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खेल ग्रेडेशन दस्तावेज की जांच जारी होने के बावजूद हरियाणा खेल विभाग खिलाड़ियों को जारी कर रहा 38 करोड़ रुपये की राशि

हरियाणा में अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे कहावत सच साबित हो रही है। इस कहावत का अर्थ है कि अधिकार मिलने पर लोग अपने ही लोगों को फायदा देते हैं यह बात इन दिनों खेल विभाग में चरितार्थ हो रही है। ताजा मामला कैश अवार्ड का है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 06:00 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 06:00 PM (IST)
खेल ग्रेडेशन दस्तावेज की जांच जारी होने के बावजूद हरियाणा खेल विभाग खिलाड़ियों को जारी कर रहा 38 करोड़ रुपये की राशि
खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट में जांच चलने के बावजूद हरियाणा में खिलाडि़यों को कैश अवार्ड देने की तैयारी चल रही है

पवन सिरोवा, हिसार : अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे इस कहावत का अर्थ है कि अधिकार मिलने पर लोग अपने ही लोगों को फायदा देते है यह कहावत इन दिनों खेल विभाग में चरितार्थ हो रही है। ताजा मामला कैश अवार्ड का है। जिसमें खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट फर्जीवाड़ा के भ्रष्टाचार में जो लिप्त है या जिनकी जांच अधर में है, उन्हीं में से कई खिलाड़ियों को नगद कैश अवार्ड दिया जा रहा है। बिना खेल दस्तावेज जांचे जारी हुई राशि लाखों में नहीं बल्कि 38 करोड़ 9 लाख 75 हजार 500 रुपये है। भ्रष्टाचार में संलिप्त खिलाड़ियों को भी खेल विभाग अब मालामाल कर रहा है।

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समझे पूरा मामला

लाखों रुपये लेकर फर्जी खेल दस्तावेज देने के मामले में शिकायत के बाद प्रदेश में एक दिसंबर 2020 को खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट फर्जीवाड़ा जांच शुरु हुई। साल 2018 से साल 2021 तक के खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेटों की प्राथमिक जांच में करीब 5700 में से करीब 2500 सर्टिफिकेट फर्जी मिलें। साल 2019-20 की खेल उपलब्धियां पर कैश अवार्ड यानि इस समय अवधी में ही खेल उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ियों को सरकार 38 करोड़ का कैश अवार्ड दे रहा है। जबकि जिन खिलाड़ियों को कैस अवार्ड दिए जा रहे है उनमें से कई की तो ग्रेडेशन दस्तावजों की जांच अधर में है तो कुछ प्राथमिक जांच में फर्जी साबित हो चुके है। दैनिक जागरण को खेल विभाग से जुड़े लोगों ने कहा कि ग्रेडेशन सर्टिफिकेटों की जांच हो रही है उधर बिना दस्तावेज जांचे कैश अवार्ड कैसे दिए जा रहे है। यह तो भ्रष्टाचारियों को बचाव का रास्ता तैयार हो रहा है। इस पर जब खेल विभाग के आला अधिकारी से बात की तो उन्होंने माना कि बिना पूर्ण तरीके से जांच के ही खिलाड़ियों को कैश अवार्ड दिया जा रहा है। हालांकि उनका यह भी दावा है कि इसमें 99 फीसद फर्जीवाड़े की संभावना नहीं है। ऐसे में चाहे एक फीसद हो लेकिन खेल विभाग से जुड़े लोगों की माने तो कैश अवार्ड की आड में कई खिलाड़ियों के बचाव का रास्ता बनाने के अलावा उन्हें मालामाल किया जा रहा है। हिसार सहित कुछ जिलों ने तो खिलाड़ियों के खाते में कैश अवार्ड राशि डाल दी और कुछ का प्रोसेस जारी है।

22 जिलों में साल 2019-20 की कैश अवार्ड राशि (रुपये में)

रेवाड़ी - 3730000

पलवल - 4905000

फतेहाबाद - 6545000

अंबाला - 7840000

पानीपत - 21900000

भिवानी – 22385000

फरीदाबाद – 34935000

महेंद्रगढ़ – 1660000

हिसार – 44098000

जींद – 25355000

कैथल – 9285000

रोहतक – 36145000

चरखी दादरी – 10960000

झज्जर – 35340000

यमुनानगर – 2075000

सोनीपत – 59055000

पंचकुला – 8805000

करनाल – 13430000

सिरसा – 2902500

गुरुग्राम - 21425000

कुरुक्षेत्र – 7860000

नूंह - 340000

केंद्र -22, कुल राशि – 380975500

कैश अवार्ड की राशि

ओलिंपिक में स्वर्ण विजेता को 6 करोड़ रुपये से लेकर नेशनल स्कूली खेल में कांस्य पदक जीतने पर 20 हजार रुपये तक का कैश अवार्ड जारी किया गया। सरकार के 5 सितंबर 2019 के नोटिफिकेशन के अनुसार खिलाड़ियों को 29 टूर्नामेंट ऐसे है जिसमें टॉप तीन को अधिकत्तम 6 करोड़ से लेकर न्यूनतम 20 हजार का अलग-अलग उपलब्धि के अनुसार अलग-अलग कैश अवार्ड दिया जाता है।

-- कैश अवार्ड में जांच की फिलहाल जरुरत नहीं है। इनमें 99 फीसद सहीं खिलाड़ियों को ही मिल रहा है। एक फीसद कोई गलत है और भविष्य में कोई फर्जीवाड़ा सामने आया तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

- सत्यदेव मलिक, उपनिदेशक - हिसार मंडल, खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग हरियाणा।


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