एक दिन के लिए डीसी- एसपी बनेंगी सरकारी स्कूल की बेटियां
चेतन वर्मा, हिसार : अगर आप किसी दिन लघु सचिवालय जाएं और आपको वहां डीसी और एसपी की कु
चेतन वर्मा, हिसार :
अगर आप किसी दिन लघु सचिवालय जाएं और आपको वहां डीसी और एसपी की कुर्सी पर स्कूल की छात्राएं बैठी दिखाई दें तो चौकिएगा मत। वह गलती से कुर्सी पर नहीं बैठीं, बल्कि उस दिन वही प्रशासनिक अधिकारी हैं। सरकार ने सरकारी स्कूल की बेटियों को डीसी, एसपी से लेकर अन्य सरकारी विभागों का मुखिया बनने का एक मौका दिया है, ताकि सरकारी स्कूल की बेटी डीसी और एसपी की कुर्सी पर बैठकर अपने सपने को साकार होता देख सकें। इतना ही नहीं, डीसी और एसपी बेटियों के संग बैठकर उनका मार्गदर्शन भी करेंगे और उन्हें संबंधित विभागों की पूरी कार्यप्रणाली भी समझाएंगे, ताकि भविष्य संवारने के लिए बेटियों की इच्छाशक्ति को और मजबूत किया जा सके। इसी उद्देश्य से सरकार ने एक दिन के लिए सरकारी स्कूल की बेटियों को अपना सपना साकार करने का मौका दिया है। सरकार ने डीसी से लेकर अन्य विभागों के अधिकारियों को लिखित में निर्देश दे दिए हैं कि वो जल्द ही सरकारी स्कूल की बेटियों को डीसी से लेकर एसपी की कुर्सी पर बैठने का मौका दें। बॉक्स :::
माइ ऐम माइ टारगेट योजना से बेटियों को मिलेगा मौका
सरकार की ओर से माइ ऐम माइ टारगेट योजना धरातल पर उतारी गई है। इसके तहत सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली बेटियों को एक दिन के लिए डीसी, एसपी, एडीसी, डीएसपी, डीईओ से लेकर अन्य सरकारी अधिकारी बनने का मौका मिलेगा। योजना के अंतर्गत बेटियां कुर्सी पर बैठकर दिशा- निर्देश भी देंगी। इससे बेटियों को बखूबी पता चल सकेगा कि किसी विभाग में कौन सा काम किस प्रकार किया जाता है। उनके क्या नियम होते हैं और किन बातों को ध्यान में रखकर अपने अधिकारों का प्रयोग करना पड़ता है। बॉक्स :::
बेटियों संग बैठेंगे संबंधित अधिकारी
माइ ऐम माइ टारगेट योजना के तहत जो बेटियां जिस भी विभाग की मुखिया की कुर्सी पर बैठेंगी। संबंधित अधिकारी बेटियों के साथ बैठकर उनका मार्गदर्शन करेंगे। साथ ही पूरी कार्यप्रणाली से उन्हें अवगत कराएंगे। बॉक्स::::
सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बेटियां उठा सकेंगी योजना का लाभ
सरकार ने जिले की सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बेटियों को यह लाभ उठाने का मौका दिया है, जिसमें नौवीं से लेकर बारहवीं कक्षा की बेटियां शामिल होंगी। कारण यह है कि बेटियों को भविष्य संवारने के लिए यह स्टेज काफी महत्वपूर्ण होती है। इसी स्टेज में एक तो बेटी मैच्योर होती है तो दूसरा भविष्य को संवारने के लिए उन्हें कई फैसले इसी स्टेज मे लेने पड़ते हैं। इच्छाशक्ति व जानकारी के अभाव में बेटियां अपने सपने का साकार नहीं कर पातीं, जिस कारण सरकारी स्कूल की बेटियां प्राइवेट स्कूल की बेटियों से पिछड़ जाती हैं। बॉक्स :::
एक ग्रुप में होंगी दस बेटियां : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी बलजीत ¨सह सहरावत ने बताया कि सरकारी स्कूल की बेटियों को ग्रुप में यह मौका दिया जाएगा। एक ग्रुप में दस बेटियों को शामिल किया जाएगा। वो भी अलग-अलग निर्धारित समय में। ब्लॉक के अनुसार 30 से 40 ग्रुप बनाएं जाएंगे। साथ ही बीईओ सहित संबंधित स्कूल के प्राचार्यों की निगरानी में बेटियां सरकारी विभागों में जाएंगी। ताकि बेटियों आने वाली समस्याओं से लेकर अनेक जानकारियां प्राचार्यो से लेकर बीईओ से कर सकें। वर्जन :::
माइ ऐम माइ टारगेट योजना के तहत सरकारी स्कूल की बेटियों को एक दिन के लिए डीसी और एसपी बनने का मौका मिलेगा। संबंधित विभागों के मुखिया भी उनके साथ बैठेंगे और बेटियां उनसे विभाग की पूरी कार्यप्रणाली समझेंगी। ताकि बेटियों की इच्छाशक्ति को मजबूत बनाया जा सके।
- बलजीत ¨सह सहरावत, जिला शिक्षा अधिकारी।