Move to Jagran APP

रोहतक में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे को नया जीवन देने जर्मनी से आएगा डोनर

रोहतक में एक सात साल का बच्चा थैलेसीमिया रोग से ग्रसित है। फिलहाल दिल्ली राजीव गांधी कैंसर संस्थान में इलाज चल रहा है। लाखों में से ब्लड रिलेशन या फिर डोनर के सैंपल के बोन मेरो ट्रांसप्लांट होते हैं। एक मामले में 11 वर्षीय बहन का बोन मेरो ट्रांसप्लांट होगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 02:57 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 02:57 PM (IST)
दो थैलेसीमिया पीड़ितों का दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर संस्थान में चल रहा है उपचार, बोन मेरो किया जाएगा ट्रांसप्लांट

अरुण शर्मा, रोहतक। थैलेसीमिया रोग से ग्रसित लोगों की मदद के लिए संस्थाएं आगे आईं हैं। संस्थाओं की मदद ही कहेंगे कि दो बच्चों को नई जिंदगी मिलेगी। दरअसल, रोहतक में एक सात साल का बच्चा थैलेसीमिया रोग से ग्रसित है। फिलहाल दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर संस्थान में इलाज चल रहा है। लाखों में से ब्लड रिलेशन या फिर डोनर के सैंपल के बोन मेरो ट्रांसप्लांट होते हैं। एक मामले में 11 वर्षीय बहन का बोन मेरो ट्रांसप्लांट होगा। जबकि इसी तरह से दूसरे मामले में जर्मनी से डोनर को बुलाया जाएगा।

loksabha election banner

पालिका बाजार एसोसिएशन के प्रधान गुलशन निझावन, हम और आप संस्था के विकास मिश्रा, चिराग बेरी ने बताया कि थैलेसीमिया से ग्रसित दो बच्चों की मदद के लिए संस्थाओं ने कदम बढ़ाए हैं। एक सात साल के बच्चे की मदद के लिए दिल्ली की संस्था से 10 लाख, प्रधानमंत्री फंड से चार लाख रुपये दिला दिए हैं। मुख्यमंत्री फंड से तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद दिलाएंगे। इस बच्चे के स्वजनों को 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जरूरत है। वहीं, इसी तरह से दूसरे मामले में 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जरूरत है। दरअसल, देश में बोन मेरो डोनरों के सैंपल मैच नहीं हुए। इसलिए 30 देशों के इंटरनेशनल डोनरों से संपर्क किया। कैंसर संस्थान की पहल जर्मनी के डोनर ने बोन मेरो डोनेट करने की हामी भर दी है। इसलिए संस्थाएं आर्थिक मदद के लिए जुट गई हैं।

ब्लड बढ़ाने वाले पदार्थ सेवन नहीं कर सकते ग्रसित रोगी

थैलेसीमिया ग्रसित रोगी का जीवन मुश्किल होता है। 15 से 20 दिन बाद ही प्लाज्मा व ब्लड चेंज कराना होता है। थैलेसीमिया रोगी को समय पर बोन मेरो ट्रांसप्लांट समय न होने पर अधिकतम 25-30 साल ही उम्र होती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ब्लड बढ़ाने वाले खाद्य व पेय पदार्थों का पीड़ित सेवन नहीं कर सकता। इनके सेवन से आयरन बढ़ जाता है। फिलहाल रक्तदान से जुड़ी संस्थाएं अभियान चला रही हैं कि शादी से पहले रक्त कुंडली लड़के-लड़की के ब्लड की जांच हो। जिससे थैलेसीमिया का पहले ही पता चल जाए। यदि थैलेसीमिया ग्रसित लड़के-लड़की शादी होती है तो उनकी संतान में भी यह रोग होने की संभावना रहती है।

अब जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए बनेगा ट्रस्ट

समाजसेवी एवं पालिका बाजार एसोसिएशन के प्रधान गुलशन निझावन ने बताया कि सैकड़ों बच्चे जन्म से ही गंभीर बीमारियों की चपेट में होते हैं। बीमारियों का आय से कई गुना खर्चा होने के कारण समय पर मदद न मिलने से बच्चों की मौत तक हो जाती है। इसलिए हमने योजना तय की है कि जरूरतमंद स्वजनों को समय पर मदद दिलाने जल्द ट्रस्ट बनाएं। योजना को धरातल पर उतारने के लिए काम शुरू हो गया है। कुछ माह के अंदर ही ट्रस्ट जन्म से गंभीर बीमार बच्चों की मदद करेगा।

स्वस्थ्य बोन मेरो काम करे तो रोग पूरी तरह से हो जाता है दूर

पीजीआइ की चिकित्सक डा. अलका का कहना है कि बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन(बीएमटी) या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक प्रक्रिया है। जिसमें रोग ग्रस्त या क्षतिग्रस्त बोन मेरो के स्थान पर एक स्वस्थ रक्त उत्पादक बोन मेरो को प्रतिस्थापित किया जाता है। इसकी आवश्यकता तब पड़ती है जब आपकी बोन मेरो ठीक तरह से काम करना बंद कर दे और पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन ना करें। बोन मेरो ट्रांसप्लांट दो तरह से होता है, एक तो जिसे बोन मेरो ट्रांसप्लांट किया जाना है। उसी के अपने शरीर से रक्त कणिकाएं लेकर उनका प्रत्यारोपण और दूसरा किसी दूसरे के शरीर से रक्त कणिकाएं लेकर उनका प्रत्यारोपण। पहले प्रकार को आटोलोगस ट्रांसप्लांट और दूसरे प्रकार को एलोजेनिक ट्रांसप्लांट कहते हैं। थैलेसीमिया वाले केसों में में एलोजेनिक ट्रांसप्लांट किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.