आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद जुड़वां बच्चों के इलाज के लिए मांग रुपये, नहीं किया डिस्चार्ज
हिसार में निजी अस्पताल संचालक ने इलाज के नाम पर स्वजनों से पैसे मांग लिए। पैसे नहीं देने पर नवजात बच्चों को डिस्चार्ज करने से इंकार कर दिया गया। स्वजनों ने करीब 75 हजार रुपये जमा करवा दिए लेकिन अस्पताल प्रशासन ने 60 हजार रुपये और मांग लिए।
हांसी/हिसार, जेएनएन। हिसार के एक निजी अस्पताल में आयुष्मान भारत कार्डधारक से इलाज के नाम पर पैसे मांगने का मामला सामने आया है। जुड़वा बच्चों की डिलीवरी होने के बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई। निजी अस्पताल संचालक ने इलाज के नाम पर स्वजनों से पैसे मांग लिए। पैसे नहीं देने पर नवजात बच्चों को डिस्चार्ज करने से इंकार कर दिया गया। स्वजनों ने करीब 75 हजार रुपये जमा करवा दिए, लेकिन इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन ने 60 हजार रुपये और मांग लिए। जिस पर परिवार ने डीसी, सीएमओ व अन्य अधिकारियों को मामले में शिकायत दे दी। पुलिस अस्पताल में पहुंची तो तुरंत जुड़वा बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया।
डीसी को दी शिकायत में बीड़ फार्म निवासी मनजीत ने कहा कि बीते 30 सितंबर को प्रसव पीड़ा होने पर वह आशा वर्कर के साथ गर्ग अस्पताल में आई। यहां दो जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ। डिलीवरी के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। शिकायतकर्ता के अनुसार गर्ग अस्पताल से उसे हिसार के निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। डाक्टर ने कहा कि हिसार के अस्पताल में उनकी जान-पहचान है, वहां आयुष्मान कार्ड पर निश्शुल्क इलाज हो जाएगा।
पीडि़ता ने बताया कि करीब चार दिनों के बाद इलाज के नाम पर हजारों रुपये का बिल थमा दिया गया। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि आयुष्मान कार्ड के पैसे खाते में आने पर उन्हें वापस कर दिए जाएंगे। 75 हजार रुपये जमा करने के बाद और पैसे मांगे। ना देने पर पर नवजात बच्चों को डिस्चार्ज करने से मना कर दिया। कई दिनों तक अस्पताल में जुड़वां बच्चों को छुट्टी नहीं दी गई। इसके बाद परिवार ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष शिकायत की। पुलिस के अस्पताल में पहुंचने के बाद अस्पताल प्रशासन ने नवजात जुड़वां बच्चों को डिस्चार्ज किया। डीसी को भेजी शिकायत में महिला ने हिसार के निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
डिलीवरी के समय कार्ड नहीं चला था
हमारे अस्पताल में महिला की डिलीवरी हुई थी। यहां उनका आयुष्मान कार्ड नहीं चला था। आधार कार्ड से संबंधित कुछ समस्या थी। डिलीवरी के बाद नवजात की तबीयत खराब होने के कारण नियमानुसार रेफर कर दिया गया था। अस्पताल के स्टाफ का सदस्य भी उनके साथ गया था।
- डा. अतुल गर्ग, गर्ग अस्पताल, हांसी