कोरोना संक्रमण भी नहीं रोक पाया साइकिल बाबा का पहिया, जगाई 70 देशों में पर्यावरण बचाने की अलख
फतेहाबाद के डा. राज पंड्यन को साइकिल बाबा के नाम से जाना जाता है। जो 70 देश घूम चुके हैं। साइकिल बाबा ने एक लाख 10 हजार पौधे लगाकर वैश्विक स्तर पर समाज को यह संदेश दिया है। साइकिल बाबा के पहिए को कोरोना संक्रमण भी नहीं रोक पाया।
हिसार, गौरव त्रिपाठी। पेशे से डाक्टर। संवेदना पर्यावरण संरक्षण की। अपनी नेक मंशा को अंजाम देने के लिए पूरा जीवन फिजा बचाने के नाम होम कर दिया। माध्यम, मिसाल बन संसार में पौधरोपण से पर्यावरण को सुवासित रखने का। चल पड़े साइकिल से दुनिया को संदेश देने कि पौधे लगाकर बिगड़ते पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। इस संवेदनशील डाक्टर राज पंड्यन का नाम पड़ गया साइकिल बाबा।
देश-दुनिया में एक लाख 10 हजार पौधे लगा चुके हैं साइकिल बाबा
पर्यावरण का यह प्रहरी अपनी साइकिल से सरोकारों का सारथी बन चुका है। एक लाख, 10 हजार पौधे लगाकर वैश्विक स्तर पर समाज को यह संदेश दे चुके हैं कि अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए खुद ही पहल करनी होगी।
70 देशों में घूम चुके हैं फतेहाबाद के डा. राज पंड्यन
वर्ष 2017 से साइकिल पर चला उनका सफर अब तक 70 देशों में पर्यावरण बचाने की अलख जगा चुका है। अहम यह कि डा. राज की साइकिल के पहिए को कोरोना संक्रमण भी नहीं रोक पाया। कोरोना काल के दौरान भी वे लगातार साइकिल चलाकर दुनियाभर में लोगों पर्यावरण के प्रति जागरूक और पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते रहे। डा. राज बताते हैं कि 2020 में जब कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया को घरों में कैद कर दिया था, वह यूनाइटेड किंगडम से नीदरलैंड पहुंचे थे।
लाकडाउन के कारण वे कहीं आ-जा नहीं सकते थे। भारतीय दूतावास के सहयोग से एक महीने तक होटल में रहे। वंदे भारत के प्राविधान के सहारे भारत वापस आए। फरवरी, 2021 में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आया तो साइकिल बाबा ने फिर अपनी धन्नो उठाई और चल पड़े देश-दुनिया में अलख जगाने। इस बार वे इजिप्ट पहुंचे। यहां कोरोना वायरस ने डा. राज पर हमला कर दिया। कोरोना संक्रमित होने के कारण उन्हें 21 दिन के लिए एक होटल में क्वारंटाइन रहना पड़ा। इस दौरान शाकाहारी डा. राज को 21 दिन तक सिर्फ राजमा और ब्रेड खाने को मिला। अभी वह अफ्रीकी देशों की यात्रा पर बोत्सवाना में हैं। यहां से वह दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन जाएंगे।
व्हील फार ग्रीन मिशन
डा. राज ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से बीएमएस किया है। उन्हें बचपन से पर्यावरण और पेड़-पौधों से काफी लगाव था। प्रकृति से इस कदर लगाव का श्रेय वह अपने पिता को देते हैं। बचपन में अपने पिता को पेड़-पौधों की देखभाल करते और खेतों की देखरेख करते देख उनके मन में पर्यावरण के प्रति लगाव पैदा हुआ। 2017 में पर्यावरण के प्रति इस लगाव को उन्होंने अपना जुनून और मिशन बनाने की ठानी। उन्होंने अपनी साइकिल को धन्नो और अपने मिशन को व्हील फार ग्रीन नाम दिया है। उनका लक्ष्य 2030 तक 200 देशों में साइकिल चलाकर पहुंचने और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का है।