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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई सोच की जरूरत : डा. गैरी

जागरण संवाददाता हिसार गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा मंगलवार को अंतरर

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 06:45 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:45 AM (IST)
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई सोच की जरूरत : डा. गैरी
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई सोच की जरूरत : डा. गैरी

जागरण संवाददाता, हिसार: गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर का वेबिनार आयोजित किया गया। विवि इकॉनोमिक्स विभाग द्वारा आयोजित इस सेमिनार में भारत के किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर वक्ताओं ने विचार साझा किए। वेबिनार में कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह विषय काफी अच्छा है, खास बात है कि विदेशों से जुड़े एक्सपर्ट के माध्यम से विषय पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। स्ट्रेटजिक प्लानिग किसानों को अल्पकाल व दीर्घकाल में मदद करेगी। कुलपति ने इस वेबिनार को आयोजित करने के लिए इकॉनोमिक्स विभाग को बधाई दी। वेबिनार में अर्थ शास्त्री प्रो. एनके बिश्नोई ने विशेषज्ञों के साथ सबसे पहले तो हरियाणा की कृषि क्षेत्र की सुधरती स्थिति के बारे में बताया। इसके साथ ही बागवानी व दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बढ़ोतरी की बात भी साझा की। इसके साथ ही विविधिकरण कैसे कृषि के क्षेत्र में विकास कर सकती है इसके बारे में भी बताया।

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विशेषज्ञों ने यह दी कृषि क्षेत्रों में बढ़ोतरी पर राय

प्रोद्यौगिकी के साथ कृषि में जबरदस्त वृद्धि

डा. गैरी फेहर ने कनाडा की कृषि में नीतियों के सफल कार्यान्वयन के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि प्रौद्योगिकी के सही उपयोग से कृषि में जबरदस्त वृद्धि हुई है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई सोच की आवश्यकता है।

खेती की कम होती जमीन पर जताई चिता

हिदायतउल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के सोशलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. उत्तम पांडा ने किसानों व उनकी समस्याओं पर बल दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से खेती की जमीन लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड व राज्यों में कृषि आयोगों के रोल पर भी जानकारी साझा की।

किसानों को एक छत के नीचे मिले समाधान

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया की यूनविर्सिटी ऑफ फ्राशर वैली में रिसर्च एसोसिएट डा. नीतू गोस्वामी ने किसानों की बेहतरी के लिए लागू की जाने वाली नीतियों के बारे में बात की। वह मानती हैं कि नीतियां अच्छी हैं लेकिन उनके क्रियान्वयन में बहुत कमी है। यहां वेक-अप कॉल माना जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को एक छत के नीचे समाधान मिलना चाहिए।


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