दुष्कर्म के बाद शादी कर दो जुड़वा बच्चों को ठुकराने वाले आरोपित वकील का होगा डीएनए टेस्ट
2016 में युवक ने पीडि़ता के साथ दुष्कर्म किया जिसमें वह गर्भवती हो गई। पीडि़ता ने पुलिस में शिकायत करनी चाही। लेकिन आरोपित ने पुलिस से बचने के लिए उससे शादी कर ली। कुछ माह बाद पीडि़ता को जुड़वां बच्चे हुए। आरोपित ने उन्हें अपनाने से इन्कार कर दिया।
रोहतक,जेएनएन। दुष्कर्म के बाद महिला से शादी और फिर जुड़वां बच्चों को ठुकराने वाले आरोपित वकील के डीएनए टेस्ट कराने की जेएमआइसी विवेक सिंह की अदालत ने अनुमति प्रदान कर दी है। आरोपित ने डीएनए टेस्ट नहीं कराने के लिए अदालत में गुहार लगाई थी।
दरअसल, शहर की एक कालोनी की रहने वाली महिला ने जुलाई में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि 2015 में वह पलवल जिले के ढूंडेला गांव निवासी एक युवक के संपर्क में आई। जो उस समय रोहतक में वकालत की पढ़ाई कर रहा था। 2016 में युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया, जिसमें वह गर्भवती हो गई। पीडि़ता ने पुलिस में शिकायत करनी चाही। लेकिन आरोपित ने पुलिस से बचने के लिए उससे शादी कर ली। कुछ माह बाद पीडि़ता को जुड़वां बच्चे हुए। बच्चे पैदा होने के बाद आरोपित ने उन्हें अपनाने से इन्कार कर दिया। बाद में किसी अन्य महिला से भी शादी कर ली। पीडि़ता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया।
पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता पीयूष गक्खड़ ने बताया कि पुलिस ने आरोपित का डीएनए टेस्ट कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। लगातार कई तारीखों पर कोई जवाब नहीं दिया गया। बीते दस नवंबर को आरोपित पक्ष की तरफ से कोर्ट में जवाब दायर किया गया। आरोपित की तरफ से दिए गए जवाब पर बुधवार को जेएमआइसी विवेक ङ्क्षसह की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट में डीएनए टेस्ट की अनुमति के लिए कई उदाहरण दिए। इसके बाद अदालत ने डीएनए टेस्ट कराने के लिए पुलिस को अनुमति प्रदान कर दी है।
आरोपित ने दिया था यह तर्क
आरोपित ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत में तर्क दिया था कि डीएनए टेस्ट करवाने के बाद बच्चों पर इसका गलत असर पड़ेगा। टेस्ट करवाने पर बच्चे नाजायज कहलाएंगे। अदालत ने इस मामले को लंबित रख लिया था। बुधवार को पीडि़त पक्ष के वकील पीयूष गक्खड़ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में इस तरह से मामले में कई उदाहरण दिए। इसके बाद अदालत ने डीएनए टेस्ट की अनुमति पुलिस को दे दी।