अग्रोहा मेडिकल छात्रों के प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के लिए किया देह दान
कहते है ना बूंद बूंद से सागर भरता है यदि हमें समाज में बदलाव की लहर लानी है तो इसकी शुरुआत सबसे पहले स्वयं से अपने घर से करनी होगी। एक ऐसा ही बहुत ही सराहनीय उदाहरण गांव मलापुर में देखने को सामने आया है जहां एक परिवार समाज में फैली रूढि़वादी सोचअंधविश्वास सहित पाखंड को दूर करने में लगा हुआ है।
संवाद सहयोगी,अग्रोहा : कहते है ना बूंद बूंद से सागर भरता है यदि हमें समाज में बदलाव की लहर लानी है तो इसकी शुरुआत सबसे पहले स्वयं से, अपने घर से करनी होगी। एक ऐसा ही बहुत ही सराहनीय उदाहरण गांव मलापुर में देखने को सामने आया है जहां एक परिवार समाज में फैली रूढि़वादी सोच,अंधविश्वास सहित पाखंड को दूर करने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में मलापुर निवासी प्रीतम ने अपनी मां की सांसारिक यात्रा पूरी होने पर उनके शरीर को मेडिकल छात्रों के प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के लिए दान किया है। मलापुर निवासी 79 वर्षीया राजोदेवी की सांसारिक यात्रा पूरी होने पर स्वजन उनके शव को गाजे-बाजे के साथ रंग बिरंगे गुब्बारों फूल मालाओं आदि से सजाकर लाए और मेडिकल कालेज के छात्रों के प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के लिए दान कर दिया। मृतका राजोदेवी के बेटे प्रीतम ने बताया कि उद्देश्य समाज से रूढि़वादिता,अंधविश्वास,पाखंड को दूर करना है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक युग में कई लोगों की सोच अभी भी रूढि़वादी बनी हुई इस सोच को बदलने के लिए पूरा परिवार कई सालों से लगा हुआ है। उन्होने कहा कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास और सभी प्रकार की कुरीतियों को नकारकर मानववादी विचार, आचार, संस्कार और त्योहार अपनाने से ही समाज का विकास संभव है।