक का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से जुड़े कई सेंसर लगाए गए हैं। इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही हवा और पानी में लडऩे वाले हथियारों में भी एआइ तकनीक आगामी समय में लगाई जानी है, जिसकी वजह से सटीक मारक क्षमता होगी। इसके साथ ही हवा में ही दुश्मन देश के ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया जा सकता है।