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पशोपेश में आंदोलनकारी, कोरोना का संकट और धरना स्थलों पर आवश्यक चीजों की किल्लत ने बढ़ाई दिक्कतें

कोरोना वैक्सीनेशन और टेस्टिंग को लेकर आंदोलनकारियों के मन में क्या है इसको वे कई बार जाहिर भी कर चुके हैं लेकिन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने की आंदोलनकारियों की मांग शुरू से ही रही और उसी पर वे अब भी कायम हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 08:27 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 08:27 AM (IST)
पशोपेश में आंदोलनकारी, कोरोना का संकट और धरना स्थलों पर आवश्यक चीजों की किल्लत ने बढ़ाई दिक्कतें
कोराेना और गर्मी का प्रभाव अब कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन नजर आने लगा है

बहादुरगढ़, जेएनएन। एक तरफ कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है और दूसरी तरफ कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन के बीच आवश्यक चीजों की किल्लत हो रही है। ऐसे में आंदोलनकारी पशोपेश में हैं और दिक्कत भी झेल रहे हैं, लेकिन आंदोलन को लेकर अब भी एक ही बात है कि घर वापसी तभी होगी जब जीत जाएंगे। कोरोना वैक्सीनेशन और टेस्टिंग को लेकर आंदोलनकारियों के मन में क्या है, इसको वे कई बार जाहिर भी कर चुके हैं, लेकिन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने की आंदोलनकारियों की मांग शुरू से ही रही और उसी पर वे अब भी कायम हैं।

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इस मसले पर वे बीच का कोई रास्ता नहीं चाहते। इस बीच मई के पहले पखवाडे़ में संसद मार्च को आंदोलनकारियों द्वारा कई दिन पहले ही रद कर दिया गया था। अगर रद न भी किया जाता तो मौजूदा हालात को देखते हुए इस तरह के माहौल में संसद मार्च की कोई गुंजाइश भी नहीं थी। असल चिंता संक्रमण के संकट के बीच भीड़ और आवाजाही को लेकर है। कल तक शासन-प्रशासन के समक्ष इस आंदोलन के कारण कानून व्यवस्था को बनाए रखने की चुनौती थी, मगर आज काेरोना का संकट ऐसा है कि और कुछ सूझ ही नहीं रहा है।

ऐसे में अब आमजन की ओर से भी इंटरनेट मीडिया पर किसानों से इस आंदोलन को वापस लेने की अपील की जा रही है। इधर, इस संकट के बीच आंदोलनकारियों के लिए भी चुनौती कम नहीं है। कोरोना संक्रमण के कारण आंदोलन स्थल की तरफ जाने से हर कोई ठिठक रहा है। ऐसे में आंदोलन स्थल पर जिन चीजों की सप्लाई निरंतर हो रही थी, उनकी आपूर्ति अब घट रही है। दूध के लिए आंदोलन स्थल पर लंबी-लंबी लाइन देखी जा सकती है।


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