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देश की तुलना में हिसार में 1256 वर्ग किमी वनीय क्षेत्र की कमी, विकास के नाम पर हर दिन दी जा रही बलि

जागरण संवाददाता हिसार देश की राष्ट्रीय फॉरेस्ट पॉलिसी के अनुसार हर जिले के कुल क्ष

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 04:45 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:15 AM (IST)
देश की तुलना में हिसार में 1256 वर्ग किमी वनीय क्षेत्र की कमी, विकास के नाम पर हर दिन दी जा रही बलि
देश की तुलना में हिसार में 1256 वर्ग किमी वनीय क्षेत्र की कमी, विकास के नाम पर हर दिन दी जा रही बलि

जागरण संवाददाता, हिसार : देश की राष्ट्रीय फॉरेस्ट पॉलिसी के अनुसार हर जिले के कुल क्षेत्रफल का एक तिहाई हिस्से में वनीय क्षेत्र होने चाहिए। मगर हिसार में लगातार वनीय क्षेत्र कम हो रहा है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हिसार में 3983 वर्ग किलोमीटर ज्योग्राफिकल एरिया है। अगर इसका एक तिहाई यानि 33 फीसद हिस्सा निकालें तो अभी भी हिसार में 1256 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन की उपलब्धता होनी चाहिए। सिर्फ यह नहीं बल्कि हरियाणा ने भी 2006 में पॉलिसी बनाई जिसके अनुसार हर जिले में 20 फीसद क्षेत्र में हरियाली होनी चाहिए, मगर इस नियम के अनुसार देखें तो अभी भी हिसार में 738 वर्ग किलामीटर वनीय क्षेत्र की दरकार है। इतने बड़े क्षेत्र को वनीय क्षेत्र बनाना वन विभाग से लेकर प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि लगातार कम होती जमीन वनीय क्षेत्र को निगलती जा रही है। पौधारोपण अभियान भी महज स्कूलों या कुछ संस्थाओं के हिस्से ही रह गया है। जिसके कारण अब हिसार में 1.45 फीसद क्षेत्र में ही हरियाली शेष रह गई है।

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लगातार कम होते वनीय क्षेत्र का लोगों पर इंपेक्ट

1- पिछले वर्ष हिसार शहर के वासियों ने 550 से भी अधिक एयर क्वालिटी इंडेक्स देखा है, जिसमें इतना प्रदूषण हो गया जिसके कारण लोगों की सांस तक घुटने लगी थी। बुजुर्गों और बच्चों को स्मॉग से बचाने के लिए प्रशासन ने घर पर रहने की सलाह दी है। अगर पेड़ होते तो इन हालातों पर काबू पाया जा सकता था।

2- वनीय क्षेत्र काफी कम होने के कारण हिसार में बारिश और तापमान के बीच का संतुलन भी पिछले कुछ वर्षों में बिगड़ा है। इस साल अधिक पश्चिमी विक्षोभ की बारिश लोगों को नसीब हुई मगर फिर भी तापमान 22 वर्षों का रिकार्ड तोड़कर 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

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विकास की भेंट चढ़ रहे हजारों पेड़

1- शहर में एयरपोर्ट बनाने का प्रोजेक्ट जोरों-शोरों से चल रहा है, इस प्रोजेक्ट में शहर में बड़े हिस्से में 200 वर्ष पुराने पेड़ तक काटे जाने प्रस्तावित हैं। इस पर दावा किया जा रहा है कि जो पेड़ कटेंगे उसके एवज में पेड़ लगाए जाएंगे मगर एक पौधे से पेड़ बनने में 20 वर्ष का समय लगता है। ऐसे में 20 वर्षों तक लोगों का क्या होगा इस पर जवाब किसी के पास नहीं है।

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हिसार में वनीय क्षेत्र की स्थिति

ज्योग्राफिकल एरिया- 3983 वर्ग किलोमीटर

बहुत घने वन- 0.00

कम घने वन- 11.86 फीसद

खुले वन- 45.78 फीसद

कुल वनीय क्षेत्र - 57.64

कुल हरियाली- 1.45 फीसद

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शहर में हरियाली--

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय- 35 फीसद

गुरु जंभेश्वर तकनीकि विश्वविद्यालय- 25 फीसद

नगर निगम- 15 फीसद

सेक्टर- 20 फीसद

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फैक्ट

- एक आदमी एक दिन व एक सांस में तीन लीटर ऑक्सीजन लेता है।

- हवा में 22 लीटर ऑक्सीजन व अन्य भाग में अन्य गैसें होती हैं।

- एक दिन में मनुष्य 22 हजार बार सांस लेता है इस हिसाब से 17.43 लाख लोग 38.36 अरब सांसें लेते हैं, जिसके लिए 38.36 अरब लीटर ऑक्सीजन की जरूरत है।

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ये बोले पर्यावरणविद

पर्यावरणविद् डा. वीके गर्ग ने बताया कि एक स्टडी में हिसार व चंडीगढ़ में हरियाली की तुलना की गई थी। इसमें यह सामने आया कि दोनों ही शहरों में ऐसे पेड़ पौधे नहीं हैं जिनका घनत्व अधिक हो। यहां अधिकांशत: सफीदो या बाहर से आई किस्मों को वरीयता दी गई है। जबकि स्थानीय पेड़ जैसे शीषम, नीम, बरगद आदि को बढ़ावा दिया जाए तो हम ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।


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